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रेप के मामलों में राजस्थान टॉप पर और महिला आयोग की नियुक्तियों में 'फेल', कहां जाएं पीड़िताएं

राजस्थान की गहलोत सरकार राजनीतिक खींचतान के चलते अपने कार्यकाल में अब तक स्थिरता के साथ काम नहीं कर पाई है. इसका खामियाजा आम जनता को उठाना पड़ रहा है. सरकार ने राज्य महिला आयोग अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की है. ऐसे में न्याय के लिए पीड़िताएं भटक रही हैं.

Rajasthan government women commission recruitment
राजस्थान सरकार महिला आयोग में नियुक्तियां

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Published : Oct 9, 2021, 6:22 PM IST

Updated : Oct 9, 2021, 9:27 PM IST

जयपुर. महिला अपराध के मामलों में राजस्थान पहले पायदान पर हैं. सरकार की दलील है कि थानों में महिलाओं की शिकायतें दर्ज करने के कारण अपराध के आंकड़े का ग्राफ बढ़ा है, अपराध नहीं. सवाल ये कि क्या मुकदमे दर्ज होना ही न्याय है ?

ये सवाल इसलिए क्योंकि प्रदेश में ऐसी बहुत सी पीड़िताएं हैं जिनका कहना है कि थानों में उनके साथ आरोपी जैसा सलूक किया गया. जयपुर की वैदेही (बदला हुआ नाम) अपनी दूधमुंही बच्ची को गोद में लेकर पिछले कई महीनों से वीकेआई महिला थाने के चक्कर काट रही हैं. वैदेही का आरोप है कि शादी के बाद सास, ससुर और पति ने उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया. थाने में शिकायत दर्ज कराने जाती हैं लेकिन पुलिस उनसे ऐसा व्यवहार करती है जैसे वैदेही ही आरोपी है.

महिला आयोग में खाली पड़े हैं पद

महिला आयोग में अध्यक्ष पद खाली क्यों ?

यह सिर्फ वैदेही का सवाल नहीं है. ऐसे कई मामले सामने आते हैं जो पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हैं. थाने की दहलीज से न्याय नहीं मिलता तो पीड़ित महिलाएं महिला आयोग का दरवाजा खटखटा सकती हैं. लेकिन राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने अब तक महिला आयोग के खाली पदों पर नियुक्ति नहीं की है. सामाजिक कार्यकर्ता बबीता शर्मा का कहना है कि उनके पास प्रतिमाह 10-12 ऐसे मामले आ रहे हैं, जिनमें शिकायत है कि पीड़िताओं को पुलिस का सहयोग नहीं मिल रहा है. हैरत की बात है कि महिला आयोग जैसी महत्वपूर्ण संस्था में अभी तक सरकार नियुक्ति नहीं कर पाई.

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महिला आयोग को लेकर लेटलतीफ है गहलोत सरकार

राजस्थान में सरकार बदलने के साथ ही नई सरकार नए सिरे से आयोग में नियुक्तियां करती है. इसमें 5-6 महीने लगना लाजिमी है. लेकिन इस मामले में गहलोत सरकार फिसड्डी ही रही है. 2009 में तत्कालीन महिला आयोग अध्यक्ष तारा भंडारी का कार्यकाल खत्म होने के बाद नई अध्यक्ष लाड़ कुमारी जैन की नियुक्ति करने में गहलोत सरकार ने ढाई साल का समय लगाया. 2014 में वसुंधरा सरकार ने 10 महीने के अंदर सुमन शर्मा को आयोग का अध्यक्ष बना दिया. 2018 में सरकार बदली तब से महिला आयोग का अध्यक्ष पद खाली है.

5 बजे बाद कोई फोन तक नहीं उठाता..

महिला आयोग में फिलहाल सचिव के पद पर एक आरएएस अफसर तैनात हैं, कुछ कर्मचारी हैं. अध्यक्ष व अन्य सदस्यों के पद खाली हैं. ऐसे में फुल कमीशन के अभाव में महिला आयोग का काम गति नही पकड़ पा रहा है. सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा सिंह कहती हैं कि नेशनल क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों में राजस्थान महिला हिंसा और यौन अपराध के मामलों में अव्वह है. यह दुर्भाग्य की बात है कि सरकार की आपसी खींचतान का खामियाजा आम महिलाओं को उठाना पड़ रहा है.

आधा कार्यकाल बीतने पर भी महिला आयोग अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं

हालात ये हैं कि महिला आयोग में शाम 5 बजे बाद कोई फोन तक नहीं उठाता. ई-मेल का जवाब भी समय पर नहीं मिलता. उन्होंने कहा कि महिला आयोग जैसे महत्वपूर्ण संस्था में तत्काल प्रभाव से अध्यक्ष की नियुक्ति की जानी चाहिए, ताकि महिलाओं को न्याय के लिए दर-दर की ठोकर नहीं खानी पड़े.

एक तरफ राजस्थान महिला हिंसा के मामले में पहले पायदान पर है, तो वहीं महिला आयोग का अध्यक्ष पद पौने तीन साल से खाली पड़ा है. गहलोत सरकार पिछले कुछ समय से अंतर्कलह से जूझ रही है, लेकिन इसके लिए महिला आयोग का अध्यक्ष पद खाली रखना प्रदेश की महिलाओं के साथ न्याय नहीं है.

Last Updated : Oct 9, 2021, 9:27 PM IST

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