जयपुर. अगले विधानसभा चुनाव को लेकर राजस्थान बीजेपी पूरी तरह चुनावी मोड में आ (Rajasthan VidhanSabha Election) चुकी है. चुनाव में करीब डेढ़ साल का समय शेष है, लेकिन अभी से मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर भाजपा नेताओं के बीच जंग जारी है. इस बीच नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने खुद को मुख्यमंत्री की रेस से बाहर बताते हुए कहा कि दावेदारी तो सब कर सकते हैं, लेकिन इसका निर्णय केंद्रीय आलाकमान करेगा. उसमें जो भी बाधक बनेगा उसे मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया जाएगा.
दावेदारी सब कर सकते हैं, मैं CM की रेस में नहीं...केंद्र के निर्णय में बाधक बनने वाले को मक्खी की तरह निकालकर फेंक दिया जाएगा-कटारिया
राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव (Rajasthan VidhanSabha Election) को लेकर भाजपा में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर जंग की बात पर गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि अंतिम निर्णय केंद्र करता है. इसमें बाधा बनने वाले को दूध में से मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया जाएगा.
सोमवार को जयपुर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कटारिया ने कहा कि उन्हें पार्टी ने जो भी काम दिया है, उसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया है. कटारिया ये भी कहते हैं कि उन्हें नहीं लगता कि वो सीएम बनेंगे. कटारिया ने कहा कि वो 75 वर्ष से अधिक उम्र के हैं. पार्टी ने अब तक जो भी जिम्मेदारी उन्हें दी, उन्होंने उसे निभाया है. मुख्यमंत्री की दावेदारी से जुड़े सवाल पर कटारिया ने कहा कि भाजपा की कृपा और कार्यकर्ताओं के प्यार के कारण ही वो यहां हैं. लेकिन कुछ लोग अपने नशे में इस बात को भूल जाते हैं. ये उनका दुर्भाग्य है और पार्टी के लिए भी अच्छी बात नहीं है.
मक्खी की तरह निकालकर फेंक दिया जाता हैःकटारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री पद को लेकर दावेदारी तो कोई भी कर (Gulab Chand Kataria statement on bjp leaders) सकता है, लेकिन अंतिम निर्णय केंद्रीय संसदीय बोर्ड और आलाकमान ही करते हैं. जो निर्णय केंद्र करता है, हम सब मिलकर उस पर काम करते हैं. जब कटारिया से पूछा गया कि राजस्थान भाजपा में ही अगले मुख्यमंत्री पद को लेकर कई दावेदार सामने आ रहे हैं, ऐसे में पार्टी की परेशानी कितनी बढ़ेगी?. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि केंद्र का जो निर्णय होता है उसमें कोई बाधक नहीं बन सकता. जो बनता है उसे दूध में से मक्खी की तरह निकालकर फेंक दिया जाता है. कटारिया ने कहा पार्टी से बाहर होकर ऐसे नेताओं को वापस बीजेपी परिवार में ही वापस आना पड़ता है. इस दौरान उन्होंने उमा भारती और दिवंगत नेता कल्याण सिंह का उदाहरण दिया.