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वाहनों की फर्जी एनओसी बनाने वाली गैंग का सरगना गिरफ्तार, 8 वाहन और फर्जी कागजात बरामद - जयपुर ग्रामीण पुलिस

जयपुर ग्रामीण पुलिस की डिस्ट्रिक्ट स्पेशल टीम ने एक वाहनों की फर्जी एनओसी बनाकर टैक्सी नंबर की गाड़ी को प्राइवेट नंबर की गाड़ी में बदलकर बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने दूदू थाना इलाके से गैंग के सरगना गणेश जाट को गिरफ्तार किया है. वहीं मामले में आरोपी से पुछताछ और गहन जांच की जा रही है. साथ ही इसमें परिवहन विभाग के कर्मचारियों के साथ मिले होने की आशंका जताई जा रही है.

fake NOC gang leader arrested, जयपुर में फर्जी एनओसी गिरोह, फर्जी एनओसी गिरोह गिरफ्तार
फर्जी एनओसी गिरोह का मुखिया गिरफ्तार

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Published : Jan 7, 2020, 5:45 PM IST

जयपुर. जयपुर ग्रामीण पुलिस की डिस्ट्रिक्ट स्पेशल टीम ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है. जिसमें वाहनों की फर्जी एनओसी बनाकर टैक्सी नंबर की गाड़ी को प्राइवेट नंबर की गाड़ी में बदलकर बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया गया. इन वाहनों को अन्य राज्यों और विभिन्न जिलों में बेचा जाता था.

फर्जी एनओसी गिरोह का मुखिया गिरफ्तार

बता दें कि पुलिस ने दूदू थाना इलाके में इस कार्रवाई को अंजाम देते हुए गैंग के सरगना गणेश जाट को गिरफ्तार किया है. आरोपी के पास से बड़ी मात्रा में विभिन्न फाइनेंस कंपनियों के लेटर पैड, मुहर और अन्य दस्तावेज बरामद किए गए हैं. इसके साथ ही आरोपी के पास से ट्रक, डंपर सहित कुल 8 वाहन भी बरामद किए गए हैं.

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जिला जयपुर ग्रामीण एसपी शंकर दत्त शर्मा ने बताया कि डिस्ट्रिक्ट स्पेशल टीम के साथ दूदू थाना पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई को अंजाम दिया है. विभिन्न बैंकों से फाइनेंस की गई गाड़ियों को इकरारनामा के आधार पर सस्ते दामों में खरीद, उनका फर्जी अनापत्ति प्रमाण पत्र तैयार करके आरटीओ विभाग में जमा किया जाता था. जिसके बाद टैक्सी नंबर की गाड़ी को प्राइवेट नंबर की गाड़ी में बदलाव कर दूसरे जिलों में और दूसरे राज्यों में बेचा जाता था.

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पुलिस की गिरफ्त में आए गैंग के सरगना गणेश जाट ने प्रारंभिक पूछताछ में बताया कि वह ऐसी गाड़ियों को इकरारनामा के आधार पर उन व्यक्तियों से खरीदता था, जो बैंक द्वारा गाड़ियों पर लिया गया लोन नहीं चुका पाते. इकरारनामा पर वाहन खरीदने के बाद संबंधित फाइनेंस कंपनी के फर्जी लेटर पैड कंप्यूटर से जनरेट कर फर्जी तरीके से उस बैंक का वाहन पर अनापत्ति प्रमाण पत्र तैयार कर मुहर लगाते और उन्हें परिवहन विभाग को दे देते. जिससे उस वाहन का परिवहन विभाग के रिकॉर्ड से हाइपोथिकेशन हट जाता. उसके बाद गैंग के सदस्य उस वाहन को दूसरे व्यक्तियों के नाम ट्रांसफर कर और टैक्सी नंबर की गाड़ी को प्राइवेट नंबर की गाड़ी में बदलवा कर कागजात तैयार करवा कर बेच देते.

गैंग के पंजाब, हिमाचल, गुजरात व राजस्थान में जोधपुर, गंगानगर, अलवर, सीकर, जैसलमेर सहित विभिन्न जिलों में बेचने की बात सामने आई है. वहीं इस पूरे प्रकरण में परिवहन विभाग की लापरवाही भी उजागर हुई है. जो कागजों का बिना सत्यापन करे ही रिकॉर्ड से वाहनों का हाइपोथिकेशन हटा रही है. परिवहन विभाग के कर्मचारियों के भी गैंग के सदस्यों के साथ मिले होने की आशंका जताई जा रही है. फिलहाल प्रकरण में पुलिस की जांच जारी है.

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