जयपुर. राजस्थान में गणगौर का त्योहार बड़े हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया जाता है. यह पर्व विशेष रूप से सुहागिन महिलाएं मनाती हैं. सुहागिनें अपनी पति की लंबी आयु और कुशल वैवाहिक जीवन के लिए और अविवाहित कन्याएं मनोवांछित वर पाने के लिए गणगौर व्रत के साथ पूजन करती है.
दरअसल, 16 दिन तक मनाए जाने वाले इस पर्व की शुरूआत धुलण्डी के दिन से होती है. गणगौर पूजा विशेष रूप से सुहागन महिलाएं और कुंआरी कन्याएं करती हैं. महिलाएं इस दिन माता गणगौर की पूजा करती हैं और अपने सुहाग की लंबी उम्र के साथ सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं.
गणगौर की सवारी हर साल जयपुर में महाराजा सवाई मानसिंह द्धितीय संग्रहालय ट्रस्ट और पर्यटन विभाग के सहयोग से राजशाही ठाट-बाट से निकाली जाती है, जिसमें जयपुर राजपरिवार की प्रमुख भूमिका होती है.
राजपरिवार की महिलाएं स्वर्ण आभूषणों से सुसज्जित गणगौर को चांदी की पालकी में बैठाकर पूजा-अर्चना के बाद पालकी को विदा करती हैं. यह पालकी पूरे लवाजमे और गीत-संगीत के साथ निकलती है.
सिटी पैलेस से शाम 6 बजे निकलेगी गणगौर माता की शाही सवारी
वहीं जयपुर के सिटी पैलेस से शाम 6 बजे गणगौर माता की शाही सवारी निकलेगी. शाही लवाजमे के साथ जयपुर के त्रिपोलिया गेट, सिटी पैलेस से गणगौर माता की सवारी निकलेगी. जो जनानी ड्योढ़ी से शुरू होकर त्रिपोलिया बाजार, छोटी चौपड़, गणगौरी बाजार से चौगान स्टेडियम होती हुई तालकटोरा पहुंचकर रात 8 बजे संपन्न होगी.