जयपुर. राजस्थान की कांग्रेस सरकार 3 साल (Gehlot Government Third Anniversary) पूरे होने का जश्न मना रही है, लेकिन इन तीन सालों में अल्पसंख्यकों से जुड़े कार्य नहीं होने से अल्पसंख्यक समुदाय गहलोत सरकार (Minorities annoyed with ehlot Government) से नाराज है. समुदाय को नजरअंदाज करने पर अल्पसंख्यक समुदाय मुस्लिम विधायकों से भी गुस्सा है. राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग, राजस्थान मुस्लिम वक्फ बोर्ड, राजस्थान मदरसा बोर्ड, राजस्थान उर्दू अकादमी, राजस्थान हज कमेटी सहित अन्य अल्पसंख्यक विभागों में तीन साल बीतने के बावजूद कोई चेयरमैन नहीं बनाया गया है.
इसके अलावा उर्दू शिक्षा की तरफ ध्यान नहीं देने, मदरसा पैराटीचर्स को नियमित नहीं करने से भी मुस्लिम समुदाय में सरकार को लेकर नाराजगी है. इस विधानसभा में अल्पसंख्यक समुदाय के 9 विधायक हैं. सालेह मोहम्मद अल्पसंख्यक मामलात मंत्री हैं, जाहिदा खान राज्य मंत्री हैं. इसके अलावा रफीक खान, दानिश अबरार, अमीन कागजी, हाकम अली अल्पसंख्यक समुदाय से विधायक हैं. मुस्लिम पदाधिकारियों का कहना है कि अल्पसंख्यक समुदाय के विधायक भी अपने समुदाय को नजरअंदाज कर रहे हैं.
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राजस्थान उर्दू शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अमीन कायमखानी ने कहा कि गहलोत सरकार के 3 साल पूरे हो चुके हैं लेकिन अभी तक अल्पसंख्यक समुदाय की भलाई के लिए एक भी निर्णय नहीं लिया गया. इसके अलावा समुदाय से जुड़े हुए बोर्ड अध्यक्षों के पद भी खाली पड़े हैं. कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में अल्पसंख्यक समुदाय के लिए जो वादे किए थे, वे भी पूरे नहीं किए हैं. अमीन कायमखानी ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय गहलोत सरकार को 10 में से जीरो नंबर देता है. सोनिया गांधी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को प्रदेश के मुख्यमंत्री को पाबंद करना चाहिए कि बचे हुए 2 सालों में मुस्लिमों के लिए अच्छा काम करें ताकि समुदाय में अच्छा संदेश जाए.