जयपुर. राजस्थान में आरपीएससी (RPSC) में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा (Education Minister Govind Singh Dotasra) की पुत्रवधु प्रतिभा के भाई गौरव और बहन प्रभा के आरएएस (RAS) बनने और इंटरव्यू में 80 प्रतिशत से अधिक अंक मिलने के मामले में सोशल मीडिया पर जमकर बहस चल रही है. चर्चा इस बात की चल रही है कि डोटासरा ने अपने पद का इस्तेमाल करते हुए यह सिलेक्शन करवाए हैं.
इस मामले में राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (PCC Chief) ने साफ कहा कि जो बच्चा टैलेंटेड होता है वही आरएएस बनता है, न की किसी के रिश्तेदार होने से. उन्होंने कहा कि अगर किसी को मेरे नाम से फायदा मिलता तो क्या वह अपने बड़े बेटे और पुत्रवधु को जो पोस्ट ग्रेजुएट हैं, उन्हें भी आरएएस नहीं बनवा देते ?
डोटासरा ने कहा कि आरएएस की परीक्षा राजस्थान में प्रतिष्ठित परीक्षा है, जिसे आरपीएससी पारदर्शी तरीके से करवाता है. चाहे शासन भाजपा का रहा हो या कांग्रेस का, जिस बच्चे का आरएएस में सिलेक्शन होता है वह अपने टैलेंट के चलते पहले आरएएस प्री-एग्जाम पास करता है. उसमें सिलेक्ट होने के बाद आरएएस मेन परीक्षा पास करता है और उसमें सिलेक्ट होने के बाद वह इंटरव्यू में पहुंचता है. सभी नंबर मिलाकर आरएएस में चयन होता है.
ऐसे में अगर कोई बच्चा पूरी तैयारी करके आरएएस का मुकाम हासिल करता है तो इसमें किसी राजनेता का कोई लेना-देना नहीं होता है. उन्होंने आगे कहा कि भाजपा के राज में भी आरएएस के इंटरव्यू होते थे और कांग्रेस के राज में भी आरएएस के इंटरव्यू होते हैं. लेकिन सिलेक्शन उन्हीं बच्चों का होता है जो टैलेंटेड होते हैं. उन्होंने कहा कि यह केवल सोशल मीडिया का एक प्रोपेगेंडा है. जिस बच्चे की बात हो रही है वह दिल्ली यूनिवर्सिटी का टॉपर रहा और जो बच्ची है वह मेडिकल पास करके दो बच्चों को पालते हुए मेहनत करके आरएएस बनी है.
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यहां तक कि जो इंटरव्यू लेने वाले लोग होते हैं वह सोच समझकर नंबर देते हैं. किसी के रिश्तेदार होने या किसी के जानकार होने से नंबर नहीं देते. डोटासरा ने कहा कि मेरे बेटे अविनाश का भी RAS 2016 में सिलेक्शन हुआ था. उस समय भाजपा का राज था तो वहीं मेरी बहू प्रतिभा जब पास हुई थी उस समय भी भाजपा का राज था. यहां तक कि उस समय तो प्रतिभा से रिश्ता भी तय नहीं किया गया था. ऐसे में उस सिलेक्शन से मेरा क्या लेना देना ? अब मेरी पुत्रवधु के रिश्तेदार आरएएस बनते हैं तो वह अपने टैलेंट से बने हैं, न की किसी की सिफारिश से.
इस तरह की अफवाह सोशल मीडिया में वह लोग करते हैं, जिनका सलेक्शन नहीं होता है. आरएएस एग्जाम पारदर्शी तरीके से होता है. राजस्थान में ऐसी कोई परंपरा नहीं रही कि किसी के कहने पर नंबर दे दिया जाए. डोटासरा ने कहा कि 2016 के एग्जाम में मैं जब सामान्य विधायक था और राज भी भाजपा का था, तो अगर उस समय प्रतिभा और अविनाश के नंबर आए तो उससे मेरा क्या संबंध हो सकता है. यहां तक कि उस समय तो मेरे बेटे का रिश्ता भी प्रतिभा से तय नहीं हुआ था और अगर अब प्रतिभा के रिश्तेदार आरएएस बने हैं तो वह आरएएस प्री और मेन एग्जाम पास करने के बाद हुए, इंटरव्यू से ही बने हैं. अगर वह एग्जाम फाइट नहीं करते और उसमें पास नहीं होते तो नंबर कहां से मिलते.
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ऐसे में यह आरोप कि मेरा इससे कोई लेना-देना है, यह गलत है. अगर मैं करवा सकता तो मेरी पूरी विधानसभा को आरएएस बनवा देता और अगर ऐसे ही आरएएस बनते हैं तो क्या मैं अपने बड़े बेटे और बहू को भी RAS नहीं बनवा सकता था. जबकि वह पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं.
गौरतलब है कि आरएएस परीक्षा में गोविंद सिंह डोटासरा की पुत्रवधु के भाई गौरव और बहन प्रभा आरएएस बने हैं और उनके इंटरव्यू में 80 प्रतिशत अंक आए हैं. तो वहीं 2016 में आरएएस परीक्षा में गोविंद डोटासरा की पुत्रवधु प्रतिभा के भी 80 प्रतिशत अंक आए थे. जबकि हकीकत यह है कि जब डोटासरा की पुत्रवधु का सिलेक्शन हुआ था उस समय डोटासरा के बेटे से प्रतिभा का रिश्ता ही तय नहीं हुआ था.