जयपुर. राज्यपाल कलराज मिश्र ने शनिवार को कोविड-19 और उच्च शिक्षा में चुनौतियां विषय पर आयोजित वेबीनार को राजभवन से संबोधित किया. यह आयोजन एसोसिएटेड चैम्बर्स ऑफ कामर्स एंड इण्डस्ट्री ऑफ इंडिया की ओर से किया गया. इस दौरान राज्यपाल और कुलाधिपति कलराज मिश्र ने कहा कि कोविड-19 जैसी विपदा के वर्तमान परिपेक्ष्य में उच्च शिक्षा की निरंतरता को बनाये रखना एक चुनौती है.
वेबिनार के माध्यम से लोगों को संबोधित करते राज्यपाल उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा की निरंतरता को बनाये रखने के लिए ऑनलाइन शिक्षा ही एकमात्र विकल्प सभी के सामने उभर कर आया है. उन्होंने कहा कि 'मेरा सारा ध्यान उन सामान्य विद्यार्थी पर है, जो राज्य के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र में रहते हैं और इस आपदा के काल में शिक्षा से वंचित हैं.' राज्यपाल ने कहा कि ऐसे छात्र-छात्राओं तक कैसे शिक्षा पहुंचे जिनके पास लैपटाॅप जैसी सुविधा नहीं है. मिश्र ने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने दस सदस्यों की एक टास्कफोर्स का गठन किया है. यह टास्कफोर्स उच्च शिक्षा की ऐसी ही चुनौतियों पर मंथन कर राजभवन को सुझाव भेजेगी.
पढ़ेंः CM से सीधे संवाद के दौरान मंत्री भाटी ने उठाया किसानों और श्रमिकों का मुद्दा, राहत दिलवाने की रखी मांग
राज्यपाल मिश्र के इस सम्बोधन को देश के विभिन्न भागों से जुड़े लगभग बारह हजार लोगों ने सुना. राज्यपाल ने कहा कि कोविड-19 ने उच्च शिक्षा को प्रसारित करने के तरीके में परिवर्तन किया है, जिसके फलस्वरूप विश्वविद्यालयों को तेजी से बदलना होगा. उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं और शिक्षकों को संवाद और संचालन में बदलाव लाना होगा. राज्यपाल ने कहा कि राज्य में भी कोविड-19 के कारण प्रदेश के लगभग 28 लाख छात्र-छात्राओं को किसी प्रकार की परेशानी या अकादमिक हानि नहीं हो. महामारी के चलते विश्वविद्यालयों में शिक्षण, प्रशिक्षण, सैद्वान्तिक और प्रायोगिक परीक्षायें किस प्रकार से आयोजित की जाये, इसको लेकर एक दस सदस्यों की टास्कफोर्स का गठन किया गया हैं. टॉस्कफोर्स में पांच वर्तमान और एक निवर्तमान कुलपति के साथ अनुभवी अधिकारी रखे गये है. जो अपने लंबे शैक्षिक और प्रशासनिक अनुभव और गहन मंथन के माध्यम से उस आपदा के कारण छात्रों को आने वाली परेशानी से दूर करने का सुझाव देगी.
पढ़ेंःCOVID-19 विशेषः कोरोना के जद में कैसे फंसता गया राजस्थान...देश में बन गया चौथा संक्रमित राज्य
राज्यपाल मिश्र ने कहा कि 'कोविड-19 की आपदा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक लर्निंग अवसर के रूप में देखी जा सकती है. उन्होंने कहा की ऑनलाइन शिक्षण शुरू कर देने मात्र से ही समस्या खत्म नहीं हो जाती है बल्कि विश्वविद्यालयों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि वे बाधा रहित बिजली और इन्टरनेट सप्लाई को कैसे जारी रख सके. साथ ही छात्र-छात्राओं को कम से कम खर्च में इन्टरनेट डेटा उपलब्ध कैसे कराया जाए' उन्होंने कहा कि 'समय है यह सोचने और तैयार रहने का है कि विश्वविद्यालय आगामी सत्र में उन छात्र-छात्राओें को किस प्रकार से प्रवेश दे पायेंगे, जो अब तक या तो विदेश में पढ़ रहे थे या विदेश जाने की तैयारी में थे. साथ ही विश्वविद्यालय को उन सभी विद्यार्थियों को भी प्रवेश देना होगा जो इटली, स्पेन, जर्मनी, इग्लैण्ड, आदि देशों से भारत आकर पढ़ना चाहेगे'. इस वेबीनार में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के इनोवेशन सैल के निदेशक डाॅ. मोहित गम्भीर और डाॅ. अमरेन्द्र पानी भी मौजूद थे. वेबीनार में एसोचेम के महासचिव दीपक सूद ने स्वागत भाषण और डाॅ. प्रशान्त भल्ला ने आभार ज्ञापित किया.