जयपुर.आरएलपी संयोजक और सांसद हनुमान बेनीवाल ने डूंगरपुर-उदयपुर टीएसपी क्षेत्र में हुए उपद्रव और उसको लेकर जताई गई आशंकाओं को देखते हुए प्रदेश सरकार से मांग की है कि इस पूरे घटनाक्रम की जांच एनआईए से करवाई जाए. बेनीवाल ने मुख्यमंत्री से यह भी आग्रह किया कि अभ्यर्थियों का जो आंदोलन हुआ, उस पर सरकार को तत्काल सुप्रीम कोर्ट जाकर इसका संवैधानिक हल निकालना चाहिए.
बेनीवाल ने ट्विटर के जरिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग की. साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी ट्वीट कर इस पूरे मामले से अवगत कराया. बेनीवाल की ओर से जारी बयान में कहा गया कि आंदोलन जिस मोड़ पर आया, उसमें राजस्थान सरकार की संवेदनहीनता व सरकार व पुलिस के इंटेलिजेंस का फेलियर भी बड़ा कारण रहा है. बेनीवाल ने कहा कि इतना बड़ा आंदोलन घटित हो जाना इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि सरकार को अनुसचित जनजातियों के हितों की कोई परवाह नहीं है. क्योंकि सरकार समय रहते अभ्यर्थियों के साथ वार्ता करती तो निश्चित तौर पर कोई न कोई हल निकलता.
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उन्होंने कहा कि टीएसपी क्षेत्र में अलग से आरक्षण का प्रावधान है. इसलिए टीएसपी क्षेत्र में विकास करवाने व वहां के लोगों को सामाजिक व आर्थिक रूप से समृद्ध करने की बात पर सरकार को गौर करने की जरूरत है. सांसद ने कहा कि यदि मौजूदा भर्ती में खाली रहे पदों को अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों से भरे जाने में किसी प्रकार की संवैधानिक अड़चन आ रही थी, तो समय पर सरकार को आंदोलनकारियों के साथ वार्ता करके सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए था.
एनआईए से हो जांच
सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि राजस्थान की सरकार व सरकार के अधिकारी जब यह कह रहे हैं कि झारखंड तथा छत्तीसगढ़ सहित नक्सल प्रभावित क्षेत्रों व एक विशेष विचारधारा के लोगों ने यहां आकर आंदोलन को हिंसात्मक रुख दिया, जो प्रदेश के लिए भी अशुभ संकेत है. क्योंकि प्रदेश के एक कोने से इस प्रकार आंदोलन का होना और उसमें भी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लोगों का हाथ होना प्रदेश के लिए घातक सिद्ध हो सकता है. यह सब जब राज्य सरकार व सरकार के अफसरों के संज्ञान में था, तो समय रहते राज्य सरकार ने उन पर कार्रवाई क्यों नहीं की, यह भी अपने आप में राजस्थान सरकार पर बड़ा सवालिया निशान है. इसलिए राजस्थान सरकार को बिना किसी देरी के मामले की जांच एनआईए से करवाने हेतु केंद्र को सिफारिश भेजने की आवश्यकता है, ताकि मामले की सत्यता की पुष्टि हो सके.
अफसरों के गैर जिम्मेदाराना बयान
जहां उपद्रव भड़का वहां आगजनी की घटनाएं पुलिस ने भी की और पुलिस ने इस पूरे घटनाक्रम में निर्दोष लोगों के वाहनों को जलाया और मामले में गलत गिरफ्तारियां दिखाई और जो हालात वार्ता के साथ काबू में आ सकते थे. उन हालातो को गोली चलाकर बिगाड़ा व भागते हुए लोगों पर पुलिस ने गोली चलाई, जो पुलिस की कायरता को दर्शाता है. इसलिए मामले में उदयपुर रेंज के संभागीय आयुक्त व रेंज आईजी, डूंगरपुर जिले के कलेक्टर व जिला पुलिस अधीक्षक सहित तमाम उन जिम्मेदार अफसरों को एपीओ करना चाहिए, जो मौका स्थिति पर कायर रुख अपनाते हुए पीठ दिखाकर भाग गए.
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