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चिकित्सा मंत्री V/S पूर्व चिकित्सा मंत्री : शिशुओं की मौत का ठीकरा एक दूसरे के सिर - Former health minister rajendra rathore

शिशुओं की मौत पर सियासत जोर पकड़ती जा रही है. इस मुद्दे पर तमाम नेता अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. ईटीवी भारत ने प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा और पूर्व चिकित्सा मंत्री से बातचीत कर उनकी प्रतिक्रिया ली है, जिसमें वे एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.

Former health minister rajendra rathore, पूर्व चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र राठौड़
Former health minister rajendra rathore vs health minister raghu sharma

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Published : Jan 4, 2020, 11:53 PM IST

Updated : Jan 5, 2020, 2:27 AM IST

जयपुर.कोटा के जेके लोन अस्पताल में शिशुओं की मौत पर चौतरफा सियासत जारी है. एक तरफ जहां सरकार विपक्ष पर इस मुद्दे को लेकर राजनीति का आरोप लगा रही है तो वहीं विपक्षी दल लगातार सरकार को घेरने का प्रयास कर रहे हैं.

शिशुओं की मौत पर चिकित्सा मंत्री और पूर्व चिकित्सा मंत्री की प्रतिक्रिया

पूरे देशभर में छाए इस मुद्दे पर चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा और पूर्व चिकित्सा मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने इस पूरे मसले के पीछे एक दूसरे पर निशाना साधा है. आइए जानते हैं किसने किसके उपर क्या आरोप लगाए हैं....

रघु शर्मा, चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र राठौड़, पूर्व चिकित्सा मंत्री
  • व्यवस्था चाक चौबंद रहे, यह हमारी सरकार का पहला उद्देश्य है....कमियां हर अस्पताल में रहती हैं, जिन्हें दूर भी किया जाता है. कोटा के जेके लोन अस्पताल में भी कमियां थीं...मैंने खुद दौरा किया...साढ़े तीन घंटे वहां रहा. इससे पहले चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया को भेजा, एसएमएस की टीम वहां भेजी. उनकी रिपोर्ट हमारे पास आई हमनें जयपुर में बैठकर तुरंत एक्शन लिया.
  • जिस अस्पताल में खिड़कियां तक टूटी हों...रेडियंट वार्मर खराब पड़े हों...जिसको ठीक कराने में महज हजार रुपए खर्च होता है, ठीक नहीं कराया इसे क्रीमिनल नेगलिजेंसी नहीं कहें तो क्या कहा जाएगा. एक एक बैड पर चार-चार बच्चों को रख रखा है.
  • विपक्ष के पास तो जवाब ही नहीं, साल 2012 के अंदर कोटा के लिए जब हमारी सरकार थी, तब गहलोतजी ने 5.50 करोड़ रुपए बजट सेंक्शन किया था. कई वित्तीय स्वीकृतियां दी लेकिन जब भाजपा की सरकार आई तो उसने करीब चार करोड़ की राशि ही गायब कर दी. अगर वो बजट उस समय काम में लिया होता तो हालात ये नहीं होते.
  • हमारे समय में हालात ठीक थे या नहीं थे कुछ कमियां रही होंगी जिसकी वजह से जनता ने हमें सत्ता से दूर कर दिया लेकिन मैं मौजूदा मंत्री से पूछना चाहता हूं कि आपने निरोगी राजस्थान से लेकर राइट टू हैल्थ का वादा किया था. आप तो कानूनी अधिकार देना चाहते थे. हमने इतने सब्ज बाग नहीं दिखाए थे. अब उंगली हमारी तरफ मत उठाओ.
  • ये बहुत दुखद और संवेदनशील मासला है. राजनीति नहीं होनी चाहिए. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बोल रहे हैं लेकिन वो गोरखपुर का मामला भूल गए. अभी हाल की रिपोर्ट मैंने देखी है, बीजेपी ने वहां तो एक भी डेलिगेशन नहीं भेजा. क्यों मौत पर राजनीति कर रहे हो..
  • हमारे समय में बच्चों की मौत होती थी. लेकिन डेथ रिव्यू कमेटी हमेशा रिव्यू करते थे कि मौत के कारण क्या हैं. क्या ये सामान्य मौत तो नहीं. लेकिन अब तो एक भी रिव्यू नहीं होता. स्थानांतरण उद्योग चलाकर चिकित्सकों की व्यवस्था को तहस नहस कर दिया है.
  • टार्गेट करके भय की स्थिति पैदा कर रही है भाजपा...ताकि चिकित्सकों में भय बन जाए.. नर्सिंग स्टाफ सहम जाए...इस इश्यू को बनाया जा रहा है..इससे विपरीत प्रभाव पड़ेगा बच्चों की सेहत पर...
  • निश्चित तौर पर राजस्थान के माथे पर कलंक लग रहा है. बच्चों की मौत का दौर जारी है. लेकिन सरकार आंकड़ों में उलझ रही है..और कह रही है कि पिछली सरकार में जितनी मौतें हुई, उससे यह कम हैं. यानि की वे लाइसेंस ले रहे हैं कि इतनी मौतें तो होंगी ही. इससे शर्मनाक बात और क्या हो सकती है.
  • भाजपा कन्फ्यूज कर रही है...1438 भर्ती हुए जिनमें से 100 बच्चे बहुत क्रिटिकल कंडिशन में आए थे...जिनमें से 49 बच्चे बहुत ज्यादा सीरियस थे...जिस कंडिशन में वो बच्चे आए थे, उनको बचाने में चिकित्सकों ने कोई कमी नहीं रखी.
  • हालात तो और भी बिगड़ रहे हैं...कलेजा कांप उठता है ...अभी जोधपुर के बारे में समचार प्राप्त हो रहे हैं...कोटा का आंकड़ा एक सप्ताह में 100 पार कर गया है...बूंदी में दो दिन के भीतर 10 बच्चों की मौत हो गई है.
  • मैंने समाचार पत्र पढ़े थे तत्कालीन चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने इसी अस्पताल की अवस्था देखते हुए खुद कहा था कि मुझे शर्म आती है कि मैं राज्य का चिकित्सा मंत्री हूं.
  • हां, मैंने खुद कहा था कि मुझे शर्म आती है कि मैं राज्य का चिकित्सा मंत्री हूं लेकिन मैंने वहां काम किया...अपना समय दिया और व्यवस्थाओं को सुधारा था. चिकित्सा मंत्री योग्य व्यक्ति हैं...मैं मानता हूं...वे मेरे मित्र भी हैं...कहीं ना कहीं कोई ना कोई कारण जरूर हैं वो असहाय क्यूं हैं ये मेरे समझ से बाहर हैं.
Last Updated : Jan 5, 2020, 2:27 AM IST

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