जयपुर.भाजपा से गठबंधन तोड़ने के बाद प्रदेश में हाल ही में हुए उपचुनाव के नतीजों ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी में नई ऊर्जा का संचार किया है. मौजूदा उपचुनाव 3 सीटों पर हुए और किसी पर भी आरएलपी प्रत्याशी को जीत नहीं मिल पाई. लेकिन प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा के बाद सर्वाधिक वोट लेने में आरएलपी प्रत्याशी सफल रहे. ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अब हनुमान बेनीवाल और उनकी पार्टी का पूरा फोकस शेखावाटी क्षेत्र में आने वाली विधानसभा सीटों पर रहना तय है.
सुजानगढ़ और सहाड़ा क्षेत्र में मिले अच्छे वोट, इसलिए हार का गम नहीं...
उपचुनाव सुजानगढ़-सहाड़ा और राजसमंद विधानसभा सीटों पर हुए और तीनों ही जगह तीसरे नंबर पर आरएलपी के प्रत्याशी रहे. इसमें भी सुजानगढ़ में तो आरएलपी प्रत्याशी नायक 32 हजार 210 वोट हासिल करने में सफल रहा, जो भाजपा प्रत्याशी से थोड़े बहुत वोट ही कम है.
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वहीं सहाड़ा सीट पर भी आरएलपी प्रत्याशी 12 हजार 231 वोट हासिल करने में सफल रहे. हालांकि राजसमंद में आरएलपी प्रत्याशी को महज 1558 मत ही मिले, लेकिन यहां भी आरएलपी तीसरे नंबर पर ही रही. इसके अलावा सुजानगढ़ सीट पर यदि आरएलपी पूर्व की तरह भाजपा के साथ गठबंधन में रहती तो, शायद परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आसानी से नहीं जाते. कुल मिलाकर तीनों ही सीटों पर आरएलपी को करीब 46 हजार मत मिले. जिसे अच्छा प्रदर्शन माना जा सकता.
जाट बाहुल्य शेखावाटी क्षेत्र पर रहेगा बेनीवाल का फोकस...
इस उपचुनाव में सुजानगढ़ सीट पर आरएलपी प्रत्याशी को सर्वाधिक मत मिले. जिसके बाद यह संभावना जताई जा रही है कि साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले आरएलपी शेखावटी क्षेत्र के संपूर्ण विधानसभा क्षेत्रों पर आरएलपी अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए बचे हुए समय में और जोर लगाएगी. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल ने भी इसके संकेत दिए हैं. इसे भी हनुमान बेनीवाल जाट समाज से आते हैं और जाट वोट बैंक में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है. शेखावाटी क्षेत्र में जाट समाज के मतदाताओं की संख्या भी काफी अधिक थे. इस चुनाव में आरएलपी का फोकस शेखावटी क्षेत्र रहना तय है.
बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए परेशानी बन सकता है आरएलपी...
राजस्थान में आरएलपी का क्षेत्र में प्रभाव है. हालांकि राजस्थान विधानसभा में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के तीन विधायक है. वहीं नागौर लोक सभा पर भी आरएलपी का कब्जा है. यहां से खुद आरएलपी संयोजक हनुमान बेनीवाल सांसद हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में आरएलपी ने कुछ ही सीटों पर प्रत्याशी उतारे और उसके बाद लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन के चलते हैं.
अन्य जातियों के दिग्गजों को जोड़ना आरएलपी के लिए जरूरी...तभी 2023 में हो सकता है करिश्मा
आरएलपी छोटा राजनीतिक दल है और एक मात्र नेता हनुमान बेनीवाल के कंधों पर टिका है हालांकि सीमित संसाधनों में मौजूदा प्रदर्शन अच्छा माना जा सकता है, लेकिन भविष्य में बड़ी पारी खेलने के लिए जरूरी है कि आरएलपी में हनुमान बेनीवाल अन्य जातियों के भी दिग्गज नेताओं को अपने साथ जोड़े. क्योंकि हनुमान बेनीवाल के कारण आरएलपी जाट समाज में प्रभाव रखने वाली पार्टी के रूप में जानी जाती है. हालांकि आरएलपी पर लगे इसी टैग को तोड़ने के लिए बेनीवाल ने अनुसूचित जाति समाज से आने वाले पुखराज गर्ग को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया. वहीं अपनी प्रदेश टीम में भी अलग-अलग समाज के लोगों को लिया लेकिन फिर भी यह टैग अब तक पूरी तरह नहीं हट पाया है.