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101 बंसत देख चुके स्वतंत्रता सेनानी की ईटीवी भारत से खास बातचीत, आज भी याद है गुलामी के वो दिन

दशकों बाद 15 अगस्त, 1947 को भारत को आजादी मिली थी. देशवासियों को आजाद फिजा मुहैया कराने के लिए हजारों स्वतंत्रता सेनानियों ने बलिदान दिया. देश के खातिर लड़ाई लड़ने में अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया. उनकी कोशिशों से ही आखिरकार हम लोगों को आजादी मिली. आइए आज जानते हैं एक ऐसे ही स्वतंत्रता सेनानी के बारे में...

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Published : Aug 14, 2019, 11:50 PM IST

जयपुर.देश अपना 73वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. इस दौरान कुछ आंखें ऐसी भी हैं, जो आज भी देश के लिए बेशकीमती हैं. वे हैं उन चंद स्वतंत्रता सेनानियों में से बचे हुए लोग. जो आज भी गुलामी से लेकर स्वतंत्रता मिलने तक की बातों के अपने आप में संजाए हुए हैं.

स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर चौधरी की ईटीवी भारत से बातचीत

आप और हम तो केवल यह कल्पना कर सकते हैं कि गुलामी के दिन कैसे थे. लेकिन यह स्वतंत्रता सेनानी ऐसे हैं, जिन्होंने ब्रिटिश और उनके नीचे काम करने वाले चंद जमींदारों से जमकर लोहा लिया. जी हां हम बात कर रहे हैं स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर चौधरी की.

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उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए हर संभव प्रयास किए थे. उन्होंने कहा कि राजस्थान में ब्रिटिश केवल कुछ ही संख्या में थे. ब्रिटिश राज ने अपने नीचे राजाओं और जमीदारों को काम सौंप रखा था. उनसे लड़ना ही ब्रिटिश राज से लड़ने जैसा था.

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उन्होंने कहा कि अब बहुत अंतर आ चुका है. उस समय किसानों के हाल ज्यादा खराब थे. आज के किसान उन्नत हो चुके हैं. वहीं उन्होंने बताया कि किस तरीके से जब वह लड़ाई में शामिल थे तो उस समय उनके सभी साथी जेल चले गए. लेकिन उन्हें उनके साथियों ने जेल जाने से इसलिए रोका कि कम से कम कोई व्यक्ति तो बाहर रहे. जो साथियों तक पहुंचाए.

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