जयपुर. कोरोना संकट के इस दौर में शैक्षणिक ढांचा बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. कोविड-19 के कारण पिछले साल स्नातक के प्रथम और द्वितीय वर्ष के विद्यार्थियों को प्रमोट किया गया था, जबकि अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की परीक्षाएं हुईं थीं. इसी तरह स्नातकोत्तर में भी उत्तरार्द्ध के ही विद्यार्थियों की परीक्षा हुईं थी, जबकि पूर्वार्द्ध के विद्यार्थियों को प्रमोट कर दिया गया था. संक्रमण की दूसरी लहर के चलते इस साल अब तक उच्च शिक्षा की परीक्षाओं को लेकर संशय बरकरार है.
ऐसे में प्रदेश के करीब 20 लाख विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लगा है. इनके आगे की पढ़ाई और नौकरी के सपने पर भी फिलहाल ब्रेक लगा हुआ है. क्योंकि जब तक उनकी परीक्षा नहीं हो जाती है और परिणाम नहीं आ जाता है, तब तक ये विद्यार्थी न तो किसी अन्य उच्च कक्षाओं में प्रवेश ले सकते हैं और न ही जॉब के लिए आवेदन कर सकते हैं.
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दरसअल, कोरोना संकट के दौर में कॉलेज और विश्वविद्यालयों की परीक्षा होगी या नहीं, इस पर फैसला करने के लिए 25 मई को एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया था. इस कमेटी ने 10 जून को अपनी रिपोर्ट उच्च शिक्षा मंत्री को सौंपी थी. इसके बाद कमेटी की ओर से दिए गए प्रस्तावों पर विचार कर मुख्यमंत्री के स्तर पर यह फैसला लिया जाना है कि परीक्षा होगी या नहीं. विभागीय सूत्रों का कहना है कि इस कमेटी ने प्रस्ताव दिया है कि स्नातक प्रथम और द्वितीय वर्ष के परीक्षार्थियों को प्रमोट किया जाए और अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की परीक्षा करवाई जाए.
हालांकि, जो प्रथम और द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी यदि प्रमोट करने के फैसले से संतुष्ट नहीं होते हैं तो उनके लिए हालात सामान्य होने पर परीक्षा करवाए जाने का विकल्प भी इस प्रस्ताव में दिया गया है. अब बताया जा रहा है कि राजस्थान सरकार ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को पत्र लिखकर इस संबंध में राय मांगी है.
20 लाख परीक्षार्थी को उठाना पड़ रहा खामियाजा
उच्च शिक्षा की परीक्षाओं को लेकर जो स्थिति है उसका खामियाजा प्रदेश के करीब 20 लाख विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है. शोध विद्यार्थी सज्जन सैनी का कहना है कि सरकार को तुरंत प्रभाव से इस मसले पर निर्णय लेना चाहिए. क्योंकि सभी स्नातक और स्नातकोत्तर के विद्यार्थी हैं और वह मानसिक रूप से भी अब परेशान हो रहे हैं. क्योंकि कोरोना काल में पढ़ाई का ढांचा बिगड़ चुका है. इससे विद्यार्थी त्रस्त हैं. एक तरफ सरकार भर्तियां निकाल कर भर्ती परीक्षाओं की तिथि की घोषणा कर रही है. उनमें स्नातक और स्नातकोत्तर योग्यता निर्धारित है. ऐसे में प्रतियोगी परीक्षाओं के साथ ही सरकार को कॉलेज और विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं को लेकर भी रुख साफ करना चाहिए.
विद्यार्थियों का कहना है कि यदि परीक्षा करवानी हो तो उनकी तारीख की घोषणा जल्द की जाए या फिर जो निर्णय करना हो वह जल्द किया जाए. इसमें देरी होने से विद्यार्थियों का नुकसान हो रहा है. उन्होंने यह भी कहा है कि यदि ऑफलाइन परीक्षा करवाई जाती है तो उससे पहले विद्यार्थियों और स्टाफ को वैक्सीनेट करना चाहिए. ताकि संक्रमण का खतरा नहीं रहे.