जयपुर. राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि सत्य और अहिंसा के बल पर देश की आजादी में अपना सर्वस्व अर्पण करने वाले भारतभूमि पर अवतरित साधारण से मानव मोहन का असाधारण महात्मा बनना यूं ही नहीं सम्भव होता, वरन यह त्याग, करुणा, दया, अहिंसा जैसे मूल्यों पर आधारित एक संघर्षमयी गाथा की परिणति है. गांधी विचार ही नहीं वरन व्यवहार भी है.
राज्यपाल मिश्र शुक्रवार को राजभवन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 150वीं जयंती के अवसर पर दीपोत्सव का उद्घाटन एवं गांधी जी की पुस्तक मंगलप्रभात को संस्कृत में अनुदित कर ई-पुस्तिका के लोकार्पण समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंस से संबोधित कर रहे थे. यह समारोह महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा द्वारा आयोजित किया गया.
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मिश्र ने कहा कि गांधी जी ने स्वराज का सपना इसलिए देखा था, ताकि एक ऐसा राज्य जहां शासक और शासित वर्ग के बीच किसी प्रकार का कोई भेद न हो, एक ऐसी आदर्श व्यवस्था जिसमें कोई भी व्यक्ति भूखा, नंगा, दुखी, विपन्न न हो. यही रामराज्य भी है, इसीलिए बापू दरिद्र नारायण की भी बात करते हैं. गांधी की आर्थिक दृष्टि पर विचार करने पर ट्रस्टीशिप के रूप में एक आदर्श संकल्पना का दर्शन होता है, जिसमें सत्ता के विकेंद्रीकरण की बात कही गई है.