जयपुर. लहरिया सिर्फ कपड़े पर उकेरा गया डिजाइन या स्टाइल भर नहीं है इसकी रंग बिरंगी धारियां शगुन और संस्कृति के वो सारे रंग समेटे है, जो यहां के जन जीवन का अटूट हिस्सा है ( Happy Hariyali Teej 2022). यहां सावन में लहरिया पहनना शुभ माना जाता है. जयपुर में सावन के महीने और विशेषकर तीज के अवसर पर धारण किया जाने वाला सतरंगी परिधान लहरिया खुशनुमा जीवन का प्रतीक है. ये राजस्थान का पारंपरिक पहनावा है. सावन के महीने में महिलाएं इसे जरूर पहनती हैं. नई ब्याहता को बड़े मान से लहरिया सौंपा जाता है.
हर आमोखास के दिलों में बसता है लहरिया. लगभग 17वीं शातब्दी में अस्तित्व में आए इस परिधान ने राजसी परिवारों का मान बढ़ाया. तब रॉयल्टी का रंग नीला ज्यादा प्रचलन में था. हां इससे पहले आड़ी तिरछी रेखाओं वको पगड़ियों में इस्तेमाल किया जाता था (Hariyali Teej 2022). आज भी राजसी घरानों से लेकर आम परिवारों तक लोक संस्कृति की पहचान लहरिया के रंगों के साथ बिखरी हुई है. बदलाव ये हुआ कि समय के साथ खास के साथ लहरिया आम परिवारों की पसंद भी बन गया. परम्परा बन गया. आज तीज पर नव विवाहिताओं और सगाई के बाद सिंजारे में लहरिया के सूट और साड़ियां शगुन के तौर पर भेजे जाते हैं. शोख गुलाबी रंग का विशेष महत्व होता है. सौभाग्य की देवी मां लक्ष्मी का प्रतीक चिन्ह है गुलाबी रंग.
तीज से पहले साड़ी विक्रेताओं की लहरिया से सजी धजी दुकानें ऐसे मोहक चित्र प्रस्तुत करती हैं जैसे वो कोई व्यापरिक प्रतिष्ठान नहीं बल्कि कला दीर्घा हो. ऐसी ही एक लहरिया विक्रेता ने बताया कि सावन के लिए बाजार में लहरिया की कई वैरायटी और अलग-अलग रंगों में साड़ियां, सूट और ओढ़नी आ जाते हैं. जितनी बारीक बंधेज हो लहरिए की कीमत उतनी ही ज्यादा हो जाती है. इस पूरे महीने में लहरिया की मांग बढ़ी रहती है. हालांकि बीते 2 साल इस पर्व के दौरान कोरोना की मार भी झेलनी पड़ी थी. लहरिए की साड़ी 300 रुपए से लेकर 15 हजार रुपए तक बाजारों में उपलब्ध है.