जयपुर. करीब 1 साल 2 महीने के बाद 14 मार्च को ग्रेटर नगर निगम की बोर्ड बैठक होगी. ग्रेटर नगर निगम में अपने ही विपक्ष की भूमिका अदा कर रहे हैं. बुधवार को बजट पर चर्चा किए बिना अनुमोदन के लिए भेजने, एग्जीक्यूटिव कमेटी की मीटिंग नहीं होने, पिछली बोर्ड बैठक में तय किए गए लैपटॉप और सफाई कर्मचारी उपलब्ध कराने के एजेंडे पर कार्रवाई नहीं होने जैसे प्रकरणों को लेकर कई बीजेपी पार्षद और समिति चेयरमैनों ने उपमहापौर की अगुवाई में महापौर के पास पहुंच आक्रोश व्यक्त किया. जिस पर महापौर ने जल्द एग्जीक्यूटिव कमिटी की बैठक किए जाने और 14 मार्च को बोर्ड बैठक करने का फैसला लिया. इस दौरान उन्होंने बिना चर्चा के बजट को अनुमोदन के लिए सरकार को भेजने को लेकर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यदि प्रस्ताव देर से भेजते तो हो सकता था कि सरकार बजट ही अटका (Somya Gurjer on Greater nagar nigam budget) देती.
महापौर सौम्या गुर्जर ने कहा कि 2 फरवरी को दोबारा सीट संभालने के साथ ही पार्षदों को बोर्ड मीटिंग के संबंध में पत्र भेजा गया. यूं तो बोर्ड मीटिंग हर 2 महीने में होनी चाहिए. लेकिन किन्हीं कारणों से अब तक हो नहीं सकी. बीते 8 महीने से पार्षदों की जो परेशानी थी, उनका निवारण करने के लिए मीटिंग के एजेंडे मांगे गए. साथ ही अधिकारियों को भी बोर्ड मीटिंग कराए जाने को लेकर निर्देशित किया गया. अब 14 मार्च को बोर्ड मीटिंग कराए जाने का फैसला लिया है. इस संबंध में विधायकों की अनुमति के लिए पत्र भी तैयार कर लिए गए हैं. इसके अलावा एग्जीक्यूटिव कमिटी की मीटिंग को लेकर सभी सदस्यों की ओर से साइन कर एजेंडे आए हैं. उन पर भी विचार किया जा रहा है. इसके अलावा भी कोई एजेंडा होंगे. जल्द ही एग्जीक्यूटिव कमिटी की भी मीटिंग होगी.
उपमहापौर, चेयरमैन और अन्य पार्षदों की ओर से बिना चर्चा किए बजट अनुमोदन के लिए राज्य सरकार को भेजने पर उठाए जा रहे सवालों का जवाब देते हुए महापौर ने कहा कि वित्त कमेटी की ओर से बजट पास होने के बाद राज्य सरकार को भेजे जाने की एक प्रक्रिया है. उन्होंने तर्क दिया कि ग्रेटर नगर निगम में बीजेपी का बोर्ड है. यदि समय पर राज्य सरकार के पास प्रस्ताव नहीं पहुंचता, तो विलंब का हवाला देकर हो सकता था कि बजट ही रोक दिया जाता. यही वजह थी कि वित्त समिति से पास हुए बजट को विकास कार्यों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार को अनुमोदन के लिए भेजा गया.