जयपुर. इस वक्त कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए पूरे देश में लंबे समय से लॉकडाउन जारी है. ऐसे हालात में सभी वर्ग और कारोबार से जुड़े लोग घरों में मौजूद है. इन हालात को लेकर कई तरह के कयास और अटकलें भी लगाई जाती है. ऐसी स्थिति में हृदय से जुड़ी बीमारी के लोगों के मामले कम होने की बात कही जा रही है, लेकिन उसके पीछे सत्य क्या है इस बात को जानने के लिए ईटीवी भारत ने कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर अशोक गर्ग से बात की.
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कोरोना वायरस के इस काल में क्या सच में दिल से जुड़ी बीमारियों के मामले कम हुए हैं क्योंकि इन दिनों अस्पतालों में हार्ट से जुड़ी बीमारियों के केसेस कम पहुंच रहे हैं, ऐसे में इसके पीछे के प्रयास को लेकर कई चर्चाएं हैं. परंतु सच यह है कि पूर्ण संक्रमण से बचाने के लिए घोषित किए गए लॉकडाउन के बाद हार्ट अटैक के मामलों में लगभग 30 प्रतिशत की कमी आई है. इसके कारण डॉक्टर्स के मुताबिक इस प्रकार हैं...
1. ठंड में कमी आना
लॉकडाउन को चित करने के बाद मौसम के बदलाव के कारण प्राकृतिक रूप से गर्मी भी बढ़ी है. बीते 3 महीनों के मुकाबले तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. ऐसे में यह भी सर्वविदित तथ्य है कि गर्मी के दिनों में ठंड के दिनों की अपेक्षा हार्ट अटैक के मामले कम दर्ज किए जाते हैं.
2. प्रदूषण में कमी आना
वायु प्रदूषण और हार्ट अटैक का गहरा संबंध होता है. लॉकडाउन के बाद वायु प्रदूषण के स्तर में अप्रत्याशित कमी दर्ज की गई है. इस कारण से हार्ट अटैक से मरने वाले मरीजों की संख्या भी कम हुई है.
3. लॉकडाउन में अस्पतालों से दूरी
लॉकडाउन से पहले सामान्य से लक्षण दिखने पर मरीज तुरंत चिकित्सक से संपर्क करता था. लेकिन लॉकडाउन के बाद मरीज कोरोना के डर से सामान्य लक्षणों को नजरअंदाज करने लगे हैं. इस समय वे कोरोना संक्रमण के डर से अस्पताल जाने से कतराते हैं.
4. परिवहन की सुविधा का नहीं होना
लॉकडाउन के दौरान परिवहन में आने वाली परेशानी के कारण भी दूरदराज के मरीज शहर के बड़े अस्पतालों में आने की जगह नजदीक की क्लीनिक पर ही उपचार करवा रहे हैं. ऐसे में बड़े अस्पतालों में आने वाले हृदय रोगियों की संख्या में कमी दर्ज की गई है.
5. घर पर अधिक सतर्कता
लॉकडाउन के बाद प्रशासन की सख्ती को देखते हुए लोग घरों में हैं. ऐसे में उनके खानपान को लेकर शुद्धता और अनुशासित डाइट होने के कारण हार्ट से जुड़े मामलों में कमी आई है. साथ ही बीमारी को देखते हुए पहले के हार्ट पेशेंट अब अनुशासित होकर दवा ले रहे हैं, जिससे उनकी परेशानियों में कमी देखी गई है.
लॉकडाउन के दौरान हार्ट अटैक मरीजों में कमी
बता दें कि राजधानी जयपुर के SMS अस्पताल में एक महीने में करीब 70 मामले सामने आते थे. तो वहीं एक निजी अस्पताल में एक महीने में करीब 50 मामले सामने आते थे. लॉकडाउन के कारण निजी अस्पताल में मरीजों की संख्या घटकर 15 से 20 पहुंच गई है. डाक्टर्स की मानें तो इस लॉकडाउन के दौरान हॉर्ट अटैक के मरीजों की संख्या में करीब 30 फीसदी कमी आई है.
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डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया है. प्रशासन की सख्ती को देखते हुए लॉकडाउन के दौरान लोग अपने-अपने घरों में हैं. उनका कहना है कि इस दौरान वे अपने खानपान को लेकर सतर्क हैं और अनुशासित डाइट ले रहे हैं. इन सभी कारणों से इस लॉकडाउन में हार्ट से जुड़े मामलों में कमी आई है.