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कोरोना के चलते आर्थिक संकट से जूझ रहा प्रदेश, लेकिन जनता को नहीं आने दी जाएगी कोई कमी: रघु शर्मा

राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को कोरोना पर चर्चा के दौरान मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि कोविड-19 के चलते प्रदेश आर्थिक संकट से जूझ रहा है, लेकिन जनता को कोई कमी नहीं आने दी जाएगी.

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Published : Aug 21, 2020, 8:39 PM IST

Medical Minister Raghu Sharma, Raghu Sharma's statement in assembly
विधानसभा में कोरोना को लेकर रघु शर्मा का बयान

जयपुर.राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को कोरोना पर चर्चा हुई और इसके बाद सदन की कार्यवाही को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया. हालांकि पहले तय किया गया था कि आज ही सभी विधेयकों को पास करवा लिया जाएगा, लेकिन स्पीकर सीपी जोशी ने सदन के सदस्यों की सहमति के साथ सोमवार को बाकी बचे विधायी कार्य करने के लिए सदन को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया है.

विधानसभा में कोरोना को लेकर रघु शर्मा का बयान

इससे पहले कोरोना पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए मंत्री रघु शर्मा ने भाजपा की चुटकी लेते हुए अपनी बात शुरू की. उन्होंने कहा कि हमारे सदन में प्रधानमंत्री से भी बड़े भाजपा के नेता बैठे हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री जिन कामों की तारीफ कर रहे हैं. राजस्थान के भाजपा के नेता उनकी भी आलोचना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सदन में भाजपा नेताओं ने कहा कि अगस्त के महीने में पॉजिटिव केस ज्यादा आए हैं लेकिन मैं बताना चाहता हूं कि अगस्त में अगर पूरी दुनिया में अगर कहीं सबसे ज्यादा मरीज आए हैं, तो वह 12 लाख हिंदुस्तान में आए हैं. क्या वो केस हम लेकर आए हैं या मोदी जी लेकर आएं हैं.

विधानसभा में कोरोना को लेकर रघु शर्मा का बयान

सराफ के आरोपों को नकारा

वहीं 11 करोड़ रुपये के N-95 मास्क खरीदने के कालीचरण सराफ के आरोपों को उन्होंने सिरे से नकारा. उन्होंने कहा कि N-95 हो या पीपीई किट का प्रक्योरमेंट, इसका काम आरएमसीएल करती है, जो भाजपा के समय में ही बनी थी. प्लाज्मा थेरेपी के लिए पैसे लिए जाने की बात पर उन्होंने कहा कि शुरुआत में जरूर 16500 रुपये प्लाज्मा थेरेपी के लिए मरीजों से लिए जाते थे, लेकिन अब एक भी पैसा प्लाज्मा थेरेपी के लिए नहीं लिया जा रहा है.

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वेंटिलेटर की उपलब्धता को लेकर उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से प्रदेश को 1300 वेंटिलेटर प्राप्त हो चुके हैं, जिनमें कुछ पोर्टेबल वेंटिलेटर भी हैं. सभी जिलों में 945 नए वेंटिलेटर की आपूर्ति की जा चुकी है. साथ ही उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार ये प्रयास कर रही है कि किसी भी पेशेंट को वेंटिलेटर पर जाने की जरूरत ना पड़े, क्योंकि उसके बाद में केस को संभालना मुश्किल हो जाता है. यही कारण है कि राजस्थान में अभी महज 40 वेंटिलेटर की ही आवश्यकता पड़ी है. वहीं उन्होंने बताया कि मेडिकल एजुकेशन 315 वेंटिलेटर और खरीदे हैं, जिससे डिस्ट्रिक्ट लेवल और सब डिवीजन के अस्पतालों में वेंटिलेटर का इंस्टॉलेशन किया है.

चिकित्सा मंत्री आर्थिक स्थिति को रखा सामने

चिकित्सा मंत्री ने कोरोना के दौरान स्वास्थ्य के लिए किए गए कामों के साथ प्रदेश के खराब हुए आर्थिक हालातों की भी तस्वीर सदन के सामने रखी. उन्होंने कहा कि कोविड-19 का असर मार्च में ही दिखना शुरू हो गया था. लॉकडाउन की परिस्थिति में औद्योगिक वाणिज्य और व्यापारिक गतिविधियां बंद हो गईं, जिससे हमारी आय की भी कमी आई है. उन्होंने कहा कि केंद्र कि नोटबंदी और जीएसटी गलत तरीके से लागू करने के कारण आर्थिक मंदी के हालात पहले से थे, लेकिन कोविड-19 से आग में घी का काम हुआ. साल 2019- 20 में राजस्व में कमी आई है.

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उन्होंने कहा कि जो वित्तीय भार पिछली भाजपा सरकार छोड़ कर आई थी, कृषक ऋण माफी के 6000 करोड़ का भार, बिना बजट के 5000 करोड़ के सड़क निर्माण के काम, 7वें वेतन आयोग को लागू किए जाने से 2000 करोड़ रुपये के एरियर के भुगतान का, प्रधानमंत्री फसल योजना के बकाया समेत कुल 20000 करोड़ का बकाया राज्य सरकार ने चुकाया है. 20 फरवरी 2020 को जो बजट पास किया था. 22 मार्च को ही लॉकडाउन होने से राजस्व प्रतियों में 2 महीने में राजस्व की भारी कमी आई. पिछले साल की तुलना में साल 2020- 21 के पहले 2 महीने में कोविड-19 के चलते प्रदेश के कर राजस्व में 60 प्रतिशत और गैर कर राजस्व में 63 प्रतिशत की कमी आई है.

अनलॉक के बाद हालत में सुधार

चिकित्सा मंत्री ने सदन में कहा कि अनलॉक फर्स्ट के बाद राजस्थान में कुछ वृद्धि हुई है, लेकिन जून-जुलाई की आय पिछले साल के मुकाबले 18 से 20 प्रतिशत कम रही है. ये सिलसिला अगस्त महीने में भी उसी तरीके से रह सकता है. इस वित्तीय वर्ष के पहले 4 महीने में राज्य की खुद की राजस्व प्राप्ति में 30 प्रतिशत कमी रही है, वहीं केंद्र सरकार द्वारा राज्यों के केंद्रीय बजट में प्रावधान राशि में जुलाई से भारी कटौती आरंभ हो गई है. इस महीने में 800 करोड़ रुपये कम हस्तांतरित की गई है, जो अपेक्षित मासिक किस्त किस्त में 25 प्रतिशत की कमी है. इस अप्रत्याशित कटौती ने राज्य की स्थिति पर प्रतिकूल असर डाला है.

उन्होंने बताया कि कोरोना काल में राजस्थान सरकार ने अपना सामाजिक दायित्व निभाते हुए 35 लाख परिवारों को 12 सौ करोड़ रुपये, 35 सौ रुपये प्रति परिवार अनुग्रह राशि के तौर पर दी है. सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत अप्रैल, मई और जून में निशुल्क गेहूं का वितरण किया गया, जिसमें राज्य सरकार को 111. 39 करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ा. अब ये गेहूं का वितरण नवंबर तक होगा, जिस पर 185 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय होगा. जो परिवार राष्ट्रीय खाद्य योजना के तहत नहीं आते थे, उनके लिए भी राज्य सरकार ने 79 करोड़ रुपये में मार्केट से अतिरिक्त गेहूं खरीदा.

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रघु शर्मा ने बताया कि इस संकट काल में 37 श्रेणी के परिवार जो लॉकडाउन में प्रभावित हुए थे, उनका सर्वे करवाया गया. इन परिवारों को 10 किलो प्रति व्यक्ति गेहूं और 2 किलो चना प्रति परिवार उपलब्ध करवाया गया है. राजस्थान में प्रतिदिन 32000 जांच रोजाना कर रहे हैं. ऐसी परिस्थितियों में राजस्व स्रोतों में कमी हुई है. ऐसे में व्यय को सीमित किया जाना आवश्यक है. जिस पर राज्य सरकार काम कर रही है. ऐसे में राजकोषीय प्रबंधन के तहत राजस्थान में प्राथमिकताओं के हिसाब से पिछली बजट की घोषणाओं और अन्य खर्चों को किया जाएगा.

कोविड-19 के दौरान सरकार ने किए ये काम

मंत्री रघु शर्मा ने बताया कि वित्तीय हालात खराब होने के बावजूद राज्य सरकार ने कोरोना संकट के दौरान भी चिकित्सा ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए 7 मेडिकल कॉलेजों में 819 करोड़ रुपये दिए. मेडिकल एजुकेशन सोसायटी का पुनर्गठन कर 210 नए पदों का सृजन किया गया है. स्वास्थ्य मिशन के तहत 6310 सीएचएस की भर्ती की स्वीकृति दी है. 2020-21 में 37 नए राजकीय महाविद्यालय खोलने की स्वीकृति दी गई है. 16 नवसृजित तहसीलों उप तहसीलों में तहसीलदार और नायब तहसीलदारों को पंजीयन के अधिकार दिए हैं. प्रदेश में कुल 13652 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चल रही है. वहीं उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में कार्यरत संविदा कर्मियों को 25 सो रुपये बोनस दिया गया है.

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