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गांधी जयंती पर 'गांधीवादी दर्शन-पुलिस व्यवहार में प्रासंगिकता' विषय पर संवाद का आयोजन

जयपुर में गांधी जयंती के अवसर पर 'गांधीवादी दर्शन- पुलिस व्यवहार में प्रासंगिकता' विषय पर संवाद का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में डीजीपी मुख्य वक्ता रहें. कार्यक्रम के दौरान डीजीपी ने गांधी वादी दर्शन की पुलिस विभाग में आवश्यकता की बात कही.

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Published : Oct 2, 2020, 11:03 PM IST

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गांधी जयंती पर संवाद

जयपुर.गांधी जयंती के मौके पर राजधानी में 'गांधीवादी दर्शन- पुलिस व्यवहार में प्रासंगिकता' विषय पर संवाद का आयोजन किया गया. राजस्थान पुलिस अकादमी में आयोजित संवाद में डीजीपी भूपेंद्र सिंह मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहे, इस मौके पर डीजीपी भूपेंद्र सिंह ने कहा कि पुलिस समेत हर क्षेत्र में गांधी वादी दर्शन की आवश्यकता है.

गांधी जयंती पर संवाद

उन्होंने कहा की पुलिस के सामने कई चुनौतियां है, जिसे गांधी दर्शन के जरिए दूर किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जरूरत के समय पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ता है. लेकिन ऐसे समय में पुलिसकर्मियों के भाव में हिंसा नहीं होनी चाहिए. उनमें बदले की भावना नहीं होनी चाहिए. आवश्कता के अनुसार ही बल प्रयोग किया जा सकता हैं.

डीजीपी भूपेंद्र सिंह ने कहा है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शिक्षाएं और उनके आदर्श पुलिसकर्मियों के लिए आज भी पूरी तरह से प्रासंगिक है और उनके सिद्धांत सदैव पुलिसकर्मियों के लिए प्रासंगिक रहेंगे. महात्मा गांधी की शिक्षाओं के अनुरूप आचरण करके आत्म चिंतन और अंतरात्मा की आवाज के आधार पर कार्य करके पुलिसकर्मी समाज के समक्ष आदर्श प्रस्तुत कर सकते हैं. महात्मा गांधी ने आमजन के लिए अपने जीवन काल में अनेक आदर्श प्रस्तुत किए हैं.

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साथ ही उन्होंने कहा कि गांधी जी के सिद्धांत- सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह आदि के आधार पर समाज को सहिष्णुता, समानता, एकता और विश्व बंधुत्व की सामूहिक विरासत से जोड़ा जा सकता है. उन्होंने कहा कि गांधी जी का जीवन सत्य की खोज में रहा. उन्होंने सत्य को सर्वोच्च कानून एवं अहिंसा को सर्वोत्तम कर्तव्य बताया था. गांधीजी के अनुसार प्रेम आधारित शक्ति सजा के डर से हजार गुना अधिक होती है. उन्होंने पुलिसकर्मियों से समाज के सभी अंगों को समरूप भाव से देखने तथा प्रेम और धैर्य के साथ नैतिक नियमों पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया.

वहीं डीजीपी भूपेंद्र सिंह ने साध्य और साधन की पवित्रता पर बल देते हुए गांधी जी की शिक्षा के अनुरूप निष्पक्ष व्यवहार करने की आवश्यकता प्रतिपादित की. उन्होंने कहा कि अंतरात्मा की आवाज के आधार पर विवेकपूर्ण तरीके से निर्णय लिया जा सकता है. उन्होंने आत्म चिंतन के साथ ही गांधी जी के बताए मार्ग के अनुरूप उपवास, मौन और अन्य साधनों को अपनाने पर भी बल दिया.

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