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सदन में सवाल : दागी अधिकारियों पर कब होगी कार्रवाई...कटारिया बोले, '2013 से अभियोजन स्वीकृति के 279 केस पेंडिंग' - दागी अधिकारियों पर कार्रवाई

राजस्थान विधानसभा में एसीबी के शिकंजे में आए दागी अधिकारियों पर अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिल पाने का मामला भी गुंजा. शून्यकाल में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने यह मामला उठाते हुए कहा कि एसीबी ने जिस प्रकार भ्रष्ट लोगों पर शिकंजा कसा है, ये राजस्थान के लिए सौभाग्य की बात है, लेकिन दुख इस बात का है कि इतने प्रयत्नों के बाद भी इन अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होती.

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नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया

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Published : Feb 12, 2021, 3:22 PM IST

जयपुर. कटारिया ने सदन में कहा कि अब भी साल 2013 से 2021 तक 279 मामले पेंडिंग पड़े हैं. कटारिया के अनुसार सरकारें आएंगी और जाएंगी, अगर ​इन दागी लोगों को सजा दिलाते हैं तो प्रदेश का भविष्य अच्छा रहेगा. कटारिया ने कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में कलेक्टर जैसे लोग पकड़ में आ रहे हैं. हमारे एसपी और एसडीएम बंधी ले रहे हैं, रोजाना एक केस एसीबी टीम ने ट्रैप किया है. आय से अधिक संपत्ति के केस बने हैं, इसके बाद भी कार्रवाई नहीं होने से गलत संदेश जा रहा है.

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया...

नेता प्रतिपक्ष ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट का डायरेक्शन है कि इस तरह के मामलों में तीन महीने में सरकार से इजाजत मिलनी चाहिए. आज भी ऐसे आईएएस अधिकारी हैं, जिनके खिलाफ 2017 से कार्रवाई की स्वीकृति नहीं मिली है. ऐसे मामलों में जल्द से जल्द कार्रवाई होनी चाहिए. कटारिया ने आईएएस नीरज के. पवन, जिला रसद अधिकारी निर्मला मीणा के अलावा अमृतलाल जीनगर, आस मोहम्मद, नरेंद्र कुमार थौरी, दुर्गेश बिस्सा, चंद्रभान सिंह सहित कई अधिकारियों का नाम लेते हुए कहा कि बरसों से इन लोगों के केस पेंडिंग पड़े हैं. जिस प्रकार से हमारी वर्किंग चल रही है वो इन अधिकारियों के हौसले बुलंद कर रही है. इसलिए सरकार इस तरह के मामलों में जल्द से जल्द स्वीकृति दे, ताकि दोषियों पर कार्रवाई हो सके.

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जीरो टॉलरेंस की भाषा बोलना आसान है...

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि लंबे समय तक केस को पेंडिंग रखने के बाद विभाग असहमति लिखकर भेज देता है. अगर आपको असहमति देनी है तो तीन-चार महीने में भेज दो, लेकिन इसे लटकाना नहीं चाहिए. क्योंकि इससे मनोबल टूटता है. कटारिया ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जीरो टॉलरेंस की भाषा बोलना आसान है, लेकिन पेंडेंसी को लटकाए रखना भ्रष्टाचार को बढ़ाने का षड्यंत्र है.

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