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सदन में सरकार ने स्वीकारा, पायलट की बगावत के समय हुई थी फोन टैपिंग...BJP मांग रही इस्तीफा - Gehlot government admitted to phone taped

साल 2020 के अगस्त महीने में सचिन पायलट खेमे की बगावत के चलते प्रदेश सरकार पर सियासी संकट आ गया था, तब राजनेताओं और अन्य लोगों के फोन टैपिंग के मामले में काफी सियासी बवाल भी था, लेकिन अब राजस्थान विधानसभा में लगे भाजपा विधायक कालीचरण सराफ के एक सवाल के जवाब में सरकार ने यह मान लिया है कि फोन टैपिंग की गई थी. जिस पर डॉ. सतीश पूनिया ने मामले की सीबीआई से जांच कराने के साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इस्तीफे की मांग की है.

सचिन पायलट और अशोक गहलोत, Gehlot government admitted to phone taped
सचिन पायलट और अशोक गहलोत

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Published : Mar 15, 2021, 7:23 PM IST

Updated : Mar 15, 2021, 7:31 PM IST

जयपुर. पिछले साल अगस्त में सचिन पायलट खेमे की बगावत के चलते प्रदेश सरकार पर सियासी संकट आया था, तब राजनेताओं और अन्य के फोन टैपिंग के मामले में काफी सियासी बवाल भी हुआ था, लेकिन अब राजस्थान विधानसभा में लगे भाजपा विधायक कालीचरण सराफ के एक सवाल के जवाब में सरकार ने यह मान लिया है कि फोन टैपिंग की गई थी. यही कारण है कि अब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराने के साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.

सतीश पूनिया ने गहलोत से मांगा इस्तीफा

दरअसल, पिछले साल अगस्त में भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने विधानसभा में इससे जुड़ा सवाल लगाया था, जिसका जवाब अब आया है. गृह विभाग ने अपने जवाब में कहा है कि सक्षम स्तर पर मंजूरी लेकर फोन टैप किए जाते हैं. नवंबर 2020 तक फोन टैप के सभी मामलों की मुख्य सचिव स्तर पर समीक्षा भी की जा चुकी है. इस सवाल का जवाब राजस्थान विधानसभा की वेबसाइट पर भी डाला गया है, क्योंकि विधायक कालीचरण सराफ ने जब यह सवाल पूछा था, तब प्रदेश में सियासी संकट चल रहा था, जिसके चलते यह माना जा रहा है कि इस जवाब को बागी विधायकों और केंद्रीय मंत्रियों के फोन टैपिंग से जुड़ा माना जा सकता है.

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यह था सवाल

क्या यह सही है कि विगत दिवस में फोन टैप किए जाने के प्रकरण सामने आए हैं ? यदि हां तो किस कानून के अंतर्गत और किसके आदेश पर? पूरा ब्यौरा सदन की मेज पर रखें.

ये आया था जवाब

जवाब में गृह विभाग ने कहा था कि लोगों की सुरक्षा और कानून व्यवस्था को खतरा होने पर सक्षम अधिकारी की अनुमति लेकर फोन सर्विलांस पर टैप किए जाते हैं. भारतीय तार अधिनियम 1885 की धारा 52 और आईटी एक्ट की धारा 69 में दिए प्रावधानों के अनुसार फोन टैप किए जाते हैं. राजस्थान पुलिस ने इन प्रावधानों के तहत ही सक्षम अधिकारी से मंजूरी लेकर फोन टेप किए थे. सर्विसलांस पर लिए गए फोनों की मुख्य सचिव के स्तर पर बनी समिति समीक्षा करती है.

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भाजपा ने बनाया मुद्दा

इस मामले में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने सोमवार शाम प्रेस वार्ता कर प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा किया. पूनिया ने कहा कि जब प्रदेश में सियासी संकट चल रहा था तभी यह मामला उठा और बीजेपी ने इसका विरोध भी किया, क्योंकि राजस्थान में इस प्रकार की परंपरा कभी नहीं रही, लेकिन तब विभिन्न समाचार पत्रों और मीडिया के माध्यम से सरकार इसे इनकार करती रही, लेकिन अब विधानसभा में लगे प्रश्न के जवाब में सरकार ने यह स्वीकार कर लिया है कि फोन टैपिंग हुई थी. हम चाहते हैं कि इस मामले की उच्चस्तरीय या सीबीआई से जांच हो.

वहीं, इस घटनाक्रम और प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी बतौर गृहमंत्री मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की है, लेकिन वो इसमें पूरी तरह विफल रहे. ऐसे में उन्हें नैतिकता के आधार पर पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.

Last Updated : Mar 15, 2021, 7:31 PM IST

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