जयपुर. पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने राज्य सरकार की ओर से की जा रही कोविड के कारण मौतों के ऑडिट के तरीके पर सवाल खड़ा किया है. यह भी आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार का मकसद कोरोना से मरे हुए लोगों के परिजनों को राहत देना नहीं बल्कि केवल खानापूर्ति करना है. सराफ ने कहा कि कोरोना से मौत का सबूत परिजनों से मांगना गलत है क्योंकि कोविड अस्पताल में जान गंवाने के बाद भी सैकड़ों लोगों की मौत को सरकार ने रिपोर्ट में कोरोना डेथ नहीं माना है.
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कालीचरण सराफ ने रविवार को एक बयान जारी कर कहा कि कोरोना डेथ सर्टिफिकेट के अभाव में परिजनों को क्लेम मिलना तो मुश्किल है ही साथ ही भविष्य में सम्भावित तीसरी लहर के लिए सही डेटा और पुख्ता योजना नहीं बन पाएगी. सराफ ने कहा कि कोरोनाकाल में प्रदेश में 8599 मौतें बताई गई हैं जबकि हकीकत यह है कि प्रदेश के कुल 758 सरकारी व निजी कोविड अस्पतालों में से सिर्फ 29 अस्पतालों में ही पिछले 2 माह में 9567 मौतें हुई हैं. इनमें से सरकार ने केवल 4588 मौतों को ही कोरोना से डेथ माना है, शेष 4979 मौतें अन्य कारणों से होना बताया है. ऐसे में हजारों परिजन क्लेम के लाभ पाने से वंचित रह जाएंगे और इससे यह भी साबित होता है कि कोरोना से मरने वालों के परिजनों को राहत देने के प्रति सरकार गंभीर नहीं है.
सराफ ने बताया कि ऐसा ही एक वाकया मेरी जानकारी में आया जब एसएमएस अस्पताल में इलाज के दौरान दौसा निवासी राकेश मोदी की कोरोना से मौत होने पर कोरोना डेथ का प्रमाणपत्र नहीं दिया. परिजनों की मांग पर मैंने एसएमएस प्रिंसिपल डॉ. सुधीर भंडारी से बात की तब उन्होंने मामले की जांच करवाकर कार्रवाई का आश्वासन दिया.