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एक साल में 2 कक्षाएं संचालित करने पर विचार करे सरकार : वासुदेव देवनानी

पूर्व शिक्षा मंत्री और भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने प्रदेश सरकार और शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा से कोरोना काल में विद्यार्थियों और अभिभावकों को राहत देने का आग्रह किया है. जयपुर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान वासुदेव देवनानी ने कहा कि मध्य प्रदेश की तर्ज पर राजस्थान में भी ऐसा ही करना चाहिए.

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पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी

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Published : Dec 7, 2020, 2:32 PM IST

जयपुर. पूर्व शिक्षा मंत्री और भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने प्रदेश सरकार और शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा से कोरोना काल में विद्यार्थियों और अभिभावकों को राहत देने का आग्रह किया है. जयपुर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान वासुदेव देवनानी ने कहा कि मध्य प्रदेश की तर्ज पर राजस्थान में भी ऐसा ही करना चाहिए.

जयपुर में पत्रकारों से बातचीत करते वासुदेव देवनानी

उन्होंने कहा कि पिछले 9 माह से पढ़ाई को लेकर प्रदेश में अनिश्चितता की स्थिति है. सरकार रोज अलग-अलग कागजी आदेश निकाल कर 'कोढ़ में खाज' देने का काम कर रही है. देवनानी ने कहा कि मध्य प्रदेश की सरकार ने बच्चों के हित में फैसला लेते हुए 31 मार्च तक एक से आठवीं तक की कक्षा नहीं लगाने का निर्णय किया है. साथ ही मध्य प्रदेश सरकार से हमें भी सीख लेकर इस प्रकार के आदेश तुरंत जारी करना चाहिए.

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देवनानी ने कहा कि इस सत्र में जिन कक्षाओं की पढ़ाई नहीं हो पाई, उसका पाठ्यक्रम अप्रैल महा में प्रारंभ से आधा सत्रावधि तक और अगली कक्षा का पाठ्यक्रम शेष सत्रावधि में पूरा करने की योजना बनाना सबके हित में रहेगा. इससे विद्यार्थियों का साल भी खराब होने से बचेगा और साथ ही मानसिक तनाव झेल रहे बच्चे और अभिभावकों को राहत मिलेगी. देवनानी के अनुसार दसवीं और बारहवीं बोर्ड कक्षा को लेकर भी अब तक कोई व्यवहारिक निर्णय नहीं हुआ. जिससे प्रदेश सरकार को तत्काल इस बारे में निर्णय करने की जरूरत है.

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शिक्षा कैलेंडर के अनुसार बोर्ड परीक्षा को भी कम समय हैं. इतनी कम अवधि में 60% पाठ्यक्रम भी पूरा कराना बच्चों के लिए असंभव है. ऐसे में बिंदु पर भी विचार करने की जरूरत है. इस दौरान देवनानी ने निजी स्कूल संचालक और अभिभावकों में फीस को लेकर काफी असमंजस की स्थिति पर भी अपना वक्तव्य दिया और कहा कई मामले न्यायालय में विचाराधीन है. न्यायालय की गाइडलाइन को ध्यान में रखकर सरकार को अभिभावक और स्कूल संचालकों को बैठाकर बीच का रास्ता निकालना चाहिए.

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