जयपुर.शहर के प्रमुख चौराहों पर पैदल चलने वाले लोगों के साथ अमूमन दुर्घटना की संभावना बनी रहती है. शहर में बढ़ते ट्रैफिक के कारण सड़क पार करना भी लोगों के लिए चुनौती बन गया है. ऐसे में अब प्रमुख चौराहों और विभिन्न स्थानों पर फुट ओवर ब्रिज और अंडरपास बनाने की मांग उठ रही है. हालांकि शहर में जहां पैदल चलने वालों के लिए बने फुट वे की मेंटेनेंस नहीं होने की वजह से कहीं एस्केलेटर बंद है, तो कहीं अंडरपास पर ताले लगे हुए हैं.
प्रमुख चौराहों पर फुट ओवरब्रिज और अंडरपास की जरूरत शहर की सड़कों का ट्रैफिक ना सिर्फ यातायात पुलिस के लिए बल्कि सड़कों पर पैदल चलने वाले लोगों के लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं है. पैदल चलने वाले लोग आए दिन सड़क पार करते हुए दुर्घटना का शिकार होते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए तीन दशक पहले अजमेरी गेट पर पैदल रोड क्रॉस करने वालों के लिए अंडर पास बनाया गया था, लेकिन फिलहाल इस पर ताला जड़ा हुआ है.
पढ़ेंःघबराएं नहीं...बर्ड फ्लू का है इलाज, जानें कैसे बचें ह्यूमन ट्रांसमिशन से
यहां से गुजरने वाले लोगों को सुविधा होने के बावजूद भी जान हथेली पर लेकर रोड क्रॉस करनी पड़ती है. लोगों की माने तो इस अंडरपास को कभी शुरू कर दिया जाता है, तो कभी बंद. फिलहाल अंडरपास अकारण ही बंद है. जिसकी वजह से महिलाओं-बुजुर्गों सभी को परेशानी का सामना करना पड़ता है.
उधर, नारायण सिंह सर्किल पब्लिक ट्रांसपोर्ट स्टेशन होने के चलते यहां लाखों लोगों की आवाजाही रहती है. इसी को ध्यान में रखते हुए नारायण सिंह सर्किल पर 2008 में फुट ओवर ब्रिज बनाया गया. जिसका लोगों को काफी फायदा भी मिला. हालांकि मेंटेनेंस के अभाव में फिलहाल यहां एस्केलेटर बंद पड़े हैं. मजबूरन राहगीरों को एस्केलेटर पर भी सीढ़ियां चढ़कर जाना पड़ता है.
पढ़ेंःठंड में दिल्ली की सड़कों पर रात गुजार रहे राजस्थान के लोग, फ्लाईओवर की ओट में अलाव के सहारे कट रहीं रातें
खैर इस अधूरी सहूलियत के बीच अब शहर के कुछ प्रमुख चौराहों और स्टेशन पर फुटओवर ब्रिज और अंडर पास की मांग उठने लगी है. खासकर एसएमएस मेडिकल कॉलेज से एसएमएस अस्पताल के लिए जेएलएन रोड के बीच सैकड़ों डॉक्टर और मरीज परिजन ट्रैफिक की समस्या से हर दिन दो-चार होते हैं. अमूमन टेस्ट रिपोर्ट और दूसरी सेवाओं के लिए एक तरफ से दूसरी तरफ आना-जाना पड़ता है. यही नहीं रेजिडेंट डॉक्टर्स का तो दिन में 10 बार काम पड़ता है.
ट्रैफिक में सड़क पार करने से बनी रहती है खतरे की संभावना वहीं, शहर का प्रमुख रामबाग सर्किल पर भी पेडेस्ट्रियन वॉकवे की दरकार महसूस होने लगी है. एक तरफ रिजर्व बैंक और सुबोध कॉलेज, दूसरी तरफ सुबोध स्कूल और दुर्लभजी अस्पताल के लिए बच्चे-बूढ़े सभी को रोड क्रॉस करनी पड़ती है. और इस बीच टोंक रोड जैसा व्यस्ततम मार्ग और इसका ट्रैफिक पेडेस्ट्रियन वॉकवे की जरूरत को खुद बयां करता है.
पढ़ेंः SPECIAL: बेरोजगारों के लिए वरदान बनी मनरेगा...4 लाख श्रमिकों को मिला रोजगार
हालांकि अब जेडीए प्रशासन शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर करने के लिए शहर में 9 प्रोजेक्ट लाने जा रहा है. इनमें रामबाग सर्किल, जेडीए चौराहा, ओटीएस तिराहा, लक्ष्मी मंदिर चौराहा ऐसे प्रमुख स्टेशन है, जहां नो ट्रैफिक सिग्नल की व्यवस्था लागू करने की दृष्टि से प्लानिंग की जा रही है. और इन्हीं स्थानों पर राहगीरों के लिए भी पेडेस्ट्रियन वॉकवे बनाए जाएंगे.
मेंटेनेंस के अभाव में भूमीगत पदमार्क एसएमएस मेडिकल कॉलेज और एसएमएस अस्पताल को जोड़ने के लिए किसी भी तरह का पेडेस्ट्रियन वॉकवे बनाने पर अब तक विचार नहीं किया गया है. कुछ समय पहले तक यहां अंडरपास बनाने की व्यवस्था की जा रही थी. लेकिन बीसलपुर लाइन के चलते फिलहाल ये प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में धूल फांक रहा है.