जयपुर. राजस्थान में निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर (Somya Gurjar) के पति के गिरफ्तार होने और ACB (Anti Corruption Bureau) के RSS के क्षेत्रीय प्रचारक निम्बाराम (Nimbaram) का भी नाम FIR में शामिल करने के बाद अब राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. इस मामले में राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (Govind Singh Dotasra) ने अपनी ही सरकार से संघ के क्षेत्रीय प्रचारक निम्बाराम को गिरफ्तार करने की मांग रख दी.
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'संघ और भाजपा में भ्रष्टाचार हावी'
डोटासरा ने कहा कि इस प्रकरण से भाजपा (BJP) और RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) का भ्रष्टाचार में डूबने का प्रमाण सामने आ गया है. जिस प्रकार राजस्थान में महापौर के पति राजाराम (Rajaram) ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दफ्तर के अंदर RSS प्रमुख की मौजूदगी ओर मध्यस्था में बीवीजी कंपनी को 276 करोड़ के भुगतान की एवज में 10 फीसदी कमीशन मांगा और उसका वीडियो वायरल (Viral Video of Rajaram Gurjar) हुआ, वह बताता है कि भ्रष्टाचार किस कदर संघ और भाजपा में हावी है.
संघ और भाजपा में भ्रष्टाचार हावी खुद की सरकार पर उठाया सवाल
गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि राजस्थान में ACB ने महापौर के पति राजाराम को गिरफ्तार किया है, लेकिन मेरा सवाल यह है कि आरएसएस के उस प्रमुख व्यक्ति जिसका वीडियो में भ्रष्टाचार करने का प्रमाण है और उसकी मौजूदगी भी वीडियो में साबित हो रही है, उसके बावजूद उस व्यक्ति को गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा है.
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सरकार से गिरफ्तार करने की मांग
राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मैं सरकार से मांग करता हूं कि ऐसे व्यक्तियों को गिरफ्तार कर उनके कामों से पर्दा उठाया जाए, जो अपने आपको ईमानदार, सत्य, निष्ठावान व्यक्ति और राष्ट्रप्रेमी बताते हैं. भाजपा और आरएसएस के लोग धर्म की आड़ में खुद को राष्ट्रप्रेमी और राष्ट्रवादी बता कर जो कारगुजारी कर रहे हैं, वह सबके सामने है.
'संघ के लोगों ने चंदा का धंधा किया'
डोटासरा ने कहा कि इसी तरीके से संघ के लोगों ने राम मंदिर मामले में भी चंदे का धंधा किया. RSS और भाजपा बेईमानी की पराकाष्ठा करते हैं, जिनका चेहरा अब बेनकाब हो चुका है. ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. इनका समाज से बहिष्कार होना चाहिए और ऐसे लोगों को तुरंत गिरफ्तार करना चाहिए.
RSS के क्षेत्रीय प्रचारक को गिरफ्तार करे सरकार क्या है पूरा मामला
साल 2017 में तत्कालीन महापौर अशोक लाहोटी ने राजधानी में BVG कंपनी के जरिए डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने की योजना की शुरुआत की थी. राजधानी में करीब 527 डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाली गाड़ियां संचालित हैं. इनमें से BVG की गाड़ियां महज 106 हैं, जबकि 421 गाड़ियां उन वेंडर्स की हैं जिन्हें BVG ने सबलेट किया है, जोकि नियम विरुद्ध है.
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BVG कंपनी को नगर निगम प्रशासन ने जो काम सौंपा था, उसमें शर्तों की पालना नहीं हुई. बावजूद इसके BVG कंपनी ने अधूरे काम के 300 करोड़ से ज्यादा के बिल निगम को सौंप दिए. 100 फीसदी डोर टू डोर कचरा संग्रहण, कचरे का सेग्रीगेशन, हूपर्स में ट्रैकिंग सिस्टम, वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन बनाकर मैकेनाइज सिस्टम से डंपिंग यार्ड तक कचरा पहुंचाने और शहर में ओपन कचरा डिपो हटाने जैसी शर्तों के साथ, BVG कंपनी को नगर निगम प्रशासन की ओर से काम सौंपा गया था, लेकिन इन शर्तों की पालना नहीं हुई. बावजूद इसके BVG कंपनी ने अधूरे काम के 300 करोड़ से ज्यादा के बिल निगम को सौंप दिए.
बता दें, BVG कंपनी देश के 70 से ज्यादा शहरों में काम कर रही है और जिसका सालाना टर्नओवर 2000 करोड़ से ज्यादा का है. कंपनी का दावा है कि निगम पर 302 करोड़ का बकाया है, लेकिन लूप पोल ये है कि 2 वर्षों से कंपनी के काम की थर्ड पार्टी से निगरानी ही नहीं हुई. ऐसे में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि जब बिलों का वेरिफिकेशन ही नहीं हुआ है, तो उसका भुगतान कैसे हो रहा है. बताया जा रहा है इसी बिल में से 276 करोड़ रुपए के बकाया भुगतान को लेकर कथित डील हुई जिसके ऑडियो और वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं.