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एक संघर्षमयी गाथा की परिणति हैं महात्मा गांधी, उनके विचार आज भी प्रासंगिक: राज्यपाल

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Published : Oct 2, 2020, 10:23 PM IST

राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने गांधी जयंती के अवसर पर राजभवन में दीपोत्सव का उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा द्वारा आयोजित कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए संबोधित किया.

Addresses of Kalraj Mishra, Governor Kalraj Mishra
गांधी जयंती पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने वीसी को किया संबोधित

जयपुर. राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि सत्‍य और अहिंसा के बल पर देश की आजादी में अपना सर्वस्‍व अर्पण करने वाले भारतभूमि पर अवतरित साधारण से मानव मोहन का असाधारण महात्‍मा बनना यूं ही नहीं सम्‍भव होता, वरन यह त्‍याग, करुणा, दया, अहिंसा जैसे मूल्‍यों पर आधारित एक संघर्षमयी गाथा की परिणति है. गांधी विचार ही नहीं वरन व्‍यवहार भी है.

राज्यपाल मिश्र शुक्रवार को राजभवन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 150वीं जयंती के अवसर पर दीपोत्सव का उद्घाटन एवं गांधी जी की पुस्तक मंगलप्रभात को संस्कृत में अनुदित कर ई-पुस्तिका के लोकार्पण समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंस से संबोधित कर रहे थे. यह समारोह महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा द्वारा आयोजित किया गया.

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मिश्र ने कहा कि गांधी जी ने स्‍वराज का सपना इसलिए देखा था, ताकि एक ऐसा राज्‍य जहां शासक और शासित वर्ग के बीच किसी प्रकार का कोई भेद न हो, एक ऐसी आदर्श व्‍यवस्‍था जिसमें कोई भी व्‍यक्ति भूखा, नंगा, दुखी, विपन्‍न न हो. यही रामराज्‍य भी है, इसीलिए बापू दरिद्र नारायण की भी बात करते हैं. गांधी की आर्थिक दृष्टि पर विचार करने पर ट्रस्‍टीशिप के रूप में एक आदर्श संकल्‍पना का दर्शन होता है, जिसमें सत्‍ता के विकेंद्रीकरण की बात कही गई है.

बापू का अटल विश्‍वास है- 'सबै भूमि गोपाल की, सब सम्‍पत्ति रघुबर के आही' समूची वसुधा पर उपलब्‍ध भूमि पर सबका अधिकार है किसी एक का नहीं. गांधी के सर्वोदय में यह भाव चित्रित होता है. वैश्विक आपदा के इस दौर में महात्‍मा गांधी का दर्शन एवं महान विचार आज भी सभ्‍यताओं के संघर्ष में जहाँ दया, करुणा, अहिंसा पर आधारित सभ्‍यता ही बची हुई है, जिसका उदाहरण समूचे विश्‍व में देखने को मिल रहा है.

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राज्यपाल ने कहा कि अपने दार्शनिक विचारों यथा सर्वोदय के माध्‍यम से महात्‍मा गांधी समाज के सभी वर्गों के सभी प्रकार से अर्थात सामाजिक, राजनैतिक, आध्‍यात्मिक एवं सांस्‍कृतिक उत्‍थान की बात करते हैं. सर्वोदय रूपी यह यात्रा पं. दीनदयाल उपाध्‍याय अन्‍त्‍योदय के द्वारा इस विश्‍वास के साथ आगे बढ़ाते हैं कि जब तक भारत में अंतिम व्‍यक्ति के चेहरे पर मुस्‍कान अर्थात उसका उदय नहीं होगा, तब तक भारत एक खुशहाल एवं आदर्श व्‍यवस्‍था का देश नहीं हो सकता.

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि लोगों को स्वंय अपना दीप बनना चाहिए. समाज को रोशनी दिखानी चाहिए और महात्मा जी के दिखाए मार्ग पर चलना चाहिए.

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