जयपुर.राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि स्थानीय ज्ञान-विज्ञान को सहेजने वाले ऐसे पाठ्यक्रम विकसित किए जाने चाहिए जो 'आत्मनिर्भर भारत' को आगे बढ़ाने के लिए विद्यार्थियों को तैयार कर सकें. राज्यपाल मिश्र मंगलवार को राजभवन से जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड यूनिवर्सिटी के 13वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर वर्चुअल संबोधित कर रहे थे.
इस दौरान उन्होंने कहा कि देश के संसाधनों का समुचित सदुपयोग देश में ही हो, इसके लिए नई शिक्षा नीति में पाठ्यक्रम के अध्ययन के साथ कौशल विकास के माध्यम से विद्यार्थिंयों को हुनर से जोड़ने पर विशेष ध्यान दिया गया है. उन्होंने शिक्षण संस्थानों से शोध की ऐसी मौलिक दृष्टि विकसित करने का आह्वान किया जिससे विलुप्त हो रहे ज्ञान को आधुनिक संदर्भों में फिर से जीवंत किया जा सके.
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उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बुनियादी शिक्षा के विचारों से प्रेरित होकर समाज के सर्वांगीण विकास के उद्देश्य से देश की नई शिक्षा नीति तैयार की गई है. उन्होंने कहा कि सभी को शिक्षित बनाने के लिए बापू ने मातृभाषा में शिक्षा तथा आत्मनिर्भरता के लिए शिक्षा पर विशेष जोर दिया था. नई शिक्षा नीति के माध्यम से देश की शिक्षा व्यवस्था में ऐसे ही बदलाव लाने की पहल की गई है.
राज्यपाल मिश्र ने कहा कि सूचना और संचार तकनीक के बेहतर इस्तेमाल से शिक्षण के ऐसे नवाचारों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए जो विद्यार्थियों को रटन्त विद्या की बजाय जीवन व्यवहार की शिक्षा प्राप्त करने को प्रेरित कर सके. उन्होंने कहा कि विद्यार्थी सिर्फ निर्धारित पाठ्यक्रम का ही अध्ययन नहीं करें अपितु विश्वभर में हो रहे शोध और अनुसंधान से भी स्वयं को जोड़ें. उन्होंने स्थानीय संसाधनों, संस्कृति और धरोहर के संरक्षण में तकनीक के अधिकाधिक उपयोग पर भी जोर दिया.
राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता आरएन माथुर ने विशिष्ट अतिथि के तौर पर संबोधित करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति के माध्यम से उन जीवन मूल्यों को प्रतिस्थापित करने की पहल की गई है जो सदियों से राष्ट्र की धरोहर रहे हैं. कुलाधिपति प्रो. बलवन्त शान्तिलाल जानी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विद्यापीठ के संस्थापक एवं प्रख्यात कवि जनार्दन राय नागर के योगदान को याद किया. कुलपति कर्नल प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने विद्यापीठ का वार्षिक प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया.
कार्यक्रम के आरम्भ में राज्यपाल मिश्र ने संविधान की उद्देश्यिका तथा मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया. समारोह में विभिन्न संकायों के स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में सर्वोत्तम अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थिंयों को स्वर्ण पदक और पीएचडी धारकों को उपाधियां प्रदान की गईं.