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स्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी धोखाधड़ी मामले में सरकारी वकील करेंगे परिवादियों की पैरवी - धोखाधड़ी का मामला

स्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी द्वारा निवेशकों का पैसा हड़पने के बाद अब उन पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली गई है. निवेशकों का पैसा नहीं लौटाने पर शिकायतकर्ता के परिवाद की पैरवी अब सरकारी वकील करेंगे.

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स्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी में धोखाधड़ी को मामला में सरकारी वकील करेंगे परिवादियों की पैरवी

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Published : Jul 29, 2020, 8:41 AM IST

जयपुर.स्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी की ओर से निवेशकों का पैसा हड़पने के बाद अब उन पर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली गई है. निवेशकों का पैसा नहीं लौटाने पर शिकायतकर्ता के परिवाद की पैरवी अब सरकारी वकील करेंगे. इस्तगासा दायर होने के बाद सरकारी वकील पैरवी करेंगे. इस संबंध में विधि विभाग की ओर से आदेश जारी कर दिए गए हैं. मुक्तानंद अग्रवाल ने कहा कि बेनिंग ऑफ अनरेगुलेटेड डिपॉजिट स्कीम एक्ट 2019 के तहत को-ऑपरेटिव सोसायटियों पर कारवाई की जाए.

स्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी धोखाधड़ी मामले में सरकारी वकील करेंगे परिवादियों की पैरवी

मुक्तानंद अग्रवाल ने कहा कि स्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटियों द्वारा निवेशकों का पैसा नहीं लौटाने की स्थिति में शिकायतकर्ता के परिवाद को उप रजिस्ट्रार 15 सितंबर तक जिला सेशन एवं जिला न्यायाधीश कोर्ट (डेजिग्नेटेड कोर्ट) में इस्तगासा दायर करें. इस कार्य में किसी भी प्रकार की ढील नहीं बरती जाए. मुक्तानंद अग्रवाल मंगलवार को अपेक्स बैंक स्थित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम से जिलों में पदस्थापित अधिकारियों से बात किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि उप रजिस्ट्रार जिले से संबंधित सभी शिकायतों पर कार्रवाई करें.

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उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने वाले सोसाइटी के संबंधित पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो. उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण विषय पर लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने मल्टी स्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के अवसायकों को निर्देश दिए कि एक्ट के तहत कार्रवाई करें.

अग्रवाल ने कहा कि यदि कोई स्टेट क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी अवसायाधीन है, तो भी तत्कालीन जिम्मेदार पदाधिकारियों के खिलाफ इस्तगासा दायर कर एक्ट के अनुसार कार्रवाई की जाए. मुक्तानंद अग्रवाल ने कहा कि जिलों में धारा 55 के प्रकरणों की जांच समय पर पूरी करें और शीघ्र ही एक टूल विकसित किया जाए, जिससे राज्य में धारा 55 के तहत हो रही जांच प्रकरणों की प्रभावी मॉनिटरिंग हो सके. उन्होंने निर्देश दिए कि समितियों की ऑडिट समय पर हो, इसके लिए अतिरिक्त खंडीय रजिस्ट्रार जिलेवार नियमित मॉनिटरिंग करें.

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