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HC में याचिका पर सुनवाई...सिंघवी बोले- अभी तक स्पीकर ने विधायकों को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया है

स्पीकर जोशी के वकील सिंघवी ने कहा कि नोटिस पर स्टे का अंतरिम आदेश देने का मतलब दसवीं अनुसूची के पैरा 2-1-a की कार्रवाई पर स्टे होगा, जो नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि अभी तो स्पीकर की ओर से महज नोटिस जारी किए गए हैं, अभी तक स्पीकर ने विधायकों को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया है. ऐसे में स्पीकर के नोटिस पर स्टे नहीं दिया जा सकता.

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हाईकोर्ट में सुनवाई जारी

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Published : Jul 20, 2020, 2:52 PM IST

जयपुर.पायलट कैंप की ओर से लगाई गई दोनों याचिकाओं पर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुबह 10 बजे से शुरू हुई सुनवाई दोपहर तक जारी है. जिसमें स्पीकर सीपी जोशी के एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी की ओर से तर्क रखे गए. लंच के बाद भी यह तर्क जारी रहेंगे. इस दौरान अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जो अरगुमेंट पेश किए गए हैं उन्हें सुप्रीम कोर्ट पहले ही खारिज कर चुका है.

प्रतीक कासलीवाल स्पीकर सीपी जोशी के वकील

सिंघवी ने कहा कि 19 विधायकों के मामले में स्पीकर ने अलग-अलग केस मेरिट के आधार पर डिसाइड किए हैं और स्पीकर सीपी जोशी सभी बागी विधायकों पर अलग-अलग निर्णय लेंगे. सिंघवी ने कहा कि नोटिस पर स्टे का अंतरिम आदेश देने का मतलब दसवीं अनुसूची के पैरा 2-1-a की कार्रवाई पर स्टे होगा, जो नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि अभी तो स्पीकर की ओर से महज नोटिस जारी किए गए हैं. अभी तक स्पीकर ने विधायकों को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया है. ऐसे में स्पीकर के नोटिस पर स्टे नहीं दिया जा सकता.

पूनमचंद भंडारी पब्लिक अगेंस्ट करप्शन

सिंघवी ने आगे कहा कि 7 दिन का नोटिस दिया जाना जरूरी नहीं है. सिंघवी ने अपने तर्क में कहा कि संविधान ने विधानसभा संचालन का अधिकार स्पीकर को दिया है. विधानसभा अध्यक्ष के पास विधायकों को अयोग्य घोषित करने और उसके संबंधित नियम बनाने के अधिकार हैं, जिनकी न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती है. अब लंच के बाद एक बार फिर इस मामले में सुनवाई होगी. जिसमें शुरुआत में अभिषेक मनु सिंघवी की ओर से पक्ष रखा जाएगा. वहीं, उसके बाद सचिन पायलट की ओर से पक्ष रखा जाएगा.

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पब्लिक अगेंस्ट करप्शन की ओर से दी गई एप्लीकेशन स्वीकार...

पब्लिक अगेंस्ट करप्शन की ओर से इस मामले में दी गई एप्लीकेशन को स्वीकार कर लिया गया है. एडवोकेट पूनमचंद भंडारी ने कहा कि पहले तो इसे लेकर उनका पक्ष नहीं सुना गया, लेकिन बाद में इस प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर लिया गया है. अब लंच के बाद उनकी भी बात सुनी जा सकती है.

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