जयपुर.राजस्थान में की जा रही भर्तियों में बनाए गए रोस्टर से ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों में नाराजगी है. इसे लेकर सोमवार को पंजाब के कांग्रेस प्रभारी हरीश चौधरी ने गहलोत सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. चौधरी ने सरकार से कार्मिक विभाग की भर्तियों में इस्तेमाल किए जा रहे रोस्टर को बदलने की मांग की है. ऐसा न होने पर उन्होंने राजस्थान के सभी जिलों में आंदोलन की चेतावनी दी है.
चौधरी ने कहा कि भले ही कार्मिक विभाग ने भाजपा सरकार के समय में नियम बनाए लेकिन आज भी उन्हीं नियम के आधार पर भर्तियां की जा रही हैं. चौधरी ने कहा कि यह काला उप नियम अगर वापस नहीं लिया गया तो सरकार आने वाले समय में जो एक लाख नियुक्तियां देने वाली है, उसमें भी ओबीसी वर्ग के साथ अन्याय होगा. चौधरी ने कहा कि पहले ही राजस्थान में ओबीसी वर्ग को 21 फ़ीसदी आरक्षण दिया जा रहा है, जो वास्तविक ओबीसी की जनसंख्या से काफी कम है. ऐसे में सरकार जातिगत जनगणना करवाए. लेकिन इससे पहले भर्तियों को लेकर कार्मिक विभाग ने जो रोस्टर बनाया है उसे सही करें.
हरीश चौधरी ने गहलोत सरकार पर साधा निशाना पढ़े.Harish chaudhary Meet CM Gehlot: ओबीसी आरक्षण पर अशोक गहलोत से मिले हरीश चौधरी, भूतपूर्व सैनिक अधिनियम मामले में पहले की व्यवस्था लागू करने की मांग
चौधरी ने आरोप लगाया कि सिस्टम में बैठे लोग चाहते हैं कि सामान्य घरों के छात्र आंदोलन के रास्ते पर जाएं और उन पर मुकदमे हों, ताकि भविष्य में उन्हें नौकरी नहीं मिल सके. लेकिन अब हम अधिकार लेने के लिए नई परिस्थितियों और नए हथियारों के साथ आंदोलन करेंगे.
मुख्यमंत्री से मिला दो बार आश्वासन:हरीश चौधरी ने कहा कि इस मांग को लेकर वह मुख्यमंत्री से दो बार मुलाकात कर चुके हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी इसे ठीक करने का आश्वासन दिया है. वहीं हरीश चौधरी ने खुद मंत्री रहते हुए इस मामले को नहीं उठाने की बात पर जवाब देते हुए कहा कि जब वह मंत्री थे तो उनके संज्ञान में यह मामला और भर्तियों के आंकड़े नहीं थे. अब जब यह मामले सामने आए हैं तो हम हर हाल में ओबीसी वर्ग को न्याय दिलाने का प्रयास करेंगे.
गहलोत पर निशाना या ओबीसी को साधने का प्रयास
हरीश चौधरी ने भाजपा सरकार में बनाए गए भर्ती नियमों पर सवाल खड़े किए. साथ ही वर्तमान सरकार को भी पुराने नियम नहीं बदलने के लिए जिम्मेदार ठहराया. इससे राजनीतिक हलकों में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि हरीश चौधरी भी मुख्यमंत्री गहलोत और अपनी ही सरकार पर निशाना लगा रहे हैं. लेकिन इसके साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि जिस तरह से पार्टी इआरसीपी के जरिए पूर्वी राजस्थान को साधना चाहती है, उसी तरह भर्ती प्रक्रिया को सुधारने और जातिगत जनगणना की मांग के साथ वह पूरे प्रदेश की ओबीसी को अपने साथ जोड़ना चाहते हैं.