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गहलोत 'राज' 1 साल: वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई से खास बातचीत

राजस्थान में गहलोत सरकार को एक साल होने जा रहा है. ऐसे में वन एवं पर्यावरण विभाग में क्या-क्या काम हुए, इसकी जानकारी खुद वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई ने ईटीवी भारत को दी. देखिए जयपुर से स्पेशल रिपोर्ट...

Minister Sukhram Bishnoi, Forest and Environment
1 साल के कार्यकाल में वन विभाग की उपलब्धियां

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Published : Dec 16, 2019, 3:15 PM IST

जयपुर. राजस्थान की गहलोत सरकार के एक साल के कामकाज को लेकर ईटीवी भारत ने प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बाघ संरक्षण, लुप्त हो रहे राज्य पक्षी गोडावण को बचाने की योजनाओं को बेहतर बताया.

1 साल के कार्यकाल में वन विभाग की उपलब्धियां

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वन विभाग में कई नवाचार
मंत्री ने बताया, कि वन विभाग में कई नवाचार किए गए हैं. जंगलों से विदेशी बबूल को हटाकर नए वनस्पति पेड़ लगाने का काम किया गया. फॉरेस्ट एरिया में ज्यादा से ज्यादा प्लांटेशन करने और उन प्लांटेशन की जिम्मेदारी वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को दी गई.

विभाग की उपलब्धियां
मंत्री ने बताया, कि सरकार ने विदेशी बबूल यानि जूली फ्लोरा को हटाने का कार्य शुरू किया है, उसमें तेजी आई है. जयपुर की लेपर्ड सफारी में जूली फ्लोरा को हटाकर उसकी जगह ग्रास लैंड डेवलप की जा रही है, जिससे वन्यजीवों को भोजन भी मिलेगा.

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अतिक्रमण और कब्जों को लेकर उठाए कदम
वन विभाग की जमीनों पर अतिक्रमण और कब्जों को लेकर हर जगह पर रेंज ऑफिसर को जिम्मेदारी दी गई है. डीएफओ को रजिस्टर मेंटेन करने की जिम्मेदारी है. फॉरेस्ट की जमीन पर अतिक्रमण को रोकने की जिम्मेदारी डीएफओ की होगी. किसी भी फॉरेस्ट लैंड पर नए अतिक्रमण और अवैध कब्जे होते हैं तो डीएफओ के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

गोडावण के संरक्षण के लिए अच्छा प्रयास
वन मंत्री ने कहा, कि गोडावण के संरक्षण को लेकर वन विभाग ने काफी अच्छा प्रयास किया है. गोडावण संरक्षण के लिए एक ऐसा सेंटर तैयार किया है, जहां पर गोडावण के अंडों से सफलतापूर्वक बच्चे बाहर निकालने का काम किया जाएगा. प्रदेश के डीएनपी क्षेत्र में गोडावन के नव अंडों को संरक्षित रखा गया. जिनमें से नए चूजे निकले हैं. गोडावण पक्षी के अंडों को संरक्षण देकर नए चूजों ने जन्म लिया और अब इनसे नव सृजन किया जाएगा. अगले साल और भी चूजे तैयार किये जायेंगे. 2 साल के चूजे तैयार होने के बाद उनके जो अंडे होंगे और उन अंडों से पैदा होने वाले बच्चों को डीएनपी क्षेत्र में छोड़ा जाएगा. बता दें, कि विश्व में राज्य पक्षी गोडावण की संख्या मात्र 200 ही रह गई है, जिनमें से 100 भारत में है और इनमें से करीब 80 राजस्थान में है.

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वाइल्ड लाइफ को बढ़ाने का काम
वन मंत्री ने बाघ संरक्षण को लेकर कहा, कि रणथंभौर, सरिस्का और मुकंदरा में वाइल्ड लाइफ को बढ़ाने का काम किया जा रहा है. कुंभलगढ़ में चौथा टाइगर रिजर्व बनाने की तैयारी की जा रही है. जहां बाघ संरक्षण के साथ टाइगर की शिफ्टिंग भी होगी.

पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उठाए कदम
मंत्री ने कहा, कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी काफी काम किए गए. प्लास्टिक कैरी बैग्स को बंद करने के लिए प्रदेश में जागरूकता अभियान चलाया गया. पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए भी काफी प्रयास किए गए.

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कई बड़ी चुनौतियां भी सामने आईं
सरिस्का के जंगलों में पोचिंग (अवैध शिकार) की घटनाएं सामने आई. वहीं नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में एक के बाद एक वन्यजीवों की मौत हुई. सांभर झील में सबसे बड़ी पक्षी त्रासदी भी सामने आई. सांभर पक्षी त्रासदी के बाद राज्य सरकार ने बड़ा सबक लिया और विदेशों से आने वाले साइबेरियन पक्षियों और तालाब जल संरक्षण के लिए वेटलैंड अथॉरिटी का गठन किया गया. कुंभलगढ़ फॉरेस्ट रेंज को टाइगर रिजर्व बनाने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया.

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