जयपुर. भाजपा के प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह की ओर से हाल ही में आरएलपी को लेकर दिए गए वक्तव्य पर आरएलपी संयोजक और सांसद हनुमान बेनीवाल ने तीखा पलटवार किया है. बेनीवाल ने कहा कि अरुण सिंह का ना तो स्वयं का कोई जनाधार है और ना ही उन्हें राजस्थान के बारे में कोई ज्ञान है.
बेनीवाल ने एक बयान जारी कर कहा कि अरुण सिंह ने आज तक सरपंच तक का चुनाव नहीं लड़ा और राज्यसभा सांसद का पद और राजस्थान का प्रभार उन्हें इसलिए मिल गया क्योंकि वो केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के रिश्तेदार हैं, जबकि जनता के मतों से वो वार्ड पंच भी निर्वाचित नहीं हो पाए.
RLP ने भाजपा को संकट का साथी बनकर दिया था साथः बेनीवल
हनुमान बेनीवाल ने अपने बयान में कहा कि राजस्थान में आरएलपी के विधायकों ने बिना किसी शर्त के भाजपा का साथ दिया और गहलोत सरकार के खिलाफ विधानसभा में हुए फ्लोर टेस्ट में आरएलपी विधायक भाजपा के साथ खड़े रहे, लेकिन भाजपा के ही 8 विधायक इस दौरान सदन से गायब हो गए थे, ताकि गहलोत सरकार को बचाया जा सके.
जनता ने तीन बार विधायक एक बार सांसद बनाया, अरुण सिंह को सवाल उठाने का हक नहींः बेनीवल
हनुमान बेनीवाल ने कहा कि जनता ने उन्हें तीन बार विधायक और एक बार सांसद बनाया यह जनता का ही भरोसा है, ऐसे में उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाने का हक अरुण सिंह को नहीं है, क्योंकि आरएलपी जनता के हित के मुद्दों को लेकर लड़ाई लड़ रही है. बेनीवाल ने कहा कि आरएलपी मिशन 2023 को लेकर काम कर रही है, ऐसे में किसी भी चुनाव में आरएलपी ने भाग लिया और उसका फायदा किसी अन्य दल को हुआ तो उससे हमें कोई वास्ता नहीं है, क्योंकि हम आम आदमी के हक और अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं.
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बेनीवाल ने अरुण सिंह को दी चुनौती!
हनुमान बेनीवाल ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का गठबंधन भाजपा से हुआ. ऐसे में भाजपा को ना केवल राजस्थान राज्य बल्कि अन्य राज्यों में भी इसका फायदा हुआ. जहां तक अरुण सिंह के वक्तव्य का सवाल है उन्हें अगर इतना भरोसा है तो वे राजस्थान में भाजपा के कुछ सांसदों से त्यागपत्र दिलवा दें, उसके बाद में भी नागौर से त्यागपत्र देकर आरएलपी से चुनाव लड़ूंगा और उसके बाद परिणामों में नागौर में भाजपा की स्थिति तीसरे नंबर पर रहेगी.
अरुण सिंह ने बेनीवाल के लिए दिया था यह वक्तव्य
राजस्थान प्रवास के दौरान भाजपा प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने मीडिया में दिए इंटरव्यू में यह बयान दिया था कि हनुमान बेनीवाल की कोई विश्वसनीयता नहीं है. मोदी लहर के सहारे वो जीत गए और सांसद बने और अब उन्हें जहां फायदा दिखा वहां चले गए.