जयपुर. पीड़ित ने शिकायत में इस बात का जिक्र किया है कि वह अपने बड़े भाई के नर्सिंग होम में काम किया करता है. जहां पर सुरेश कुमार शर्मा उर्फ कालू नाम का एक व्यक्ति दवाई सप्लाई करने का काम किया करता है. गत माह पूर्व सुरेश ने पीड़ित को रेलवे में बड़े अधिकारियों से जान पहचान होने की बात कहकर ग्रुप-डी में नौकरी लगवाने का झांसा दिया. जिस पर पीड़ित ने रेलवे की नौकरी करने की इच्छा जाहिर की.
इसके बाद सुरेश ने पीड़ित को अपने दो अन्य साथी संजय कुमार और उमेश से मिलवाया. उसके बाद पीड़ित का रेलवे की ग्रुप-डी भर्ती का फॉर्म भरवाया गया और कुछ दिन बाद मेडिकल करवाने का लेटर भेजकर उसे दिल्ली बुलाया गया. साथ ही रेलवे में नौकरी लगाने के नाम पर 9.50 लाख रुपये की डिमांड की.
इसके बाद पीड़ित मेडिकल के लिए दिल्ली गया जहां पर आरोपियों ने उसका एक निजी अस्पताल में मेडिकल करवाया. कुछ दिनों बाद पुलिस वेरिफिकेशन का लेटर भेजकर पीड़ित को दिल्ली बड़ौदा हाउस रेलवे ऑफिस में आने के लिए कहा. जहां पहुंचने पर आरोपियों ने पीड़ित से एक रजिस्टर में साइन करवाए और अप्वाइंटमेंट लेटर थमा दिया. इसके बाद एक बार फिर से पीड़ित को सर्विस डायरी भरवाने के लिए दिल्ली बुलाया और 9.50 लाख रुपए लेकर उसे जल्द ही ड्यूटी ज्वाइन करने का मेल भेजने के लिए कहा.
कुछ दिन बाद पीड़ित को ड्यूटी ज्वाइन करने का एक मेल प्राप्त हुआ, जिसमें दिल्ली के पास धनबाद जाकर ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए कहा गया. जब पीड़ित तमाम दस्तावेज लेकर धनबाद पहुंचा तो उसे पता चला कि रेलवे में कोई भी वैकेंसी नहीं है और उसे जो भी दस्तावेज दिए गए हैं, वह सभी फर्जी हैं. इसके बाद पीड़ित ने जब आरोपियों से संपर्क किया और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की बात कही तो आरोपियों ने उसे 9.50 लाख रुपये वापस लौटाने की बात कही.
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कुछ दिन तक तो आरोपी कुछ न कुछ बहाने कर टालते रहे और बाद में उन्होंने राशि लौटाने से साफ इनकार कर दिया. इसके बाद पीड़ित ने पुलिस में ठगी की शिकायत दर्ज करवाई. फिलहाल, पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर जांच करना शुरू किया है. वहीं, सरकारी नौकरी लगाने का झांसा देकर ठगी करने का दूसरा मामला सिंधी कैंप थाने में सीताराम विश्नोई ने दर्ज करवाया है. पीड़ित ने शिकायत में इस बात का जिक्र किया है कि वह 4 महीने पहले किसी दस्तावेज की कॉपी निकलवाने के लिए श्रीगंगानगर के रोडवेज कार्यालय गया था.
जब पीड़ित वहां से वापस बस में सवार होकर जयपुर लौट रहा था तो उसे एक रोडवेज कर्मचारी राजेंद्र भामू मिला. जिसने पीड़ित को रोडवेज में परिचालक की नौकरी लगाने का झांसा दिया. साथ ही पीड़ित को सरकारी चालान 17 हजार रुपए जमा कराने और इसके अलावा रिश्वत के 3 लाख रुपए देने के लिए कहा. जिस पर पीड़ित ने अपने एक परिचित से उक्त राशि लेकर राजेंद्र भामू को दे दी. इसके बाद आरोपी ने पीड़ित को परिचालक की वर्दी व परिचय पत्र लाकर दिया. इसके साथ ही रोडवेज मुख्यालय से फोन आने पर मेडिकल के लिए आने और ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए कहा.
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कई महीने बीतने के बाद भी जब रोडवेज मुख्यालय से कोई फोन नहीं आया तो पीड़ित ने खुद रोडवेज अधिकारियों से जाकर मुलाकात की. तब उसे इस तरह की किसी भी भर्ती के नहीं होने की जानकारी मिली. इस पर जब पीड़ित ने आरोपी राजेंद्र से फोन पर बात की और राशि वापस लौटाने के लिए कहा तो राजेंद्र ने राशि वापस करने से साफ इनकार कर दिया. इसके बाद पीड़ित ने सिंधी कैंप थाने में आरोपी राजेंद्र के खिलाफ ठगी का मामला दर्ज करवाया. फिलहाल पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर जांच करना शुरू किया है.