जयपुर. ग्रेटर नगर निगम के उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने राज्य सरकार पर ग्रेटर निगम के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया है. साथ ही कहा है कि राज्य सरकार ने ग्रेटर निगम को 1 रुपए भी ग्रांट नहीं दिया. क्षेत्र में जो भी विकास कार्य हो रहे हैं, वो केंद्र सरकार से मिले ग्रांट से हो रहे हैं. यही नहीं जो एनकैप का पैसा 60:40 के अनुपात में बांटा जाना चाहिए था, उसका बंटवारा भी 50:50 किया गया. कर्णावट ने राज्य सरकार पर नगरीय निकायों को कमजोर करने का भी आरोप लगाया है.
उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि नगर निगम के एक वर्ष का कार्यकाल का बड़ा हिस्सा कोरोना महामारी से प्रभावित रहा है. जिसमें अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए लोगों की सेवा करने का प्रयास किया गया है. पार्षदों के सहयोग से 500 से ज्यादा वैक्सीनेशन कैम्प आयोजित किए गए. उन्होंने ग्रेटर निगम को संसाधनों के आवंटन और निगम के अधिकारों के मामले में राज्य सरकार की ओर से लगातार पक्षपात करने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया.
संसाधन कम, भुगतान ज्यादा
उन्होंने कहा कि भौगोलिक दृष्टि से शहर का लगभग दो तिहाई हिस्सा ग्रेटर निगम में आता है. एक तिहाई हिस्सा हेरिटेज में. लेकिन पूर्वाग्रह से ग्रस्त राज्य की कांग्रेस सरकार ने संसाधनों के बंटवारे में भेदभाव करते हुए मात्र 40 प्रतिशत सफाई कर्मचारी ग्रेटर को और 60 प्रतिशत कर्मचारी हेरिटेज को आवंटित किए. जबकि भुगतान दायित्व के मामले में इसका ठीक उल्टा करते हुए 60 प्रतिशत पुराने बिजली बिलों के भुगतान की जिम्मेदारी ग्रेटर पर और 40 प्रतिशत जिम्मेदारी हेरिटेज को दी है.
उपमहापौर ने कहा कि आपसी लड़ाई के चलते कांग्रेस पार्टी एक वर्ष बाद भी हेरिटेज में समितियों का गठन करने में नाकाम रही है. हेरिटेज निगम के साथ भी राज्य सरकार न्याय नहीं कर रही उसे भी पंगु बना रखा है. जबकि नगर निगम ग्रेटर में लोकतांत्रिक तरीके से गठित समितियों पर रोक लगाकर कांग्रेस सरकार ने नगर निगम ग्रेटर में हुई अपनी हार के कारण पहले अपनी कुंठा का परिचय दिया. उसके बाद जब कोर्ट के आदेश से समितियों को काम करने की छूट मिली, तो मात्र सात समितियों के अलावा सभी समितियों के अधिकारों को छीनकर कांग्रेस सरकार ने तानाशाही करने का काम किया है.