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प्लाज्मा डोनेशन के प्रति जागरूकता के लिए अभियान को आंदोलन का रूप देंः CM गहलोत - चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा

राजस्थान में कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. जिसको लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चिंता जाहिर की है. शनिवार को राजस्थान में कोरोना संक्रमण की स्थिति की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्रदेश में कोरोना के इलाज के लिए प्लाज्मा थैरेपी को बड़े स्तर पर अपनाया जाए.

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मुख्यमंत्री ने सस्ते एन्टीजन किट के प्रयोग पर लगाई रोक

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Published : Aug 8, 2020, 10:44 PM IST

जयपुर.मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोरोना संक्रमण की जांच के लिए एंटीजन आधारित रेपिड टेस्ट की बजाय आरटी-पीसीआर जैसे भरोसेमंद टेस्ट किट से ही जांच करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश की जनता की जिन्दगी और मौत के सवाल पर सस्ते एन्टीजन टेस्ट किट का इस्तेमाल नहीं करेगी क्योंकि विशेषज्ञों ने इस किट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं.

सीएम गहलोत ने शनिवार को राजस्थान में कोरोना संक्रमण की स्थिति की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए निर्देश दिए कि प्रदेश में कोरोना के इलाज के लिए प्लाज्मा थैरेपी को बड़े स्तर पर अपनाया जाए. उन्होंने सुझाव दिया कि इसके लिए इलाज के बाद स्वस्थ हो चुके मरीजों को प्लाज्मा डोनेशन के लिए प्रेरित करने के लिए पूरे प्रदेश में आंदोलन के रूप में अभियान चलाया जाए. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के इस महामारी से लोगों का जीवन बचाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्लाज्मा थैरेपी को थीम बनाकर काम करना होगा.

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कोरोना के प्रति गंभीरता में कमी की धारणा चिंताजनक

मुख्यमंत्री ने आम लोगों के बीच बन रही इस धारणा पर चिंता जाहिर की कि कोरोना संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में कोई ढिलाई आ गई है. उन्होंने अधिकारियों को कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पूरी सर्तकता और सख्ती बरतने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में किसी गंभीर स्थिति का सामना करने से पहले ही हमें आम लोगों को संक्रमण से बचाव के लिए जागरूक करना होगा और हर संक्रमित व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी.

प्रदेश में मृत्यु दर में कमी

बैठक में अवगत कराया गया कि प्रदेश में कोरोना से मृत्यु दर 1.53 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत 2.1 प्रतिशत से काफी कम है. गहलोत ने मृत्यु दर को और अधिक घटाने के लक्ष्य पर काम करने का सुझाव दिया और कहा कि संक्रमित व्यक्तियों की संख्या बढ़ने के बावजूद यदि मृत्यु दर नियंत्रित रहती है, तो ये बड़ी उपलब्धि होगी. उन्होंने कोरोना से होने वाली सभी मौतों का जिलेवार ऑडिट कर विभिन्न जिला अस्पतालों और छोटे शहरों में कोरोना के इलाज कर रहे डॉक्टरों को इलाज के लिए विशेषज्ञों द्वारा सुझाए गए प्रोटोकॉल के बारे में प्रशिक्षित करने का सुझाव दिया.

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