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भूमि अधिग्रहण को लेकर किसानों की 13 मांगों पर सरकार सहमत, जमीन समाधि सत्याग्रह समाप्ति की घोषणा

दौसा में जमीन समाधि सत्याग्रह पर बैठे किसानों की सभी मांगे मान ली गई हैं. सचिवालय में हुई किसान संघर्ष समिति प्रतिनिधिमंडल की सरकार से वार्ता सफल रही. इसके साथ ही किसानों ने जमीन समाधि सत्याग्रह समाप्त करने की घोषणा भी कर दी है. पढ़ें विस्तृत खबर...

किसान संघर्ष समिति, Land Samadhi Satyagraha in Dausa
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Published : Jan 27, 2020, 9:23 PM IST

जयपुर.दौसा में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस हाईवे और अमृतसर-जामनगर व्यापारिक कॉरिडोर को लेकर चल रहा किसानों का जमीन सत्याग्रह आंदोलन समाप्त हो गया. संधर्ष समिति के संयोजक हिम्मत सिंह ने देर शाम सरकार से लिखित में मिले समझौते के बाद इसकी घोषणा की.

किसानों की मांगों पर सरकार सहमत, जमीन समाधि सत्याग्रह समाप्त करने की घोषणा

किसान संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक हिम्मत सिंह गुर्जर ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहल पर अधिकारियों के साथ सकारात्मक माहौल में हुई वार्ता सफल रही. जिसमें किसान हित में कई निर्णय लिए गए. सरकार ने उनकी सभी मांगों को मान लिया है. गुर्जर ने कहा कि इस बैठक में हुए फैसले प्रदेश में भूमि अधिग्रहण संबंधी प्रकरणों में काश्तकारों के हित में मील के पत्थर साबित होंगे. हालांकि किसान संधर्ष प्रतिनिधि मंडल की मुख्यमंत्री मुलाकात नहीं हो पाई.

दरअसल, दौसा में चल रहे किसानों आंदोलन के देखते हुए सरकार ने सोमवार को सचिवालय में किसान प्रतिनिधि मंडल को वार्ता के लिए बुलाया था. अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह राजीव स्वरूप की अध्यक्षता में आंदोलनरत किसानों के प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता हुई. प्रतिनिधिमंडल ने वार्ता को सकारात्मक बताते हुए संतुष्टि जाहिर की और धरना स्थल पर जाकर आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की.

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बैठक में तय हुआ कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस हाइवे एवं अमृतसर-जामनगर व्यापारिक कॉरिडोर के लिए अवार्ड जारी करते समय शहरी क्षेत्र से दूरी के हिसाब से गुणांक कम लागू करने संबंधी प्रकरणों का समुचित प्राधिकारी की ओर से पुनः परीक्षण कराया जाएगा. इस दौरान काश्तकार अथवा किसान संघर्ष समिति का प्रतिनिधि मौजूद रहेगा.

  • दूरी का निर्धारण सक्षम प्राधिकारी कार्यालय में ग्लोबल कॉर्डिनेट पद्धति से एरीयल दूरी अनुसार किया जाएगा.
  • तैयार दूरी चार्ट पर उपस्थित किसान अथवा समिति के प्रतिनिधि के हस्ताक्षर कराए जाएंगे, जो दोनों पक्षों को मान्य होगा.
  • अधिग्रहीत भूमि से अधिक जमीन पर कब्जा वाले प्रकरणों का पुनः परीक्षण कराकर निस्तारण कराया जाएगा. यदि कहीं अधिक कब्जा पाया जाएगा तो उसे तत्काल मुक्त किया जाएगा.
  • कृषि भूमि पर बसी घनी आबादी वाली जमीन के मुआवजे के लिए जिला कलेक्टर सभी प्रकरणों का परीक्षण कराएंगे और समुचित निर्णय के लिए राजस्व विभाग जयपुर को भेजेंगे.
  • राज्य सरकार की ओर से 14 जून 2016 को जारी अधिसूचना के अनुसार गुणांक निर्धारण प्रचलन में है. राजस्व विभाग छत्तीसगढ़ पद्धति का अध्ययन कर सभी संभावित विकल्पों पर समुचित अभिशंसा सहित रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा. इसे भूतलक्षी (रेटरोस्पेक्टिव) प्रभाव से संशोधित करने के लिए विधिक परीक्षण करवाया जाएगा.
  • मुआवजा निर्धारण के संबंध में एनएचएआई अधिकारियों ने बताया कि एक्ट में विहित प्रावधानों के अनुसार ही निर्धारित किया गया है. राजस्व विभाग के प्रमुख शासन सचिव ने स्पष्ट किया कि विहित प्रावधानों के अनुसार ही मुआवजा निर्धारण किया जा सकता है.
  • जिन काश्तकारों की भूमि अवाप्ति में चली गई है उन्हें अन्य स्थान पर जमीन खरीदते समय स्टाम्प शुल्क से मुक्ति प्रदान करने के लिए विधिक परीक्षण कर उपलब्ध विकल्पों पर विचार किया जाएगा.
  • भूमि अवाप्ति से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित काश्तकारों को प्राथमिकता से रोजगार में नियोजित किया जाएगा.
  • एनएचएआई अधिकारियों ने बताया कि पूर्व में ही दो सौ स्थानीय लोग परियोजना में कार्यरत हैं. भूमि अवाप्ति से भूमिहीन होने वाले काश्तकार को मकान के लिए आवासीय जमीन उपलब्ध कराने के लिए भूमि अधिग्रहण एक्ट की द्वितीय अनुसूची के अनुसार कार्यवाही की जाएगी.

अवाप्ति की वजह से ध्वस्त होने वाले मकानों या अन्य संरचनाओं का परीक्षण कराएंगे और 50 फीसदी से अधिक प्रभावित या बिल्कुल अनुपयोगी होने वाली संरचनाओं के प्रकरणों में मुआवजे का निर्धारण अपेक्षाकृत अधिक उदारता से किया जाएगा एवं सम्पूर्ण इकाई का मुआवजा दिया जाएगा. काश्तकारों की ओर से सिंचाई के लिए बिछाई गई भूमिगत पाइप लाइन के प्रकरणों का परीक्षण कराकर समुचित मुआवजा दिया जाएगा.

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हालांकि दिन में हुई में किसानों के सभी बिंदुनों पर सहमति बन गई थी लेकिन किसानों ने कहते हुए आंदोलन खत्म करने की घोषणा नहीं की थी. मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद ही आगे की रणनीति की घोषणा करेंगे. बताया जा रहा है मुख्यमंत्री के स्वास्थय ठीक होने से किसान प्रतिनिधि मंडल की मुलाकात नहीं हो पाई और लिखित में मिले आश्वासन पर आंदोलन खत्म कर दिया गया.

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