जयपुर.गणेश चतुर्थी पर छोटी काशी में प्रथम पूज्य भगवान गणेश का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. सुबह से शाम और रात को भी गणपति के दरबार में भक्तों का सैलाब पहुंचता हुआ नजर आया. विशेषकर मोती डूंगरी गणेश मंदिर में. जहां गणपति पर सिंदूर का चोला चढ़ा स्वरूप विराजमान है. ये मंदिर भगवान गणेश के प्रमुख मंदिरों में से एक माना जाता है. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं. गणेश चतुर्थी के अवसर पर यहां लाखों की संख्या श्रद्धालु पहुंचे. इस मंदिर के प्रति लोगों की खास आस्था और विश्वास जुड़ा हुआ है.
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को बुधवार को पूरा शहर जन्मोत्सव के उल्लास में डूबा हुआ नजर आ रहा है. घर-घर में प्रथम पूज्य गणपति का गुणगान हो रहा है. वहीं शहर के गणेश मंदिरों में गणपति के जयकारे गूंज रहे हैं. मोती डूंगरी गणेशजी मंदिर में गणेश जी को स्वर्ण मुकुट धारण करा चांदी के सिंहासन पर विराजमान कराया गया (Ganesh Chaturthi in Moti Dungri Mandir) है. मोती, सोना, पन्ना, माणक के साथ पारंपरिक शृंगार किया गया है. वहीं 2 साल बाद कोरोना का प्रभाव कम होने के चलते इस बार भक्तों में भी खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. यही वजह है कि भगवान के पल भर के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु जेएलएन रोड, तख्तेशाही रोड और एमडी रोड पर लगे बैरिकेडिंग से गुजरते हुए मंदिर तक पहुंच रहे हैं.
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मोती डूंगरी गणेश मंदिर का इतिहास: मोती डूंगरी की तलहटी में स्थित भगवान गणेश का ये मंदिर जयपुरवासियों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. इतिहासकारों की मानें तो यहां स्थापित गणेश प्रतिमा जयपुर नरेश माधोसिंह प्रथम की पटरानी के पीहर मावली से 1761 ईस्वी में लाई गई थी. मावली में ये प्रतिमा गुजरात से लाई गई थी. उस समय ये 500 वर्ष पुरानी थी. जयपुर के नगर सेठ पल्लीवाल यह मूर्ति लेकर आए थे और उन्हीं की देख-रेख में मोती डूंगरी की तलहटी में इस मंदिर को बनवाया गया था.