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Exclusive : गांधी वादी कहलाने से नहीं, गांधी के विचारों पर काम कर शराबबंदी करें CM गहलोत : पूजा छाबड़ा

राजस्थान में एक बार फिर शराबबंदी का जिन्न बोतल से बाहर आ गया गया है. विधानसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में गहलोत सरकार ने साफ कर दिया कि वो शराबबंदी के पक्ष में नहीं है. सरकार के इस लिखित में आए बयान के बाद शराबबंदी आंदोलन से जुड़े लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया है. राष्ट्रीय शराबबंदी आंदोलन की राष्ट्रीय अध्यक्ष पूजा छाबड़ा ने क्या कहा, खुद सुनिये...

National President of the National Prohibition Movement
राजस्थान में शराबबंदी पर अपडेट

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Published : Aug 24, 2021, 9:12 PM IST

जयपुर. ईटीवी भारत से खास बातचीत में राष्ट्रीय शराबबंदी आंदोलन की राष्ट्रीय अध्यक्ष पूजा छाबड़ा ने गहलोत सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि गांधी वादी कहलाने से नहीं, गांधी के विचारों पर काम कर सरकार प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी करे. ऐसा नहीं करने पर आनेवाले दिनों में आंदोलन का सामना करने के लिए कांग्रेस सरकार तैयार रहे.

पूजा छाबड़ा ने कहा कि मुझे भी आपके चैनल (ETV Bharat) के माध्यम से ही पता लगा है कि मदन दिलावर जो कि बीजेपी के विधायक हैं, उन्होंने विधानसभा में इस बात को लेकर सवाल उठाया था कि क्या राजस्थान में कांग्रेस की सरकार संपूर्ण शराबबंदी पर कोई विचार रखती है. उसके जवाब में यह कहा गया कि राजस्थान में सरकार संपूर्ण शराबबंदी नहीं कर सकती. शराबबंदी की जाती है तो राजस्थान सरकार को हजारों करोड़ के राजस्व का नुकसान होगा.

क्या कहती हैं पूजा छाबड़ा...

जवाब में यह भी कहा गया कि सरकार (Gehlot Government) अच्छी गुणवत्ता के साथ लोगों को शराब उपलब्ध हो, इसको लेकर सरकार काम कर रही है. इस तरह का जवाब संपूर्ण शराबबंदी को लेकर आंदोलन करने वाले लोगों को निराश करने वाला है. सरकार जो अपने आपको गांधी वादी विचारों वाली बताती है, वह गांधी के विचारों के विपरीत जाकर काम कर रही है. शराबबंदी के खिलाफ हो रही है. जबकि पूर्व में गुरुशरण छाबड़ा जिन्होंने शराबबंदी को लेकर आंदोलन करते हुए अपनी शहादत दे दी, आंदोलन के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आश्वस्त किया था कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनती है तो वह पूर्ण शराबबंदी पर काम करेगी.

लेकिन जिस तरह से आज जो बातें सामने आ रही हैं या सरकार की तरफ से लिखित में जो बात कही गई है, उसने संपूर्ण शराबबंदी को लेकर आंदोलन करने वाले लोगों को एक बड़ा झटका दिया है. हमें एक उम्मीद थी, आशा की किरण दिखाई देती थी कि राजस्थान में गांधी वादी विचारों की सोच और अपने आपको राजस्थान का गांधी बताने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शराबबंदी का समर्थन करते रहे, उन्होंने अलग-अलग मंच पर इस बात का समर्थन किया है कि शराबबंदी के हम समर्थन में हैं. हम भी चाहते हैं कि शराब बंद हो और शराबबंदी आंदोलन को लेकर उन्हें शुभकामनाएं दी थी. लेकिन आज इस तरीके से जो जवाब आया है वह कहीं न कहीं सवाल खड़ा करता है कि जहां गांधी जी की सरकार है, गांधीवादी विचारों के मुख्यमंत्री हैं, वहां पर शराब को बढ़ावा देना कहां तक उचित है.

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कमेटी बनाई गई कि शराबबंदी को लेकर कमेटी अन्य राज्यों का अध्ययन करेगी, लेकिन उस कमेटी की किसी तरह के निर्णय से पहले ही अधिकारियों ने यह निर्णय कर लिया कि सरकार शराबबंदी नहीं करेगी. पूजा छाबड़ा ने कहा कि मैं खुद उस कमेटी में एक सदस्य थी. उस कमेटी का अलग-अलग राज्यों में जहां पर शराबबंदी है, फिर वो गुजरात हो या बिहार उन राज्यों का दौरा करना था. वहां से अपनी रिपोर्ट तैयार करके मुख्यमंत्री को देनी थी, लेकिन कमेटी अपनी रिपोर्ट देती उससे पहले ही सरकार के अधिकारियों द्वारा यह स्पष्ट कर देना कि सरकार शराबबंदी के पक्ष में नहीं है. यह अपने आप में एक बड़ी दुख की बात है.

किस आधार पर सरकार के अधिकारियों ने बिना अध्ययन करे फैसला ले लिया, यह भी अपने आप में एक चौंकाने वाली बात है. कहीं न कहीं हमारी समझौते की अवहेलना की गई है. सरकार ने जो वादा किया था, उस वादे को लेकर सरकार मुकर गई है. अब सरकार को हम आंदोलन के जरिए शराबबंदी को लेकर मजबूर करेंगे. छाबड़ा ने कहा कि हम गांधी जी की 150वीं जयंती मना रहे हैं. इसी 150वी जयंती में सरकार को अब गांधी के विचारों को मानना होगा. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हमेशा कहते थे कि देश में शराबबंदी होनी चाहिए. हम अब गांव-गांव ढाणी-ढाणी जाकर सरकार के खिलाफ और सरकार की नियत के बारे में लोगों को जागरूक करेंगे कि किस तरीके से सरकार जिससे कि प्रदेश की बच्चियां, महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, उस निर्णय को नहीं ले रही है.

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आज अगर आप देखें तो ज्यादातर महिलाओं के साथ में जो घरेलू हिंसा हो रही है वो शराब की वजह से हो रही है. छोटी-छोटी बच्चियों के साथ में जो दुष्कर्म की घटनाएं हो रही हैं, उसमें भी यह आंकड़े सामने आ चुके हैं कि ज्यादातर शराब के नशे में की गई घटना है. ऐसे में जब समाज के अंदर इस तरह से शराब एक बड़ी विकृति के रूप में पनप चुका है. उसके बावजूद सरकार इस तरह का फैसला या शराबबंदी के फैसले को लेकर पीछे हटना ठीक नहीं है. इसको लेकर अब सरकार को आंदोलन का सामना करना पड़ेगा.

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