जयपुर.गणेश चतुर्थी बुधवार को मनाई जाएगी. गणेश चतुर्थी कई मायनों में बहुत खास है. इस साल वो सारे योग-संयोग (SUBH MUHURT GANESH CHATURTHI) बन रहे हैं, जो गणेश जी के जन्म पर बने थे. बुधवार का दिन, चतुर्थी तिथि, नक्षत्र चित्रा और मध्याह्न काल ये ही वो संयोग था, जब भगवान शिव ने हाथी का सिर लगाकर उनमें प्राण डाले थे. यही वजह है कि इस बार लोगों में गणेश चतुर्थी मनाने को लेकर उत्साह दोगुना हो गया है. ईटीवी भारत के दर्शकों को हम बताते हैं कि किस तरह भगवान गणेश की पूजा अर्चना करें और किस मुहूर्त में उनका पूजन सबसे ज्यादा फलदाई होगा.
व्यापार के लिए श्रेष्ठः ज्योतिषाचार्य अश्विनी चतुर्वेदी ने बताया कि ये शुभ संयोग है कि बुधवार के दिन ही गणेश चतुर्थी आई है. भगवान गणपति बुद्ध के अधिष्ठात्री देवता भी हैं, और बुद्ध वाणी का कारक है. जो भी व्यापार चलता है, वो वाणी से चलता है. बुधवार को गणेश चतुर्थी होने से व्यापार के बढ़ने की (GANESH CHATURTHI PUJA TIPS) अपार संभावना है. भगवान गणेश की सबसे सूक्ष्म पूजा पंचोपचार होती है. जिसमें गंध, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य लगाकर पूजा कर सकते हैं. इसके अलावा श्रद्धालु पंचामृत अभिषेक, गंगाजल अभिषेक, तीर्थ जल अभिषेक कर सकते हैं. इसके बाद सिंदूर का लेप लगाकर वस्त्र, मोली, यज्ञोपवीत, पुष्पमाला, इत्र और सूखा सिंदूर चढ़ाकर चूरमा, लड्डू, गुड़धानी का भोग लगाया जा सकता है.
सबसे शुभ मुहूर्त :वहीं ज्योतिषाचार्य जय शर्मा ने बताया कि भगवान गणेश का जन्म काल मध्यान्ह काल था. ऐसे में वृश्चिक लग्न के साथ मध्यान्ह काल में भगवान गणपति की आराधना विशेष फलदाई मानी गई है. इस बार सबसे शुभ मुहूर्त लाभ-अमृत का चौघड़िया 11:11 से 1:43 का रहेगा. इसके अलावा 10:53 से 12:27 पर शुभ चौघड़िया रहने वाले हैं. वहीं जो लोग भगवान गणेश की गणेश चतुर्थी पर स्थापना करना चाहते हैं वो गाय के देसी घी में सिंदूर मिलाकर सिंदूर का चोला चढ़ाएं. चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर भगवान गणेश को विराजमान कराएं. इसके बाद उनका अभिषेक कर वस्त्र धारण कराएं.