जयपुर. राज्यपाल कलराज मिश्र ने आदिवासी और गैर-आदिवासियों के बीच की खाई पाटने के लिए व्यावहारिक स्तर पर प्रयास किए जाने की आवश्यकता जताई है. उन्होंने जनजातीय समाज को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से सक्षम बनाते हुए राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल होने के लिए अधिक से अधिक अवसर प्रदान करने की जरूरत भी बताई. मिश्र ने यह बात राजभवन में आयोजित जनजाति गौरव सम्मान समारोह में अपने संबोधन में कही.
क्रांतिकारी महापुरुष बिरसा मुंडा की जयंती के मौके पर आयोजित इस समारोह में राज्यपाल ने कहा कि आदिवासियों की कलाओं और संस्कृति के संरक्षण के साथ ही उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका के लिए ज्यादा अवसर सृजित किए जाना चाहिए. इसके लिए जनजाति क्षेत्रों में चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं को और अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने की आवश्यकता है. मिश्र ने कहा कि आदिवासी ही पर्यावरण संरक्षण के साथ देश की अनमोल वन संपदा को बचाए रखने और धरती पर पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने का काम कर रहे हैं.
समारोह में राज्यपाल ने अनुसूचित क्षेत्र में जनजातियों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए उल्लेखनीय कार्य करने पर सिरोही जिले के मोरस और जाम्बूडी व उदयपुर जिले के पालोदडा, परसाद, देवला, झाडोली और मगवास के वनधन विकास केंद्रों के प्रतिनिधियों को सम्मानित किया. कार्यक्रम को जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के शासन सचिव डॉ समित शर्मा और जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग उदयपुर की आयुक्त प्रज्ञा केवलरामानी ने भी संबोधित किया.
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