जयपुर.केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए आईटी कंपनियों और बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग सहित दूसरी सेवा प्रदाताओं के लिए वर्क फ्रॉम होम की समय सीमा 31 दिसंबर तक बढ़ा दी है. आईटी कंपनियां भी अपने कर्मचारियों से घर से ही काम करा रहीं हैं. जिसका सबसे ज्यादा खामियाजा फूड व्यवसायियों को भुगतना पड़ रहा है, जो इन कंपनियों में कर्मचारियों को फूड सर्व किया करते थे.
वर्क फ्रॉम होम से फूड व्यवसायियों का भारी नुकसान IT कंपनियां करवा रही वर्क फ्रॉम होम
राजधानी में हर दिन कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. पूरे प्रदेश की बात करें तो यह आंकड़ा अब 53 हजार को भी पार कर गया है. ऐसे में वो कंपनी जो अपने एंप्लॉयज से वर्क फ्रॉम होम करा सकती हैं, वहां करीब 85 फ़ीसदी कर्मचारी घर से ही काम कर रहे हैं. केवल ऐसे कर्मचारी ही ऑफिस जा रहे हैं, जिनका काम घर से नहीं हो सकता. इनमें खासकर आईटी कंपनीज ने तो कर्मचारी के कंप्यूटर और लैपटॉप को ही ऑफिस बना दिया है. कुछ आईटी कंपनी संचालकों की मानें तो 2020 में उनका ऑफिस खोलने का प्लान ही नहीं है.
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इन कंपनियों में कुछ कर्मचारी ऐसे भी हैं, जो दूसरे शहरों से आकर सेवाएं देते हैं. यहां काम के घंटों को देखते हुए संचालक इन्हें लंच या डिनर भी उपलब्ध कराते हैं, लेकिन फिलहाल ये कर्मचारी घरों से काम कर रहे हैं. ऐसे में कंपनी संचालकों ने इस सुविधा को बंद कर रखा है.
फूड व्यवसाय पूरी तरह से हुआ ठप 90 फीसदी काम हुआ ठप
आईटी, बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग और दूसरी सेवा प्रदाता कंपनीज के कर्मचारी आराम से घर बैठकर काम कर रहे हैं, लेकिन इसका सीधा असर उन फूड व्यवसायियों पर पड़ रहा है, जो इन कंपनीज में फूड सर्व किया करते थे. यहां फूड पैकेट या फिर टिफिन के माध्यम से लंच और डिनर उपलब्ध कराया जाता था, लेकिन फिलहाल 10 से 20 कर्मचारी ही इन कंपनियों में पहुंच रहे हैं. वो भी बाहर के भोजन से बच रहे हैं. घरों से ही अपना लंच लेकर आते हैं. ऐसे में शहर के 90 फ़ीसदी फूड केटरर्स का काम पूरी तरह ठप पड़ा है.
कर्मचारियों के लिए अब नहीं बन रहे टिफिन कोरोना ने बिजनेस चौपट किया
शहर के फूड केटरर्स की मानें तो लॉकडाउन से पहले करीब 8 से 10 कंपनीज में उनके द्वारा टिफिन सप्लाई किया जाता था. तकरीबन 150 से 200 कर्मचारी एक फूड केटरर के जिम्मे थे. लेकिन पहले लॉकडाउन ने उनके बिजनेस को चौपट किया और अब अनलॉक होने के बाद भी उनका कारोबार मंदा पड़ा है. ऑर्डर बंद होने से आमदनी पर अभी भी ताला लगा हुआ है. उनकी मानें तो 25 फीसदी स्टाफ ही उनके भोजनालय और रेस्टोरेंट में आ रहा है.
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बहरहाल, केंद्र सरकार ने भले ही लॉकडाउन में राहत दी हो. अनलॉक 3.0 भी लागू हो गया हो, लेकिन इन फूड केटरर्स का बिजनेस अब तक लॉक ही है और ना ही इन्हें किसी तरह की राहत मिली है. जब तक स्थितियां सामान्य नहीं हो जाती हैं तब तक इनकी आर्थिक हालात में सुधार होना मुश्किल है.