जयपुर.प्रदेश के संविदाकर्मियों को अभी भी नियमितीकरण के लिए इंतजार करना पड़ेगा. डेढ़ साल में पांच मंत्रियों की सब कमेटी ने 7 बार मीटिंग की, लेकिन अभी संविदाकर्मियों का भविष्य तय नहीं कर पाई. हर बैठक के बाद यही जवाब आता है कि बस एक दो मीटिंग के बाद जल्द ही सब कमेटी अपनी रिपोर्ट तैयार कर कैबिनेट को सौंपेगी.
सब कमेटी की 7 बैठकों के बाद भी तय नहीं हुआ संविदाकर्मियों का भविष्य चुनावी घोषणा पत्र के वायदे को पूरा करने के लिए प्रदेश की गहलोत सरकार ने पांच मंत्रियों की सब कमेटी बनाई. अब कमेटी पिछले डेढ़ साल से बैठक पर बैठक, मैराथन बैठकें कर रही है, लेकिन 7 बार बैठक करने के बाद भी अभी खाली हाथ है. हर मीटिंग के बाद एक ही रटारटाया जवाब कमेटी अंतिम निणर्य की ओर है. अगली एक-दो बैठक में कमेटी अपनी रिपोर्ट तैयार कर कैबिनेट के समक्ष रखेगी, लेकिन मंत्री जी की वो एक दो मीटिंग पिछले ढेड़ साल में पूरी नहीं हुईं.
सबसे अनुभवी मंत्री बीडी कल्ला को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादे को पूरा करने का जिम्मा दिया. इन मंत्री जी के साथ 4 और बड़े मंत्रियों टीम को मजबूत कर करने का जिम्मा दिया, लेकिन मंत्रिमंडल की सब कमेटी तो यह भी तय नहीं कर पाई कि प्रदेश संविदाकर्मियों की संख्या की कुल संख्या कितनी है और किस तरह के अस्थाई कर्मचारी संविदाकर्मियों की श्रेणियों में जोड़ा जाए.
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प्रदेश में संविदा पर लगे कर्मचारियों को नियमित करने और उनके मानदेय बढ़ाने जैसी घोषणा पत्र में कई गई बहू प्रतीक्षित मांगों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने मंत्रिमंडल सब कमेटी बनाई. ऊर्जा मंत्री बीड़ी कल्ला के अलावा इस कमेटी में चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा, शिक्षा राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा, खेल मंत्री अशोक चांदना, महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश शामिल हैं.
करीब डेढ़ लाख से अधिक संविदाकर्मियों से जुड़ा मसला था तो करीब आधा दर्जन मंत्रियों जिम्मा दिया गया, लेकिन सोमवार को सचिवालय में हुई 7वीं बैठक के बाद भी सभी मंत्रियों ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि संविदा कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर संभावित समाधान अगली बैठक में रखें. अगली बैठक में सभी मामलों के ताजा आंकड़े पेश करने के निर्देश दिए. उस बैठक के बाद मंत्रिमंडल समिति अपनी रिपोर्ट कैबिनेट को सौंपने का दावा कर रही है. सब कमेटी ने अधिकारियों से कहा कि यह भी स्पष्ट हो जाना चाहिए कि संविदा कर्मचारियों की भर्ती में आरक्षण के नियम और अन्य मापदंडों को भी ध्यान में रखा गया है या नहीं.
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बता दें कि प्रदेश में संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का वादा कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले किया था. सरकार बनने के बाद संविदाकर्मियों की मांगों को लेकर मंत्रिमंडल उपसमिति का गठन किया था, लेकिन सब कमेटी की बैठक पर बैठक, बैठक पर बैठक ने उन ढेड़ लाख से अधिक संविदाकर्मियों का धैर्य भी टूटने लगा है. ऐसे में अगर समय रहते इनको मांगों को नहीं माना गया तो इन संविदाकर्मियों का टूटा हुआ धैर्य किसी भी तरह रूप ले सकता है.