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Rajasthan: ऑनलाइन आवेदन पर ही मिलेंगे सरकारी आवास, GAD ने लंबित 6000 आवेदकों को दिया 15 दिन का समय - General Administration Department Rajasthan

राजस्थान में सरकारी आवासों के आवंटन में हो रही गड़बड़ियों के बाद अब गहलोत सरकार ने आवंटन प्रक्रिया को ऑनलाइन (Online Application for Government Residences) कर दिया है. सामान्य प्रशासन विभाग (General Administration Department) ने पहले ऑफलाइन आवेदन किए आवेदकों को ऑनलाइन आवेदन करने के लिए 15 दिन का समय दिया है.

General Administration Department
सामान्य प्रशासन विभाग

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Published : Jun 3, 2022, 3:36 PM IST

जयपुर. सरकार ने सरकारी आवासों के आवंटन में हो रही गड़बड़ियों के बाद अब आवंटन प्रक्रिया को ऑनलाइन (Online Application for Government Residences) कर दिया है. सामान्य प्रशासन विभाग ने पूर्व में आवेदन किए आवेदकों को 15 दिनों के भीतर आवेदन करने की मोहलत दी है. 2012 से लेकर 2019 तक 6 हजार आवेदन ऑफलाइन किया गया है जिसे ऑनलाइन आवेदन करना होगा. ऐसा नहीं करने पर उनकी वरीयता समाप्त कर दी जाएगी.

2019 से ऑनलाइन हुआ आवेदन: बता दें कि सामान्य प्रशासन के शासन सचिव जितेंद्र कुमार उपाध्याय ने हाल ही में विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर मकान आवंटनत प्रक्रिया को पूर्णतः ऑनलाइन फॉर्मेट में करने के निर्देश दिए थे. बंगले आवंटन को लेकर मिल रही गड़बड़ियों के बाद अब प्रदेश की गहलोत सरकार ने 2019 से आवंटन प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया था. 2019 से लेकर अब तक 600 कर्मचारियों और अधिकारियों ने आवेदन ऑनलाइन किया है. हालांकि, 2012 से लेकर 2019 के बीच के 6 हजार आवेदनों की पेंडेंसी को खत्म करने के लिए पुनः ऑनलाइन आवेदन करने के निदेश दिए हैं.

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15 दिन में ऑनलाइन करना होगा आवेदन: प्रदेश के करीब 6 हजार सरकारी अधिकारी और कर्मचारी सरकारी आवास के लिए 10 सालों से इंतजार कर रहे हैं. सालों इंतजार के बाद भी सरकारी आवास नहीं मिला. अब जब आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन हो चुकी है तो ऐसे में इन सभी आवेदकों को फिर से अगले 15 दिन के अंदर ऑनलाइन आवेदन करना होगा. पूर्व में किए गए आवेदक 15 दिन के भीतर ऑनलाइन आवेदन नहीं करते हैं तो उनके पूर्व में किए गए आवेदन की वरीयता खत्म हो जाएगी. इसके साथ ही उनके ओर से किया गया आवेदन भी अमान्य माना जाएगा.

सरकारी आवास के लिए वर्षों का इंतजार के बाद हुए अपात्र: सरकारी अधिकारियों और कर्मचारी की ओर से सरकारी आवास के लिए आवेदन के सालों बाद भी आवास आवंटन नहीं हो सके. सरकारी पॉलिसी के चक्कर मे सालों इंतजार के बाद हजारों आवेदनकर्ता अपात्र हो चुके हैं. 2012 से करीब 6 हजार अधिकारियों और कर्मचारियों ने ऑफलाइन आवेदन किया. वहीं, सरकार की ओर से सरकारी आवास के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की, जिसमें करीब 600 अधिकारियों और कर्मचारियों ने आवेदन किए, लेकिन अब जिन कर्मचारियों ने वर्षों पहले आवेदन किए उनमें कई सेवानिवृत्त हो गए हैं, तो वहीं कुछ VRS ले चुके हैं. इसके अलावा कई अधिकारियों और कर्मचारियों की पोस्टिंग अन्य जिलों में हो चुकी है. इसके अलावा अपात्र लोगों में खुद के मकान बनाने वाले और अचल सम्पति वाले भी शामिल हो चुके हैं.

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15 दिन बाद स्थिति होगी साफ : मौजूदा वक्त में 6000 ऑफलाइन और 600 ऑनलाइन सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों ने आवेदन किया हुआ है, लेकिन इनमें कितने अपात्र हैं. इसकी जानकरी नए आवेदन से ही पता चलेगी की वास्तविक हकदार कौन है. जिसके बाद न्यायसंगत ढंग से आवास आवंटित होंगे. हालांकि, वरीयता पहले वाली ही रहेगी.

1900 राजकीय आवास उपलब्ध: पुराने आवेदनों के अनुसार अवेदनकर्ताओं की संख्या करीब साढ़े 6 हजार है. इनके बाद 600 लोगों ने ऑनलाइन आवेदन कर दिया, लेकिन अपात्रों को हटाने और नए आवेदनकर्ता को जोड़ें तो इससे कम होने के आसार नहीं हैं. अब सरकार के पास कुल 1900 राजकीय आवास है और आवेदक हजारों है.

आउट ऑफ टर्न आंवटन भी: बता दें कि अफसरों और कर्मचारियों के लिए सरकारी आवासों के आवंटन में लंबे समय से आउट ऑफ टर्न आवंटन की व्यवस्था है. अगर कोई आईएएस,आईपीएस या अन्य अधिकारी का पदस्थापन जयपुर हुआ हो, तब आउट ऑफ टर्न सरकारी आवास आवंटन होता है. विभागीय मंत्री और मुख्यमंत्री अपने स्तर पर भी जरूरत के अनुसार आवंटन करते हैं.

ऑनलाइन से क्या फायदा: GAD आवास आवंटन के पोर्टल को कार्मिक विभाग की सिविल लिस्ट से लिंक करने जा रहा है, जिससे अधिकारियों-कर्मचारियों के रिटायर्ड होने पर तुरंत पता चल सकेगा और आवास खाली करने के लिए 2 महीने का नोटिस देने की कार्रवाई शुरू हो सकेगी. जिसके बाद पात्र आवेदनकर्ता को खाली आवास आवंटित किया जाएगा. अब तक ऐसा था कि किसी भी कर्मचारी का आवास आवंटन के बाद अगर जयपुर से बाहर तबादला हो गया उसके बावजूद वह आवास खाली नहीं करता था. इसके साथ ही कुछ कर्मचारियों की शिकायत यह भी आ रही थी कि वह आवास आवंटन कराके उसे किराए पर चला रहे थे. ऑनलाइन प्रक्रिया होने के बाद अधिकारी या कर्मचारी के पास अनावश्यक राजकीय आवास नहीं रहेगा और न ही कोई इसे किराए पर दे सकेगा.

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