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नगरीय निकायों के प्रमुख के अधिकारों में कटौती पर भड़के कटारिया, CM गहलोत से की ये मांग - राजस्थान न्यूज

प्रदेश के नगरीय निकायों के महापौर, सभापति और अध्यक्ष के अधिकारों में कटौती से जुड़े स्वशासन निदेशक के आदेश पर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कड़ी आपत्ति जताई है. इसको लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि इस परिपत्र पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए इसे जल्द से जल्द निरस्त करें.

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स्वशासन निदेशक के आदेश पर गुलाबचंद कटारिया ने जताई आपत्ति

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Published : Jun 21, 2020, 5:49 PM IST

जयपुर. प्रदेश के नगरीय निकायों के महापौर, सभापति और अध्यक्ष के अधिकारों में कटौती से जुड़े स्वशासन निदेशक के आदेश पर भाजपा ने कड़ी आपत्ति दर्ज की है. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने भी इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर 16 जून को जारी स्वायत शासन विभाग के निदेशक के आदेश को निरस्त करने की मांग की है.

गुलाबचंद कटारिया ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

दरअसल, 16 जून को स्वायत शासन विभाग के निदेशक और संयुक्त सचिव की तरफ से जारी आदेश में नगरीय निकायों के निर्माण और अन्य कार्यों से संबंधित पत्रावलियों के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए गए थे. इसमें नगरीय निकायों में महापौर, सभापति और अध्यक्ष ने किसी भी पत्रावली की मांग किए जाने पर पत्रावली नहीं भेजे जाने और आयुक्त और अधिशासी अधिकारी की अनुमति के बाद ही ऐसी पत्रावली की छाया प्रति भेजने के निर्देश दिए थे. जिसको लेकर गुलाबचंद कटारिया का आरोप है कि निदेशक ऐसा पत्र जारी करके निकाय प्रमुखों को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं.

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मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कटारिया ने लिखा कि राजस्थान नगर पालिका संशोधन अधिनियम 2017 के तहत राजस्थान नगरपालिका अधिनियम की धारा में उपधारा (V।।) जोड़कर निकाय प्रमुखों की शक्तियों में वृद्धि करके निकाय प्रमुखों के अधिकारियों और कर्मचारियों पर अधीक्षण और नियंत्रण के अधिकार प्रदान किए गए हैं. लेकिन 16 जून 2020 को नगर पालिका अधिनियम की भावना और मंशा के विपरीत निदेशक ने आदेश जारी कर दिया. कटारिया की मानें तो विधि अनुसार अधिनियम और परिपत्र में विरोधाभास होने की दशा में अधिनियम के प्रावधानों को ही सर्वोच्च प्रभावी माना जाता है. इसके बावजूद भी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा विधि विरुद्ध पत्र जारी किया गया. कटारिया ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस परिपत्र पर गंभीरतापूर्वक विचार करते हुए इसे जल्द से जल्द निरस्त करें.

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