जयपुर.मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाथी गांव के हाथियों के लिए सहायता राशि की मंजूरी दी है. प्रत्येक हाथी को 1500 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से सहायता दी जाएगी. हाथियों के कल्याण के लिए सरकार ने 57.375 लाख रुपये की मंजूरी दी है. कोरोना की दूसरी लहर में लॉकडाउन से पर्यटन स्थल बंद होने से पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों की रोजी-रोटी पर संकट आ गया.
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आमेर में हाथी सवारी बंद होने से हाथी पालको और महावतों पर भी आर्थिक संकट आ गया. हाथी पालको और महावतो की समस्या को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से दिखाया. जिसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आर्थिक मदद का ऐलान किया है. हाथी पालको और महावतो की समस्याओं को प्रमुखता से उठाने पर हाथी पालको और महावतों ने ईटीवी भारत का धन्यवाद ज्ञापित किया है.
हाथियों के कल्याण के लिए गहलोत सरकार ने दी 57.375 लाख की मंजूरी 17 अप्रैल से 31 मई तक लगे लॉकडाउन की अवधि के लिए प्रत्येक हाथी के लिए 1500 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से सहायता राशि उपलब्ध करवाई जाएगी. इसके लिए राज्य सरकार ने 57.37 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की है, जो हाथी कल्याण संस्थान को दी जाएगी. प्रदेश में अनलॉक की प्रक्रिया भले ही शुरू हो गई हो, लेकिन हाथी गांव और आमेर किले को पर्यटकों की आवाजाही के लिए शुरू नहीं किया गया है. जिसके चलते हाथी मालिक और महावत बेरोजगार बैठे हैं.
पहले भी दी गई थी 4.21 करोड़ रुपए की आर्थिक मदद
कोरोना संक्रमण की पहली लहर के दौरान लगे लॉकडाउन में भी हाथी पालकों के लिए आजीविका चलाना मुश्किल हो गया था. उस समय भी सरकार ने मुख्यमंत्री सहायता कोष के तहत कोविड-19 राहत कोष से हाथी कल्याण संस्थान को 4.21 करोड़ रुपए की सहायता राशि दी थी. हाथी पालको का कहना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से हाथियों के पालन पोषण के लिए राशि मंजूर की गई है. जिससे हाथी पालकों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा. इसके लिए सभी हाथी पालको और महावतो ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार जताया है.
प्रत्येक हाथी को 1500 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मिलेंगे पढ़ेंःCM का संवेदनशील निर्णय, हाथी पालक परिवारों को मिलेगी मुख्यमंत्री सहायता कोष से आर्थिक मदद
हाथी पालक आसिफ खान ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 57.37 लाख रुपए हाथी कल्याण के लिए स्वीकृत किए हैं. आमेर के 85 हाथियों में राशि बाटी जाएगी. एक हाथी को करीब 67 हजार रुपए मिलेंगे. इस सहायता से हाथियों के भरण-पोषण में काफी राहत मिलेगी. पर्यटकों का आवागमन बंद होने से हाथी सवारी भी बंद है.
कोरोना से सबसे ज्यादा नुकसान पर्यटन क्षेत्र को हुआ है. पर्यटन व्यवसाय पूरी तरह से ठप हो चुका है. कोरोना काल में हाथी पालकों का पेट पालना मुश्किल हो गया. उन्होंने ईटीवी भारत का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि ईटीवी भारत ने हाथियों का मुद्दा उठाया. हाथी पालको और महावतों की समस्या को सरकार तक पहुंचाने में सहायता की.