राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

राज्यपाल ने तीसरी बार लौटाई पत्रावली, 3 बिंदुओं के साथ सत्र नहीं बुलाने का तर्क रखते हुए जारी किया बयान

राजस्थान में सरकार Vs राजभवन की स्थिति बनती दिखाई दे रही है. तीसरी बार प्रदेश सरकार की ओर से भेजी गई पत्रावली को राजभवन ने वापस लौटा दिया है. वहीं, अब राज्यपाल ने बयान जारी कर यह साफ कर दिया है कि नियम अनुसार सदन आहूत करने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में 21 दिन के नोटिस पर ही सत्र बुलाया जाना उचित होगा.

rajasthan political update, rajasthan political crisis,   Governor returned proposal third time
राज्यपाल ने तीसरी बार लौटाई पत्रावली

By

Published : Jul 29, 2020, 7:43 PM IST

जयपुर. प्रदेश में चल रहे सियासी घमासान के बीच राजभवन और सरकार के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है. राज्यपाल कलराज मिश्र ने लगातार तीसरी बार प्रदेश सरकार की ओर से भेजी गई पत्रावली को ये कहते हुए लौटा दिया है कि जो जानकारी पूर्व में राज्य सरकार से मांगी गई थी उन बिंदुओं पर अब तक सरकार ने जानकारी क्यों नहीं दी.

राज्यपाल ने तीसरी बार लौटाई पत्रावली

राज्यपाल ने बयान जारी कर यह भी साफ कर दिया कि नियम अनुसार सदन आहूत करने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में 21 दिन के नोटिस पर ही सत्र बुलाए जाना उचित होगा. बुधवार दोपहर को जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजभवन पहुंचकर राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात की तो इसके करीब डेढ़ घंटे बाद राज्यपाल ने यह बयान जारी किया.

बयान के जरिए राज्यपाल ने साफ कर दिया कि संविधान प्रजातांत्रिक मूल्यों की आत्मा है और नियम अनुसार सदन आहूत करने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं. हालांकि अपने बयान में राज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 174 एक को स्पष्ट करते हुए उसमें राज्यपाल के अधिकारों का भी उल्लेख कर दिया.

ये भी पढ़ें-राजभवन ने तीसरी बार लौटाया सत्र बुलाने का प्रस्ताव, CM गहलोत ने बुलाई कैबिनेट की बैठक

तीन बिंदुओं की जानकारी अब तक सरकार ने राजभवन को नहीं दी-

राजभवन की ओर से जारी बयान में यह भी साफ कर दिया गया कि पिछली बार जब प्रदेश कैबिनेट की ओर से विधानसभा सत्र आहूत करने को लेकर जो पत्रावली आई थी उस पर जिन तीन बिंदुओं पर सरकार से जवाब मांगा गया था. उसका जवाब अब तक सरकार की ओर से राजभवन में नहीं भेजा गया है. साथ ही हाल ही में जो कैबिनेट की बैठक के बाद पत्रावली भेजी गई है. उसमें भी उन बिंदुओं को लेकर कोई स्पष्ट जवाब या कारण नहीं बताया गया.

वर्तमान परिपेक्ष का भी किया बयान में उल्लेख-

राजभवन से जारी किए गए बयान में वर्तमान परिपेक्ष का भी उल्लेख किया गया और 3 बिंदुओं में मौजूदा समय में विधानसभा सत्र ना बुलाया जाने का तर्क भी रखा गया.

  • कोविड-19 महामारी का प्रकोप है और राज्य में एक माह में एक्टिव केस की संख्या 3 गुना तक बढ़ गई है. ऐसे में बिना किसी विशेष परिस्थिति में अकारण 1200 से अधिक लोगों का जीवन खतरे में क्यों डाला जाए.
  • विधानसभा के सदस्यगण राज्य और राज्य के बाहर अलग-अलग स्थानों पर बाड़ेबंदी में होटलों में बंद हैं. ऐसे में उनकी विधानसभा में उपस्थिति और उनका स्वतंत्र रूप से कार्य संपादन स्वतंत्र इच्छा और स्वतंत्र आवागमन सुनिश्चित कराना राज्यपाल का संविधानिक कर्तव्य है.
  • सामान्य प्रक्रिया के अनुरूप यदि किसी परिस्थिति में विधानसभा का सत्र बुलाना हो तो 21 दिन का नोटिस दिया जाना जरूरी है. साथ ही अगर विशेष कारण हैं तो राज्य सरकार इन कारणों का उल्लेख भी करे.

ये भी पढ़ें-LIVE : सचिन पायलट ने गोविंद डोटासरा को TWEET करके दी बधाई, लिखा- उम्मीद है आप बिना किसी दबाव के काम कर सकेंगे

राजभवन से जारी बयान में यह साफ कर दिया गया कि सामान्य परिस्थितियों में सत्र आहूत करने के लिए राज्यपाल मंत्रिमंडल का फैसला मानने के लिए बाध्य हैं. लेकिन विषम और विशेष परिस्थितियों में संविधान और प्रजातांत्रिक मूल्यों को ध्यान में रखते हुए फैसला लेना राज्यपाल का अधिकार है.

तीन बिंदुओं पर जवाब देते हुए वापस पत्रावली प्रस्तुत करने के निर्देश-

राजभवन की ओर से तीन बिंदुओं पर विस्तृत जानकारी सरकार से मांगी गई है और उसके बाद वापस पत्रावली प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं. इनमें 21 दिन के नोटिस पर विधानसभा बुलाए जाने पर होने वाली आपत्ति, विधानसभा में अगर विश्वास मत हासिल करने की कार्रवाई की जा रही है, तो माननीय सर्वोच्च न्यायालय में पारित आदेशों के अनुरूप ही किया जाए.

इसके लिए उसमें सभी सदस्यों की भागीदारी और उनकी स्वतंत्र इच्छा भी सुनिश्चित की जाए. वहीं, तीसरा बिंदु कोरोना वायरस के संबंध में है. जिसके लिए जारी एडवाइजरी की पालना विधानसभा सत्र में किस तरह की जाएगी उसकी जानकारी सरकार से मांगी गई है.

'विश्वास मत हासिल करना है तो अल्पकालीन सत्र बुलाया जाना संभव'

राजभवन की ओर से जारी बयान में यह भी साफ कर दिया गया है कि अगर सत्र में राज्य सरकार को विश्वास मत हासिल करना है तो सामाजिक दूरी के साथ अल्पकालीन सत्र बुलाया जाना संभव है, जो की अल्प सूचना पर सत्र बुलाए जाने का युक्ति युक्त कारण हो सकता है. लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में उचित होगा कि राज्य सरकार वर्षा कालीन सत्र जैसे नियमित सत्र को 21 दिन के नोटिस पर ही बुलाए.

ABOUT THE AUTHOR

...view details