जयपुर. पंचायत राज चुनाव को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में मामले पर अहम सुनवाई होगी. सीजेआई की तीन सदस्य बेंच निजी पक्षकार की एसएलपी दायर पर सुनवाई करेगी. एसएलपी में राज्य सरकार भी अपनी ओर से पक्ष रखेगी. वहीं सुनवाई से पहले डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने गुरुवार को अधिकारियों के साथ में उच्च स्तरीय बैठक कर सुप्रीम कोर्ट में कानूनी पक्ष मजबूती से रखने की निर्देश दिए.
पंचायत चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 17 जनवरी को बता दें, कि डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने कहां की सरकार की तरफ से किसी भी तरह से कोई कानूनी अड़चन बाकी नहीं है. अब चुनाव कराने की जिम्मेदारी निर्वाचन आयोग की है. सरकार ने अपना पूरा काम कर दिया है. 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा कर यह साफ कर दिया कि पुनर्गठन का काम जो सरकार की तरफ से किया गया था, उसमें सभी कानून के नियमों का पालना की गई है. ऐसे में अब चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि वह ग्राम पंचायतों के साथ पंचायत समितियों के चुनाव भी जल्द से जल्द कराएं.
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पायलट ने कहा कि जो बाधाएं थी उन बाधाओं को हमने पूरा करते हुए राज्य निर्वाचन आयोग को लिखित में चिट्ठी भेज दी है और उनसे आग्रह किया है कि वह जल्द से जल्द चुनाव प्रक्रिया शुरू करें. साथ ही उन्होंने निर्वाचन आयोग को यह भी आश्वस्त किया कि सरकार के स्तर पर जो भी मदद चाहिए. वह सरकार पूरी तरीके से करेगी.
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सचिन पायलट ने कहा कि जिन पंचायत समितियों में लॉटरी का काम बाकी है. अगर उनके लिए भी निर्वाचन आयोग बोलता है तो हम वह प्रक्रिया भी जल्दी पूरी कराकर आयोग को सौंप देंगे. पायलट ने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि निर्वाचन आयोग समय पर चुनाव कराए, दरअसल स्थगित 2400 ग्राम पंचायतों के चुनाव के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जो 8 जनवरी को फैसला किया, उसके बाद असमंजस बना हुआ है.
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर चुनाव आयोग और राज्य सरकार लीगल ओपिनियन ले रही है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार की एसएलपी पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई थी. इसके बाद अब राज्य सरकार ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर पंचायतों के पुनर्गठन की तस्वीर साफ करते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब राजस्थान में 204 नई पंचायत और नौ पंचायत समितियों के पुनर्गठन का रास्ता साफ हो गया. सुप्रीम कोर्ट ने माना कि पंचायतों और पंचायत समिति का पुनर्गठन करना सरकार का अधिकार है. ऐसे में निर्वाचन आयोग जिन ग्राम पंचायतों की चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाई है और जिन ग्राम पंचायतों के कार्यक्रम जारी करने है वो काईवाई जल्द करे.
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बता दें, कि इससे पहले हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि 15 नवंबर के बाद पंचायती राज संस्थान के पुनर्गठन को लेकर सरकार की ओर से जारी की गई सभी अधिसूचना अवैध है, हालांकि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर हाईकोर्ट के आदेश को स्टे करवा दिया था, लेकिन अब फिर इसी मामले पर कल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है.