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संतों के आंदोलन को गहलोत सरकार ने किया अनदेखा, संत के आत्मदाह मामले की हो सीबीआई जांच- हनुमान बेनीवाल

अवैध खनन के विरोध में संत विजय दास ने आत्मदाह कर लिया. इलाज के दौरान उनकी दिल्ली के एक अस्पताल में मौत हो (Bharatpur saint died in Dehli hospital) गई. अब यह मामला सियासी तूल पकड़ता जा रहा है. बीजेपी के बाद अब राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है. आम आदमी पार्टी ने भी इस मामले में सरकार को घेरा है.

Hanuman Beniwal demands CBI inquiry in saint death case
संतों के आंदोलन को गहलोत सरकार ने किया अनदेखा, संत के आत्मदाह मामले की हो सीबीआई जांच- हनुमान बेनीवाल

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Published : Jul 23, 2022, 8:42 PM IST

जयपुर. संत विजय दास के आत्मदाह मामले ने तूल पकड़ लिया है. पहले बीजेपी और अब राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने भी इस पूरे मामले में गहलोत सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हनुमान बेनीवाल ने गहलोत सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि खनन के विरुद्ध संतों के आंदोलन को गहलोत सरकार ने अनदेखा किया, जिसकी वजह से एक संत को आत्मदाह करना पड़ा. सरकार ने इस आंदोलन को अनदेखा किसके दबाव में किया, इसकी जांच सीबीआई से होनी (Beniwal demands CBI inquiry in saint death case) चाहिए.

पर्यावरण को बचाने के लिए संत ने दी शहादत: बेनीवाल ने दिल्ली में उपचार के दौरान संत के निधन हो जाने पर शोक व्यक्त किया. सांसद ने कहा पर्यावरण को बचाने के लिए संत ने शहादत दी है. बड़ी संख्या में 551 दिन से संत धरना दे रहे हैं, लेकिन गूंगी बहरी हो चुकी प्रदेश की गहलोत सरकार को दिखाई नहीं दे रहा था. सरकार भू माफियाओं के दबाव में काम कर रही है. सरकार की आंखे खोलने के लिए एक संत को आत्मदाह करना पड़ा. यह गहलोत सरकार की नाकामी को दर्शाता है.

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सीबीआई जांच की मांग की:बेनीवाल ने कहा कि आखिर ऐसी क्या परिस्थितियां बनीं, जो एक संत को आत्मदाह करने के लिए मजबूर कर दिया. इसलिए पूरे मामले की सीबीआई जांच करवाना जरूरी है. बेनीवाल ने कहा कि आज न केवल राजस्थान बल्कि देश भर में खनन माफिया सिस्टम को चुनौती देते नजर आ रहे हैं. विगत दिनों हरियाणा के नूंह जिले में खनन माफियाओ ने डीएसपी सुरेंद्र सिंह बिश्नोई की हत्या कर दी और ऐसे कई उदाहरण देश भर में देखने को मिल जायेंगे, जहां सरकार और सिस्टम ऐसे माफियाओं के आगे मूकदर्शक बने हुए हैं.

गहलोत को कुर्सी की चिंता:सांसद ने कहा कि मुख्यमंत्री केवल कुर्सी बचाने में व्यस्त (Beniwal targets on CM Gehlot) हैं. उनके लिए खनन माफियाओं पर लगाम लगाने से ज्यादा कुर्सी बचाना जरूरी है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा की राजस्थान सरकार के एक दर्जन से अधिक विधायक और मंत्री अवैध खनन की गतिविधियों में संलिप्त हैं और खनन माफियाओं को संरक्षण दे रहे हैं. वहीं कहा कि कांग्रेस के एक वरिष्ठ विधायक के लगातार सरकार के ही खान मंत्री पर अवैध खनन करवाने, खनन माफियाओं को संरक्षण देने व खान विभाग में भ्रष्टाचार बढ़ाने के आरोप लगा रहे हैं और खान मंत्री को बर्खास्त करने की मांग कर रहे हैं. इससे ज्यादा विडंबना नहीं हो सकती.

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आम आदमी पार्टी ने भी उठाए सवाल:आम आदमी पार्टी राजस्थान के चुनाव प्रभारी विनय मिश्रा ने गहलोत सरकार पर कमजोर और नाकारा होने का आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रदेश में विधायकों और मंत्रियों को मनमानी की छूट दे दी गई (AAP on saint death case) है. क्योंकि सीएम गहलोत को किसी भी कीमत पर अपनी सरकार बचानी है. मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस के ही एक वरिष्ठ नेता और सांगोद के विधायक भरतसिंह ने खनन मंत्री को ही खनन माफिया कहा है.

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संत की मौत सरकार की असफलता: मिश्रा ने कहा कि भरतपुर जिले में खनन माफिया के खिलाफ एक संत ने आत्मदाह कर लिया. उसे समय पर इलाज दिलाने में भी सरकार असफल रही. राजस्थान देश का सबसे बड़े भूभाग का प्रान्त है लेकिन राज्य सरकार के पास इमरजेंसी हवाई सेवा के लिए अपना कोई साधन नहीं है. मिश्रा ने कहा कि भरतपुर की घटना में भी कांग्रेस के ही एक विधायक के परिजनों को फायदा पहुंचाने मकसद से काम किया जा रहा था, जिसका जनता विरोध कर रही थी. उन्होंने अवैध खनन में पुलिस की मिलीभगत होने का आरोप भी लगाया.

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