जयपुर. सरकार ने सरकारी आवासों के आवंटन में हो रही गड़बड़ियों के बाद अब आवंटन प्रक्रिया को ऑनलाइन (Online Application for Government Residences) कर दिया है. सामान्य प्रशासन विभाग ने पूर्व में आवेदन किए आवेदकों को 15 दिनों के भीतर आवेदन करने की मोहलत दी है. 2012 से लेकर 2019 तक 6 हजार आवेदन ऑफलाइन किया गया है जिसे ऑनलाइन आवेदन करना होगा. ऐसा नहीं करने पर उनकी वरीयता समाप्त कर दी जाएगी.
2019 से ऑनलाइन हुआ आवेदन: बता दें कि सामान्य प्रशासन के शासन सचिव जितेंद्र कुमार उपाध्याय ने हाल ही में विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर मकान आवंटनत प्रक्रिया को पूर्णतः ऑनलाइन फॉर्मेट में करने के निर्देश दिए थे. बंगले आवंटन को लेकर मिल रही गड़बड़ियों के बाद अब प्रदेश की गहलोत सरकार ने 2019 से आवंटन प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया था. 2019 से लेकर अब तक 600 कर्मचारियों और अधिकारियों ने आवेदन ऑनलाइन किया है. हालांकि, 2012 से लेकर 2019 के बीच के 6 हजार आवेदनों की पेंडेंसी को खत्म करने के लिए पुनः ऑनलाइन आवेदन करने के निदेश दिए हैं.
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15 दिन में ऑनलाइन करना होगा आवेदन: प्रदेश के करीब 6 हजार सरकारी अधिकारी और कर्मचारी सरकारी आवास के लिए 10 सालों से इंतजार कर रहे हैं. सालों इंतजार के बाद भी सरकारी आवास नहीं मिला. अब जब आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन हो चुकी है तो ऐसे में इन सभी आवेदकों को फिर से अगले 15 दिन के अंदर ऑनलाइन आवेदन करना होगा. पूर्व में किए गए आवेदक 15 दिन के भीतर ऑनलाइन आवेदन नहीं करते हैं तो उनके पूर्व में किए गए आवेदन की वरीयता खत्म हो जाएगी. इसके साथ ही उनके ओर से किया गया आवेदन भी अमान्य माना जाएगा.
सरकारी आवास के लिए वर्षों का इंतजार के बाद हुए अपात्र: सरकारी अधिकारियों और कर्मचारी की ओर से सरकारी आवास के लिए आवेदन के सालों बाद भी आवास आवंटन नहीं हो सके. सरकारी पॉलिसी के चक्कर मे सालों इंतजार के बाद हजारों आवेदनकर्ता अपात्र हो चुके हैं. 2012 से करीब 6 हजार अधिकारियों और कर्मचारियों ने ऑफलाइन आवेदन किया. वहीं, सरकार की ओर से सरकारी आवास के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की, जिसमें करीब 600 अधिकारियों और कर्मचारियों ने आवेदन किए, लेकिन अब जिन कर्मचारियों ने वर्षों पहले आवेदन किए उनमें कई सेवानिवृत्त हो गए हैं, तो वहीं कुछ VRS ले चुके हैं. इसके अलावा कई अधिकारियों और कर्मचारियों की पोस्टिंग अन्य जिलों में हो चुकी है. इसके अलावा अपात्र लोगों में खुद के मकान बनाने वाले और अचल सम्पति वाले भी शामिल हो चुके हैं.