जयपुर.पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Governor Of West Bengal Jagdeep Dhankhar) के बीच के विवाद पिछले कई दिनों से मीडिया की सुर्खियां बनते रहे हैं. जयपुर पहुंचे धनखड़ ने इन विवादों को लेकर ऐसा बहुत कुछ कहा जो अदावत की कहानी (Mamata Banerjee Vs Jagdeep Dhankhar) बयां करता है. मौका था राजस्थान विधानसभा में सीपीए की और से आयोजित सेमिनार का जिसमें बतौर मुख्य अतिथि राज्यपाल जगदीप धनखड़ शामिल हुए. धनकड़ ने कई कड़वे अनुभव साझा किए.
राजस्थान विधानसभा में हुए इस सेमिनार का विषय संसदीय लोकतंत्र के उन्नयन में राज्यपाल एवं विधायकों की भूमिका ही था. उसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया सहित विधायक मौजूद रहे. इस दौरान धनखड़ ने ये तक कह दिया कि ऐसा कोई दिन नहीं जाता है जब मैं पीड़ा महसूस नहीं करता. धनखड़ ने कहा कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और सब कानून की मुट्ठी में ही बंद है.
गहलोत की तारीफ: धनखड़ ने मंच से कुछ ऐसा कहा जो राजस्थान को लेकर उनकी पॉजिटिव सोच को दर्शाता है. उनके अनुसार दो ही ऐसे पद है जिसमें राष्ट्रपति और राज्यपाल शामिल हैं जो संविधान की मर्यादाओं को बचाए रखने की शपथ लेते हैं. कई लोग भ्रांति फैलाते हैं कि राज्यपाल इस दायरे के बाहर जाकर काम कर रहा है लेकिन जो शपथ ली है उसमें सब काम और दायित्वों का उल्लेख है. उसी भूमिका में राज्यपाल हम काम करते हैं और किसी शपथ की पालना में अक्सर टकराव हो जाता है. धनकड़ ने विधायकों की स्थिति को लेकर भी टिप्पणी की लेकिन कहा कि मैं यहां राजस्थान के हालातों का कायल हूं (Dhankhar Praises Rajasthan) फिर चाहें आप जो अर्थ निकाल कर समझो.
"दिल्ली में सरकार नहीं तो आप सॉफ्ट टारगेट है": पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि आप यदि उस राज्य के राज्यपाल है जिसकी दिल्ली में सरकार नहीं है तो फिर आप सॉफ्ट टारगेट हैं. आपको केंद्र सरकार का एजेंट तक कहा जाता है और कई आरोप भी लगाए जा सकते हैं. धनखड़ ने कहा कि मेरे मन में बहुत पीड़ा होती है,चिंता भी होती है और मैं चिंतन भी करता हूं कि आखिर कोई मुख्यमंत्री और राज्यपाल सार्वजनिक रूप से कैसे लड़ सकते हैं?
धनकड़ ने कहा राज्यपाल के रूप में मेरा दायित्व है कि मैं सरकार की पूरी मदद करूं ऐसा करता भी हूं. कोशिश करता हूं कि कदम से कदम मिलाकर सरकार के साथ काम करूं लेकिन ताली एक हाथ से नहीं बजती. धनकड़ ने बातचीत को समस्यायों को हल करने में मददगार माना. कहा इस दुनिया में ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका समाधान वार्ता और बातचीत से ना हो सके. राज्यपाल के पास केंद्र या राज्य में बैठे किसी जनप्रतिनिधि व्यक्ति की तरह न तो ज्यादा अधिकार होते हैं और न ही व्यक्ति. वो तो वन मैन आर्मी की तरह काम करता है.