भिंड/जयपुर. अब चंबल अंचल की बेटियों ने हाथों में बंदूक थाम ली है और पूरे आत्मविश्वास के साथ फायर भी कर रही हैं. हाथों में बंदूक थामे इन बेटियों को चंबल अंचल का भविष्य कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि इन बेटियों ने अपनी छवि के लिए बदनाम रहे चंबल-अंचल की सकारात्मक छवि बनाने और खुद का भविष्य गढ़ने की चुनौती को न सिर्फ स्वीकारा, बल्कि उसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत में जुटी गई हैं.
शिक्षक दे रहे पूरा साथ
एक समय था जब बागी बीहड़ों के लिए चंबल अंचल बदनाम था, क्योंकि घाटी में आए दिन बंदूक की धांय-धांय की गूंज सुनाई देती थी, लेकिन बंदूक की शौकीन इन बेटियों ने अपने शौक को जुनून में तब्दील किया और शूटिंग के जरिए मध्यप्रदेश का नाम पूरे देश में रोशन करने का बीड़ा उठाया है. भिंड के शासकीय उत्कृष्ट उच्च माध्यमिक विद्यालय क्रमांक 1 में पढ़ने वाली इन सभी छात्राओं को स्कूल के शिक्षक भी पूरा साथ दे रहे हैं.
भिंड को मिल सकती है नई पहचान
स्कूल के शिक्षकों की इस पहल से भिंड को एक नई पहचान मिल सकती है, लेकिन खेल विभाग का उदासीन रवैया खिलाड़ियों के हौसले कम करने में पीछे नहीं है. छात्राएं स्कूल मैनेजमेंट और कोच भूपेंद्र कुशवाहा से प्रेरित होकर शूटिंग में अपना करियर बनाना चाहती हैं. कोच भूपेंद्र कुशवाहा ने बताया कि आखिर क्यों उन्होंने छात्राओं को शूटिंग के लिए प्रेरित किया.