जयपुर.राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को 2021-22 का बजट पेश किया है. बजट में घोषणा की गई है कि वन एवं पर्यावरण विभाग में जनजाति क्षेत्रों में सामुदायिक वन अधिकार पट्टा देने के लिए आगामी वर्ष में अप्रैल से जुलाई महीने तक अभियान चलाकर 9 अगस्त को विश्व जनजाति दिवस के अवसर पर पट्टे वितरित किए जाएंगे. इस कार्य को पूर्ण गंभीरता से सुनिश्चित करने के लिए कमिश्नर टेड की अध्यक्षता में टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा.
राजस्थान सरकार के बजट 2021-21 से वनकर्मी निराश केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान भरतपुर विश्व में पक्षियों की शरण स्थली के लिए विख्यात है. इसको वेटलैंड बर्ड्स हैबिटेट कंजर्वेशन सेंटर के रूप में विकसित किया जाएगा. इसके साथ ही जैव विविधता के संरक्षण और पक्षियों के लिए जलाशयों में पानी की पर्याप्त उपलब्धता बनाए रखने के लिए चंबल नदी से जल लाने के लिए लगभग 570 करोड़ रुपए की योजना की डीपीआर तैयार की जाएगी.
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वहीं, ताल छापर अभ्यारण चुरु में वन्यजीव प्रबंधन प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जाएगा. चंबल घड़ियाल अभ्यारण के खंडार सवाई माधोपुर खंड में पर्यटन की दृष्टि से विकास कार्य करवाए जाएंगे. जोधपुर में 8 मील पर स्थित वन विभाग की भूमि पर जयपुर के कपूर चंद्र कुलिश स्मृति वन की तर्ज पर 20 करोड रुपए की लागत से वाकिंग ट्रेक, योगा पार्क, हर्बल गार्डन जैसे सुविधायुक्त पदमश्री कैलाश सांखला स्मृति वन स्थापित करने की घोषणा की गई है.
राजस्थान औषधीय पौधों की विविधता और गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है. इसको बढ़ावा देने के लिए घर-घर औषधि योजना शुरू की जाएगी. जिसके अंतर्गत औषधीय पौधों की पौधशाला में विकसित कर तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा पौधे नर्सरी से उपलब्ध कराए जाएंगे. प्रदेश में ऐसे शहरों में जहां पर सीवरेज सुविधा नहीं है वहां पर 2 सालों में एफएसटीपी स्थापित किए जाएंगे. जिस पर 200 करोड़ रुपए का व्यय होगा.
पर्यावरण की ओर से आगामी वर्ष में जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से सीवरेज मैनेजमेंट सिस्टम की डीपीआर का कार्य पूरा कर 200 करोड़ रुपए के कार्य प्रारंभ किए जाएंगे. अस्पतालों में लिक्विड और सॉलिड राजस्थान विधानसभा बजट सत्र 2021वेस्ट का निस्तारण पर्यावरण की दृष्टि से अति आवश्यक है. इस दिशा में प्रदेश के बड़े अस्पतालों आरयूएचएस, सवाई मानसिंह अस्पताल, जनाना अस्पताल, महिला अस्पताल, पीबीएम अस्पताल बीकानेर, महात्मा गांधी अस्पताल जोधपुर और मेडिकल कॉलेज कोटा में 25 करोड़ की लागत से सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए जाएंगे.
बजट से वन कर्मियों में निराशा
इस बार के बजट में वन कर्मचारियों को निराशा हाथ लगी है. राजस्थान वन अधीनस्थ संघ के प्रदेश संयोजक बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि इस बार के बजट से काफी उम्मीदें थी, लेकिन बजट में उन चीजों को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई है. बजट में टाइगर प्रोजेक्ट को लेकर भी कोई जिक्र नहीं किया गया. कुंभलगढ़ में टाइगर प्रोजेक्ट और जयपुर में टाइगर सफारी की घोषणा के बारे में भी कोई जिक्र नहीं हुआ. आज के समय में जंगल की जमीन को बचाना बहुत मुश्किल है. जंगलात को बचाने के लिए मेन पावर की बहुत आवश्यकता है. वन विभाग में 1000 फॉरेस्ट गार्ड की भर्ती निकलने के बाद भी लगभग 1500 फॉरेस्ट गार्ड के पद रिक्त पड़े हुए हैं.
इसी तरह फॉरेस्टर और रेंजर के पद भी खाली पड़े हुए हैं. वन कर्मचारियों के पास संसाधनों की कमी है. संसाधनों के अभाव में जंगलों की सुरक्षा करना काफी चुनौतीपूर्ण है. सरकार को फॉरेस्ट से काफी राजस्व प्राप्त होता है. माइंस और पर्यटन स्थल से काफी राजस्व की प्राप्ति होती है. इसके बावजूद भी वन विभाग के लिए संसाधन नहीं है.
उन्होंने कहा कि यह सारी बातें मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाई जाती तो अच्छा होता. पहले भी मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाने के बाद वन विभाग को वाहन उपलब्ध हुए थे. लेकिन इस बार अधिकारियों की ओर से मुख्यमंत्री के संज्ञान में यह सब बातें नहीं लाई गई. वन विभाग के पास प्रदेश में ऐसी बहुत सी जगह है जहां पर पर्यटन के रूप में विकसित करके रेवेन्यू को बढ़ाया जा सकता है. इसके साथ ही लोगों को वन और वन्यजीवो के प्रति जोड़ा जा सकता है. पिछले वर्षों में राजस्थान में 09 सफारी प्रोजेक्ट की घोषणा हुई थी, लेकिन फोकस नही किया गया है.
राजस्थान सरकार के बजट 2021-21 से वनकर्मी निराश उन्होंने सीएम अशोक गहलोत से अपील करते हुए कहा कि प्रत्येक रेंज स्तर पर फोर व्हीलर और अन्य संसाधन उपलब्ध करवाए जाने चाहिए. संसाधन होने से वन अपराध को रोकने में सहायता मिलती है. जंगल में अपराधियों को पकड़ तो लिया जाता है, लेकिन उनको लाने के लिए संसाधनों का अभाव रहता है. जिसकी वजह से प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पाती है. जिसके परिणाम स्वरूप जंगल सिकुड़ते जा रहे हैं. इस सरकार ने जंगल से जूली फ्लोरा का उन्मूलन करने के लिए कहा था. लेकिन बजट में जूली फ्लोरा उन्मूलन के लिए कोई घोषणा नहीं की गई है. ना ही इसके लिए कोई बजट का प्रावधान किया गया है. वन कर्मचारियों को भी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
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वन विभाग के कर्मचारियों को एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के बराबर सैलरी दी जाती है और काम ज्यादा लिया जाता है. जबकि दूसरे विभागों में वर्दीधारी कर्मचारियों को वन कर्मियों से ज्यादा सैलरी और संसाधन मिल रहे हैं. अन्य विभागों के कर्मचारी ऑफिस या शहर में नौकरी करते हैं जबकि वन विभाग के कर्मचारी खूंखार जानवरों के बीच जंगलों में ड्यूटी करते हैं. फिर भी वन कर्मचारियों को कोई सुविधाएं नहीं मिल रही है. वन विभाग के कर्मचारियों के पास तनख्वाह और संसाधनों की कमी है. दूसरे राज्यों के वन कर्मचारियों और राजस्थान के वन कर्मचारियों की सैलरी में अंतर है. इन समस्याओं को कई बार सरकार तक पहुंचाया गया है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो पाई. जिसकी वजह से कर्मचारियों में हीन भावना जागृत हो रही है.
बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि इस बार के बजट से वन कर्मचारियों को बड़ी उम्मीद थी कि बजट में वन कर्मचारियों के लिए अच्छी घोषणाएं की जाएंगी. लेकिन बजट में कर्मचारियों को निराशा हाथ लगी है. सरकार ने नए प्रशिक्षण संस्थान बनाने की घोषणा की है. लेकिन पहले से वन विभाग के पास जो प्रशिक्षण संस्थान जे वह भी खाली पड़े हुए हैं. ट्रेनिंग संस्थानों में ट्रेनिंग देने वाले अधिकारियों की कमी है. नए ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट खोलने की बजाय पुरानी ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट को ही सही तरीके से चलाने का प्रयास करना चाहिए.