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जयपुर : बाल वाटिका में लगी चाचा नेहरू की खंडित मूर्ति की किसी ने नहीं ली 5 साल से सुध

देश भर में गुरुवार को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिवस बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा. जिसके लिए सभी ने तैयारी कर ली है. लेकिन जयपुर के बाल वाटिका में चाचा नेहरू की खंडित मूर्ति की किसी ने अब तक सुध नहीं ली है.

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Published : Nov 13, 2019, 8:43 PM IST

जयपुर. देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिवस गुरुवार को देश भर में बाल दिवस के रूप में मनाया जाएगा. सभी उनकी मूर्ति और फोटो पर पुष्पहार चढ़ाकर उन्हें याद कर, उनके आदर्शो को जीवन में अपनाने की बात करेंगे. लेकिन शहर के बाल वाटिका में पिछले पांच साल से पंडित नेहरू की खंडित अवस्था में लगी मूर्ति अपनी बदहाली पर आंसु बहाती नजर आएगी, कोई चाहकर भी बिना सिर वाली मूर्ति पर पुष्पहार नहीं चढ़ा पाएगा.

जयपुर में नेहरू की खंडित प्रतिमा की कोई सुध नहीं

बता दें कि राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल के अधीन बाल वाटिका में खंडित की गई मूर्ति की, पांच साल बाद भी किसी ने सुध नहीं ली है. प्रधानमंत्री नेहरू की खंडित मूर्ति राह चलते लोगों को अपनी बदहाली की दास्तां बयां कर रही है. पांच साल पहले असामाजिक तत्वों ने मूर्ति का सिर खंडित कर दिया था. जिसके बाद कुछ दिनों तक स्थानीय कांग्रेसियों ने स्कूल प्रशासन पर दबाव बनाकर पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई थी. लेकिन बाद में सब ने इस खंडित मूर्ति की तरफ से आंखें मूंद ली है. अभी तक न तो नई मूर्ति स्थापित हुई और ना ही क्षतिग्रस्त मूर्ति को दुरस्त किया गया है.

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इस मूर्ति को स्कूल के सामने दांता रामगढ़ रोड पर स्थित बालवाटिका में 14 नवंबर 1964 को स्थापित किया था. जिसे फलोड़ परिवार ने इसे भव्य समारोह के दौरान स्थापित किया था. कई वर्षो तक चाचा नेहरू की पुण्यतिथि और जन्मदिवस पर लोग मूर्ति को माल्यार्पण कर उन्हे श्रद्धासुमन अर्पित करते थे, लेकिन अब मूर्ति बदहाल दशा में पहुंच चुकी है. अब बाल वाटिका में अंबेडकर भवन बन गया है. सांसद कर्नल राठौड़ द्वारा बच्चों और युवाओं के लिए ओपन जिम के इक्यूपमेंट लगा दिए हैं.

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नगरपालिका ने इसका सौंदर्यकरण कर पार्क के रूप में विकसित किया है. लेकिन चाचा नेहरू की खंडित मूर्ति एक कोने में अपनी दुर्दशा पर पीड़ा बयां कर रही है. कल बाल दिवस है पर अब तक किसी ने भी चाचा नेहरू की खंडित मूर्ति की सुध नहीं ली है.

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